अंता विधानसभा उपचुनाव में 20 उम्मीदवार मैदान में, कांग्रेस-भाजपा को मिल सकती है कड़ी टक्कर

राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर 20 उम्मीदवारों के नामांकन स्वीकार हुए, जबकि एक रद्द हुआ है. यहां पर जातिगत समीकरण और रणनीति नतीजों को प्रभावित करेंगे.

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अंता विधानसभा सीट पर 20 उम्मीदवारों के नामांकन स्वीकार.

Rajasthan News: राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. गुरुवार को नामांकन पत्रों की जांच पूरी हो गई. रिटर्निंग अधिकारी हवाई सिंह यादव ने बताया कि कुल 21 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था. इनमें से 20 प्रत्याशियों के फॉर्म स्वीकार कर लिए गए, जबकि कांग्रेस की वैकल्पिक उम्मीदवार उर्मिला जैन भाया का नामांकन पत्र नियमों के उल्लंघन के कारण रद्द कर दिया गया. अब बचे हुए उम्मीदवार 27 अक्टूबर तक अपने नाम वापस ले सकते हैं. यह प्रक्रिया उपचुनाव की दिशा को और स्पष्ट करेगी.

2.25 लाख मतदाता तय करेंगे नया विधायक

अंता विधानसभा में करीब 2.25 लाख मतदाता अपने वोट से नया विधायक चुनेंगे. इस सीट पर मुकाबला रोमांचक होने की उम्मीद है, क्योंकि यहां त्रिकोणीय जंग देखने को मिल रही है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं.

इस क्षेत्र में माली समाज के 40 हजार, अनुसूचित जाति के 35 हजार और मीणा समुदाय के 30 हजार मतदाता अहम भूमिका निभाएंगे. इसके अलावा धाकड़, ब्राह्मण, बनिया और राजपूत वोटरों का रुझान भी नतीजों को प्रभावित करेगा.

जातिगत समीकरण बनेंगे जीत की कुंजी

अंता में माली समाज की बहुलता है, लेकिन जीत के लिए केवल उनके वोट काफी नहीं. माली और मीणा समुदाय के वोटों का एकजुट होना किसी भी दल के लिए जीत की राह आसान कर सकता है. भाजपा को परंपरागत रूप से माली और शहरी मतदाताओं का साथ मिलता रहा है, जबकि कांग्रेस मीणा और अनुसूचित जाति के वोटों पर निर्भर करती है. पूर्व विधायक प्रमोद जैन भाया एक बार फिर मैदान में हैं और उनकी मौजूदगी ने मुकाबले को और रोचक बना दिया है.

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जानें क्या कहती है सियासी हवा

इस उपचुनाव में जातिगत समीकरण और सामाजिक गठजोड़ जीत-हार तय करेंगे. दोनों प्रमुख दल मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे. अब देखना यह है कि अंता की जनता किसे अपना नेता चुनेगी.

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