'भारत ज्ञान और विवेक का उद्गम', गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में क्या बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें  गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी. लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष लंबे समय तक विद्यमान रहे. हाल के दौर में, उस मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं.

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू.

Republic Day 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें  गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार! इस ऐतिहासिक अवसर पर मुझे आप सब को संबोधित करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मैं आप सभी को हार्दिक बधाई देती हूं.

आज से 75 साल पहले ही भारत का संविधान लागू हुआ था. लगभग 3 साल के विचार-विमर्श के बाद संविधान सभा ने 26 नवम्बर 2049 को अंगीकृत किया. जिसके लिए साल 2015 से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं.  

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देश के सूर वीरों को किया याद

राष्ट्रपति ने आगे कहा कि विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल भारत को ज्ञान और विवेक का उद्गम माना जाता था, लेकिन भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा. आज के दिन सबसे पहले हम उन सूर वीरों को याद करते हैं जिन्होंने मातृभूमि को विदेशी शासन की बेड़ियों से मुक्त करने के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी दी.

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इस वर्ष हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं. वे ऐसे अग्रणी स्वाधीनता सेनानियों में शामिल हैं, जिनकी भूमिका को राष्ट्रीय इतिहास के संदर्भ में अब समुचित महत्व दिया जा रहा है. 

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'स्वाधीनता के बाद भी रहे कई मानसिक अवशेष'

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि वर्ष 1947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी. लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष लंबे समय तक विद्यमान रहे. हाल के दौर में, उस मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं. ऐसे प्रयासों में इंडियन पीनल कोड, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, और इंडियन एविडेंस एक्ट के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने का निर्णय सर्वाधिक उल्लेखनीय है.

'सांस्कृतिक विरासत के साथ जुड़ाव अधिक गहरा'

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है. इस समय आयोजित हो रहे प्रयागराज महाकुंभ को उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है. हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने और उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृति के क्षेत्र में अनेक उत्साह-जनक प्रयास किए जा रहे हैं.

डी. गुकेश ने रचा इतिहास 

राष्ट्रपति ने इस मौके पर इसरो की उपलब्धियों और खिलाड़ियों के प्रदर्शन की भी सराहना की है. उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय प्रगति के बल पर हम अपना सिर ऊंचा करके भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं.  वर्ष 2024 में डी. गुकेश ने अब तक का सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन बनकर इतिहास रच दिया।

सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई

राष्ट्रपति ने आगे कहा कि आज के दिन हम गांधीजी के सपनों को साकार करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएं. मैं एक बार फिर आप सभी को गणतंत्र दिवस की बधाई देती हूं. देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले हमारे सैनिकों के साथ-साथ सीमाओं के भीतर देश को सुरक्षित रखने वाले पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी मैं बधाई देती हूं. न्यायपालिका, सिविल सेवाओं और विदेशों में हमारे मिशनों के सदस्यों को भी मेरी बधाई.

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