850 साल पुरानी अजमेर दरगाह की हालत जर्जर, दीवार में आई दरार, बारिश में छतों से रिसता पानी

अजमेर दरगाह में कई जगह छतों से प्लास्टर उखड़ चुका है. कमेटी द्वारा हाल में लगाई गई वॉटरप्रूफिंग भी कई जगह नाकाम नजर आई. मरम्मत कार्य आधे-अधूरे पड़े हैं और कुछ हुजरे पूरी तरह खाली भी कराए जा चुके हैं.

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850 साल पुरानी अजमेर दरगाह की हालत जर्जर

Rajasthan News: अजमेर दरगाह देश-विदेश से लाखों जायरीनों की आस्था का केंद्र है. सालोंसाल यहां पर देश-दुनिया से लोग अकीदतमंद चादर चढ़ाने पहुंचते हैं. लेकिन बीते कुछ समय से इस पवित्र दरगाह की हालत एक बड़ा सवाल बन गई है. दरगाह परिसर में मौजूद सैकड़ों साल पुराने हुजरे, दीवारें और दालान जर्जर हालत में हैं. हालिया बरसात में कुछ छज्जे गिर चुके हैं और दीवारों में दरारें साफ नजर आ रही हैं. यह स्थिति अब सिर्फ अजमेर तक सीमित नहीं रही. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है.

कुछ हुजरों के छज्जे टूटे

दरगाह कमेटी के सीईओ मोहम्मद बिलाल खान ने बताया कि दरगाह की ऐतिहासिक संरचनाएं समय-समय पर प्राकृतिक कारणों से क्षतिग्रस्त होती रही हैं. हालिया बारिश के बाद जब कुछ हुजरों के छज्जे टूटे तो तुरंत साइट इंजीनियर के साथ निरीक्षण करने के बाद मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया. आस्ताना शरीफ के गुंबद में वॉटर प्रूफिंग के लिए डॉक्टर फिक्सिट का प्रयोग किया गया है.

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कई स्थानों पर टेंडर जारी कर मरम्मत प्रक्रिया चलाई जा रही है और दालान, महिला बैठने की जगह जैसी प्राथमिकताओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. 

दरगाह कमेटी पर गंभीर आरोप

वहीं, दरगाह के खादिम सैयद फखरे मोइन चिश्ती ने कमेटी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि लगातार चेतावनी देने के बावजूद दरगाह कमेटी सिर्फ दिखावटी काम कर रही है. रिसते हुए हुजरों की मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है और अब कमेटी उन खादिमों को नोटिस भेज रही है कि वे अपने हुजरे खाली करें. खादिम सैयद फखरे ने सवाल उठाया कि अगर यही हाल आस्ताना शरीफ में हो तो क्या उसे भी बंद कर दिया जाएगा? 

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पिछले साल गिर गए 60 और 61 नंबर हुजरे

पीर सैयद फखर काजमी चिश्ती ने दरगाह के इतिहास और संरचना के बारे में बताया कि परिसर में 500 साल पुराने हुजरे हैं, जो अकबर के शासनकाल में बने थे. इन दीवारों को उस समय गारा, चूना और मौरंड से तैयार किया गया था, जो अब कमजोर हो चुके हैं. पिछले साल 60 और 61 नंबर के हुजरे गिर चुके हैं, जिनका निर्माण खादिमों ने अपनी जेब से करवाया. परिसर की मार्बल फर्श भी उखड़ चुकी है, जिससे जायरीन अक्सर फिसलते हैं.

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आस्ताना शरीफ में भी लीकेज की स्थिति बन गई थी और गीलाफ हटाकर उसकी मरम्मत करनी पड़ी. बारिश के दौरान कुछ हुजरों में बिजली का करंट फैल जाता है, जो बेहद खतरनाक स्थिति है.

छतों से उखड़ चुका प्लास्टर

दरगाह अंजुमन कमेटी के वाइस प्रेसिडेंट हाजी सैयद मोहम्मद हाशमी ने कहा कि हाल ही में निरीक्षण के दौरान उन्होंने खुद देखा कि दरगाह के कई हिस्सों में पानी जमा हो गया था. सजावट के दौरान टूटे बल्ब और कचरा नालियों में फंसा मिला जिससे पानी की निकासी बाधित हुई. उनका कहना था कि अगर खादिम मरम्मत कराना चाहते हैं तो उन्हें अनुमति मिलनी चाहिए, और हुजरे को इस प्रकार बनाना चाहिए कि वह दरगाह की गरिमा को और बढ़ाए.

कर्नाटक से आए एक जायरीन अली कहते हैं कि वह पिछले 15 साल से ख्वाजा साहब के दर पर हाजिरी देने आते रहे हैं, लेकिन दरगाह में अब तक कोई ठोस सुधार नजर नहीं आया. उनका कहना था कि दरगाह में चढ़ावे की कमी नहीं है, लेकिन जो जिम्मेदार हैं उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. एनडीटीवी की टीम ने जब दरगाह परिसर में निरीक्षण किया तो पाया कि कई जगह छतों से प्लास्टर उखड़ चुका है. कमेटी द्वारा हाल में लगाई गई वॉटरप्रूफिंग भी कई जगह नाकाम नजर आई. मरम्मत कार्य आधे-अधूरे पड़े हैं और कुछ हुजरे पूरी तरह खाली भी कराए जा चुके हैं.

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