'मैंने जीवन में पेड़ नहीं लगाए तो लकड़ी में जलने का मुझे हक नहीं', पाली के दर्जी ने जोधपुर AIIMS को दान किया अपना शरीर

कालुराम पाली जिले के रोहिट कस्बे का रहने वाला है और पेशे से एक दर्जी है. उनको जीवन में कुछ अलग करने की इच्छा थी, जिसके बाद उसने फैसला किया की उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर को  जलाया नहीं जाए

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Rajasthan News: जोधपुर एम्स में रविवार को एक युवक ने अपनी मौत होने के बाद शरीर को दान करने का रजिस्ट्रेशन करवाया है. जिसके बाद एम्स के अस्पताल प्रशासन ने युवक का सम्मान किया है. युवक का नाम कालुराम है. उसका जन्म एक बेहद साधारण परिवार में हुआ और परवरिश भी बहुत साधारण माहौल में हुई है.  कालुराम पाली जिले के रोहिट कस्बे का रहने वाला है और पेशे से एक दर्जी है. उनको जीवन में कुछ अलग करने की इच्छा थी, जिसके बाद उसने फैसला किया की उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर को जलाया नहीं जाए. इसी के चलते उसने अपना शरीर जोधपुर एम्स में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के लिए दान कर दिया है.

'मुझे जलाने के लिए पेड़ नहीं काटें'

NDTV राजस्थान से बातचीत में कालूराम ने बताया, 'मेरा मन कुछ अलग करने का था. मैंने ये फैसला अभी के समय में जिस तरह से पेड़ों की कटाई हो रही है उसको देखकर लिया है. मेरे मरने के बाद मुझे जलाने के लिए कोई पांच पेड़ नहीं काटे. मैं चाहता हूं कि मेरे मरने के बाद जलाने के लिए लकड़ी का उपयोग नहीं हो. 100 में से 20 लोग होते हैं जो कभी पेड़ लगाते हैं. जोधपुर के खेजड़ली में अमृता देवी और उसके 263 लोगों ने पेड़ों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी थी. तो मैं चाहता हूं कि जब मैं अपनी जिंदगी में एक पेड़ लगा नहीं सका तो उस लकड़ी का उपयोग करने का मुझे हक भी नहीं है.'

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समाज के लिए बड़ा संदेश 

कालूराम के इस निर्णय के बाद उनका परिवार चिंतित हो गया, लेकिन जब कालूराम ने बताया कि मेरे इस कदम से और भी लोग प्रेरित होंगे. साथ ही पर्यावरण और मेडिकल स्टूडेंट्स की भलाई के लिए आगे आएंगे. इसके बाद कालूराम के परिवार वाले कालूराम की भावना को समझ गए और उन्होंने अपनी स्वीकृति भी दे दी. कालूराम ने कहा कि मेरा तो यह एक छोटा सा प्रयास है, लेकिन इसके पीछे एक बड़ा संदेश छुपा हुआ है जो आने वाली पीढ़ियों और समाज को भी याद रहेगा.

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