Rajasthan News: राजस्थान के अलवर शहर में मालाखेड़ा बाजार के कांजी हाउस में आवारा गायों और सांडों की हालत देखकर हर कोई हैरान है. यह जगह पशुओं की देखभाल के लिए बनी थी लेकिन अब यहां अव्यवस्था का बोलबाला है. नगर निगम की गैरजिम्मेदारी ने पूरे शहर को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
क्षमता से ज्यादा पशु, देखभाल का अभाव
कांजी हाउस की क्षमता सिर्फ 70 पशुओं की है लेकिन यहां 100 से ज्यादा गायें और सांडों को ठूंसकर रखा गया है. इस वजह से जगह की कमी हो गई है और पशुओं को ठीक से खाना पानी या आराम नहीं मिल पा रहा. स्थानीय लोग बताते हैं कि रोजाना स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. गंदगी और साफ सफाई की कमी से कई पशुओं की सेहत बिगड़ रही है. वे कहते हैं कि इतनी बड़ी समस्या होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. कोई ठोस योजना या सुधार का नामोनिशान नहीं दिखता.
अधिकारी का बयान और हकीकत का फर्क
जब इस मामले पर नगर निगम की राजस्व अधिकारी निशा लखानी से बात की गई तो उन्होंने दावा किया कि अगर किसी पशु की तबीयत खराब होती है तो उसे तुरंत भवानी तोप के पशु चिकित्सालय में इलाज के लिए भेज दिया जाता है. लेकिन जमीन पर हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं. पशुओं की बढ़ती संख्या और सुविधाओं की कमी से पूरी व्यवस्था चरमरा गई है. इलाज की बात तो दूर यहां तो बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं.
सांड की मौत ने बढ़ाया रोष
मंगलवार को नगर निगम की टीम आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए कांजी हाउस पहुंची. इस दौरान एक सांड की अचानक मौत हो गई. चौंकाने वाली बात यह है कि बुधवार तक भी मृत सांड को वहां से हटाया नहीं गया. आसपास के लोगों ने कई बार सूचना दी लेकिन निगम की टीम ने कोई ध्यान नहीं दिया.
इससे इलाके में गुस्सा और अफवाहें फैल गईं. निवासियों का आरोप है कि निगम सिर्फ दिखावे के लिए काम कर रहा है. असली समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहा. साफ सफाई न होने से अन्य पशुओं की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है.
शहर में चर्चा तेज, सुधार की मांग
अलवर में कांजी हाउस की यह बदहाली अब हर गली मोहल्ले में चर्चा का विषय बन गई है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि नगर निगम कब जागेगा और कब पशुओं की देखभाल के लिए सही कदम उठाएगा. क्या पशुओं की संख्या कम करने या नई जगह बनाने की कोई योजना है.
फिलहाल तो हालात सुधरने के बजाय बिगड़ते ही जा रहे हैं. शहरवासी उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही विभाग कार्रवाई करे और इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले. अन्यथा पशुओं की दुर्दशा और बढ़ सकती है.
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