क्या पश्चिमी राजस्थान में बदलेंगे सियासी समीकरण? अमीन खान की वापसी से कांग्रेस में गुटबाजी के संकेत

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में अमीन खान की वापसी से कांग्रेस को आंतरिक कलह का सामना करना पड़ सकता है. 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
अमीन खान की वापसी से कांग्रेस में गुटबाजी के संकेत

Rajasthan News: कांग्रेस पार्टी में पूर्व मंत्री अमीन खान की वापसी ने पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है. एक तरफ अमीन खान की वापसी पंचायत और निकाय चुनाव के लिए कांग्रेस की जमीन मजबूत करने में काम आ सकती है तो दूसरी ओर से कांग्रेस के भीतर गुटबाजी और बढ़ने की पूरी आशंका है. बता दें कि बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी का समर्थन करने व कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदाराम के खिलाफ प्रचार करने पर अमीन खान को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया गया था.

हरीश चौधरी और अमीन खान की लंबी अदावत

दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बायतु से विधायक हरीश चौधरी के साथ 2009 से अमीन खान की सियासी अदावत स्पेस चली आ रही है. हरीश चौधरी कांग्रेस में उनकी वापसी के ख़िलाफ़ थे, लेकिन गहलोत कैंप उनका निष्कासन ख़त्म करने की कोशिशों में जुटा हुआ था. हरीश चौधरी ने बाड़मेर में अपने प्रभाव को मजबूत करने के लिए फतेह खान को आगे बढ़ाया था. 

फतेह खान को अमीन खान के खिलाफ एक विकल्प के रूप में स्थापित किया गया. 2023 विधानसभा चुनाव में फतेह खान ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा, जिससे वोटों का बंटवारा हुआ और कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा. 

कांग्रेस के लिए कितने फायदेमंद अमीन खान?

थार की राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि दोनों नेता सार्वजनिक तौर पर भी एक दूसरे के ख़िलाफ़ मुखर नजर आते रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमीन खान जैसे कद्दावर मुस्लिम नेता को बाहर रखने से अल्पसंख्यक मतदाताओं में नाराजगी गहरी हुई. ऐसे में अब पंचायत और निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस अल्पसंख्यक समुदाय को फिर से साधना चाहती है और इसके लिए अमीन खान जैसा चेहरा पार्टी के लिए अहम हैं.

माना जाता है कि अमीन खान का बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और नागौर जैसे जिलों में मुस्लिम समुदाय में मजबूत प्रभाव है. हरीश चौधरी और अमीन खान के रिश्ते पहले से तल्ख हैं और ऊपर से दोनों का प्रभाव क्षेत्र काफी हद तक ओवरलैप करता है.

Advertisement

अमीन खान की वापसी जन्म देगी आंतरिक कलह?

ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में अमीन खान की वापसी से कांग्रेस को आंतरिक कलह का सामना करना पड़ सकता है. अगर नेतृत्व ने हरीश चौधरी और अमीन खान के बीच सामंजस्य नहीं बैठाया तो कांग्रेस को पंचायत और निकाय चुनाव में खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है. निकाय और पंचायत चुनाव इस समीकरण की पहली बड़ी परीक्षा होंगे, जहां अमीन खान का प्रभाव और हरीश चौधरी की रणनीति सीधे टकरा सकती है.

यह भी पढे़ं- 

ACB में पहुंचा पूर्व मंत्री की पत्नी का मामला, 100 रुपये में चारागाह भूमि पर पट्टे जारी करने का आरोप

Advertisement

राजस्थान में बड़े बदलाव को लेकर मदन राठौड़ ने दी लिस्ट की जानकारी, बोले- दिल्ली से अप्रूवल का इंतजार