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Rajasthan: भाई-बहन के अटूट रिश्ते की मिसाल, शहादत के 10 साल बाद भी भाई की प्रतिमा को राखियां बांध रही हैं बहनें  

Raksha Bandhan 2024: हर साल की तरह इस साल भी शहीद हेमराज शर्मा की बहनों ने सबसे पहले अपने भाई की मूर्ति के तिलक लगाया, फिर भाई की मूर्ति की कलाई पर राखी बांधकर अपने भाई को याद किया. हर राखी पर बहनें अपने भाई को ऐसे ही याद करती हैं.

Rajasthan: भाई-बहन के अटूट रिश्ते की मिसाल, शहादत के 10 साल बाद भी भाई की प्रतिमा को राखियां बांध रही हैं बहनें  
शहीद हेमराज की बहनें हर साल रक्षा बंधन पर उनकी प्रतिमा को राखी बांधती हैं

Rakasha Bandhan 2024: रक्षाबंधन, भाई-बहन के बीच प्यार और अपनेपन का पवित्र पर्व है. रक्षा बंधन का बहनें साल भर इंतजार करती हैं और वो दिन आने पर भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं. भाई बदले में बहन को उपहार देता है और उनकी रक्षा का वादा करता है. लेकिन डीडवाना के मामड़ौदा गांव की दो बहनों का एक भाई 10 साल पहले देश की रक्षा का वादा निभाते-निभाते शहीद हो गया. आज इन बहनों का भाई इस दुनिया में मौजूद नहीं है, लेकिन यह बहनें आज भी राखी जैसे पवित्र बंधन को निभा रही हैं. शहीद हेमराज की बहनें आज भी अपने भाई को याद करती हैं और शहीद भाई की प्रतिमा को ही राखी बांधकर भाई-बहन के रिश्ते की परंपरा निभा रही हैं. 

मूर्ति को लगाती हैं तिलक, पहनाती हैं राखी 

तस्वीर में जो शहीद की मूर्ति है वो डीडवाना जिले के मामड़ौदा गांव के शहीद सब इंस्पेक्टर हेमराज शर्मा की है. 

हेमराज ने देश के लिए 1 दिसंबर 2014 को अपनी जान की कुर्बानी दी थी. उन्हें शहीद हुए 10 साल बीत चुके हैं, इसके बावजूद भाई-बहनों के बीच का रिश्ता आज भी कायम है.

गांव में ही शहीद हेमराज शर्मा का स्मारक है, जहां लगी शहीद की मूर्ति पर राखी बांधने के लिए आज उनकी बहनें मनीषा और मधुबाला यहां पहुंची हैं.

भारतीय परंपरा के मुताबिक इन बहनों ने सबसे पहले अपने भाई की मूर्ति के तिलक लगाया, फिर भाई की मूर्ति की कलाई पर राखी बांधकर अपने शहीद भाई हेमराज शर्मा को याद किया.

बहनों ने जैसे ही अपने शहीद भाई की मूर्ति को राखी बांधी तो उनकी आंखे भाई के बिछड़ने के दुख से नम हो गई.

नक्सली हमले में शहीद हुए थे हेमराज 

गौरतलब है कि डीडवाना के ग्राम मामड़ोदा निवासी शहीद हेमराज शर्मा सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे. छत्तीसगढ़ में उनकी पोस्टिंग थी. 1 दिसंबर 2014 को गश्ती दल के साथ हेमराज भी गश्त कर रहे थे. इसी दौरान घात लगाकर नक्सलियों ने हमला कर दिया. जिसमें हेमराज शर्मा के साथ ही सीआरपीएफ के 15 अन्य जवान भी शहीद हो गए थे.

अब बास यादें हो रह गई हैं 

लेकिन आज उनकी बहनों के पास सिर्फ शहीद भाई की यादें ही रह गई हैं. शहीद की बहनों का कहना है कि उन्हें अपने भाई की बहुत याद आती है. खासकर रक्षाबंधन के दिन उनकी बहुत याद आती है. उन्होंने कहा कि हमारा भाई मरा नहीं है, आज भी वो उनके दिल में, हम सबके दिल में, इस देश के दिलों में जिंदा है, क्योंकि शहीद कभी मरते नहीं है.

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