Ali Mohammad and Ghani Mohammad Padmshree: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर साल 2024 के पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 132 हस्तियों को पद्म पुरस्कार देने की घोषणा की. इनमें पांच लोगों को पद्म विभूषण, 17 को पद्म भूषण, और 110 को पद्म श्री पुरस्कार दिया गया. इस साल के लिए पद्म पुरस्कार के लिए चुनी गईं हस्तियों में राजस्थान से बहरूपिया कलाकार जानकीलाल व ध्रुपद गायक लक्ष्मण भट्ट तैलंग सहित पांच लोग शामिल हैं.
राजस्थान से मांड गायक बंधु अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद और सड़क सुरक्षा कार्यकर्ता माया टंडन को भी पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. बीकानेर के रहने वाले अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद बंधुओं को संयुक्त रूप से यह पुरस्कार मिलेगा.
पूरी तरह संगीत को समर्पित रहे अली-गनी
बीकानेर की सर ज़मीन कला और संस्कृति के एतबार से बहुत समृद्ध है और देश ही नहीं दुनियां को इसने टैलेंट के बेहिसाब हीरे दिए हैं. हर क्षेत्र में बीकानेर की विभूतियों ने अपना लोहा मनवाया है. चाहे संगीत हो, कला हो, साहित्य हो, चित्रकारी हो, बीकानेर हर क्षेत्र में समृद्ध रहा है. संगीत और बॉलीवुड में बीकानेर ने अपना एक एहम मक़ाम क़ायम रखा है. पाकीज़ा फ़िल्म के संगीतकार गुलाम मुहम्मद, गीतकार भरत व्यास, रफीक सागर, राजा हसन और अली-गनी, इन सभी ने संगीत को अपना सब कुछ समर्पित किया है.
विरासत में मिला संगीत
लेकिन यहां बात बॉलीवुड के संगीतकार अली और गनी की, जिन्हें भारत सरकार ने देश के चौथे सबसे बड़े सम्मान पद्म श्री से नवाज़ा है. बीकानेर के तेजरासर गांव में पैदा हुआ भाइयों अली और गनी को संगीत विरासत में मिला. इनके पिता सिराजुद्दीन ख़ुद संगीत के बड़े ज्ञाता थे, बचपन में ही अली - गनी की वालिदा का इंतेकाल हो जाने की वजह से पालन पोषण की जिम्मेदारी इनके पिता पर ही थी. पिता सिराजुद्दीन से जहां एक बेहतरीन इन्सान बनने की तालीम मिली वहीं उनसे संगीत की विरासत भी अता हुई.
मुंबई में किया संघर्ष
जैसे-जैसे मौसिकी में महारत हासिल होती गई तो एक बिल्कुल पिछड़े हुए गांव तेजरासर से निकल कर बड़ी जगह पर मक़ाम बनाने की तमन्ना भी दिल में हिलोरें मारने लगी. जवानी की उम्र आने पर दोनों ही भाइयों ने रूख़ किया कोलकाता का और वहां से सफ़र हुआ सपनों की नगरी मुम्बई का. बचपन से गांव में मुश्किल ज़िन्दगी बसर करने वाले अली और गनी को मुम्बई में संघर्ष करना अटपटा नहीं लगा और संघर्ष धीरे-धीरे कामयाबी लेकर आता गया, बॉलीवुड के संगीतज्ञों और निदेशकों की नज़रें उन पर पड़ीं.
संघर्ष के ही दौरान दोनों भाइयों ने साथ गाना शुरू किया
अली-गनी को संघर्ष के दौरान कई बार भूखे पेट रहना पड़ा. मुम्बई जैसे मेट्रो शहर में अक्सर कई कई किलोमीटर पैदल भी सफ़र करना पड़ा. लेकिन गांव की कठिन ज़िन्दगी उन्हें याद थी. इसलिए मुंबई का संघर्ष उन्हें खेल ही लगा. इस दौरान दोनों भाइयों ने संग-संग गाना शुरू किया और अपने गायन का आधार बनाया मांड राग को, जो पश्चिमी राजस्थान का सबसे लोकप्रिय राग माना जाता है. बीकानेर इलाक़े में सबसे एहम राग मांड है और इस पर ना सिर्फ़ राजस्थानी लोक संगीत गाए गए हैं बल्कि मेंहदी हसन जैसे ग़ज़ल गायकी के बादशाह ने भी मांड को ही अपनी ग़ज़लों का आधार बनाया था. उन्हीं से प्रेरणा पाकर अली और गनी ने भी मांड की खूबसूरती से अपनी गुलुकारी को सजाया.
शास्त्रीय संगीत में हासिल है महारत
अपने पिता स्वर्गीय सिराजुद्दीन ख़ान से संगीत की बुनियादी तालीम हासिल करने वाले अली-गनी शास्त्रीय संगीत में ही अपना बेहतरीन दखल रखते हैं. शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दोनों ही भाइयों ने उस्ताद मुनव्वर अली ख़ान और उस्ताद बड़े गुलाम अली ख़ान से हासिल की. बीकानेर जैसे कला और संस्कृति के एतबार से विकसित शहर के छोटे से गांव तेजरासर के रहने वाले अली और गनी आज किसी भी परिचय के मोहताज नहीं हैं. फिल्म संगीतकार और गायक के तौर पर दोनों को देश और विदेश में जाना जाता है.
लता और आशा भोंसले का मिला आशीर्वाद
San 1981 से ही ऑल इण्डिया रेडियो से जुड़े दोनों भाइयों ने कई फ़िल्मों में संगीत निर्देशन किया है, जिनमें हिन्दी, राजस्थानी और पंजाबी फिल्में शामिल हैं. इसके अलावा नात, भजन और राजस्थानी लोकगीतों के कई एल्बम भी रिलीज़ हो चुके हैं. अली और गनी पंकज उदास, साधना सरगम, चन्दन दास, अलका याज्ञनिक, अनुराधा पौडवाल और हंसराज हंस जैसे बड़े गायकों की ग़ज़लों को भी अपने संगीत से सजाया है. इन बड़े गुलुकारों ने भी अली - गनी के निर्देशन में गाया है. यहां तक कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर और आशा भोंसले का आशीर्वाद भी अली - गनी को मिलता रहा है.
कहा- प्रतिभा को मिला कद्र
तेजरासर से निकल कर मुम्बई की चकाचौंध में सितारा बन कर चमकने वाले अली और गनी को कई अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. साठ वर्षीय अली और बासठ वर्षीय गनी पद्म श्री मिलने पर भी विनम्रता से दूर नहीं हुए हैं. पद्म श्री सम्मान मिलने पर वे अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए कहते हैं की अभी और आगे जाना है.
इस सम्मान के लिए वे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, बीकानेर में सांसद और केन्द्रीय क़ानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को श्रेय देते हैं. कहते हैं भाजपा सरकार ने हमारी प्रतिभा की कद्र की और पद्मश्री से नवाज़ा, एनडीटीवी का भी बहुत विनम्र होकर शुक्रिया अदा करते हुए अली और गनी कहते हैं की इसी चैनल ने सबसे पहले हमें सूचना भी दी और हमें पूरे देश में दिखाया.
यह भी पढ़ें- भीलवाड़ा के बहरूपिया बाबा... जानिए कौन हैं राजस्थान के जानकी लाल, जिन्हें मिला पद्म श्री अवार्ड