मंत्री खराड़ी और उदयपुर सांसद के खिलाफ BAP का धरना, सांसद बोले- अंग्रेजों के इतिहास को नहीं मान सकते

BAP protest in Udaipur: भारत आदिवासी पार्टी भील प्रदेश की मांग लगातार उठा रही है. हालांकि बीते दिनों राजस्थान के मंत्री बाबूलाल खराड़ी और उदयपुर सासंद ने इस मांग को अनुचित बताया था. जिसके बाद अब बाप के कार्यकर्ता इन दोनों नेताओं का विरोध कर रहे हैं.

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उदयपुर में सांसद और मंत्री के खिलाफ बाप कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन.

BAP protest in Udaipur: गुरुवार को राजस्थान के उदयपुर जिले में भारत आदिवासी पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने राजस्थान सरकार के मंत्री बाबूलाल खराड़ी और उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत के खिलाफ प्रदर्शन किया. उदयपुर जिला कलेक्ट्री के बाहर बाप के नेताओं ने धरना दिया और प्रदर्शन किया. यहीं नहीं प्रदर्शन के दौरान आक्रोश जताते हुए उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत और कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी का पुतला जलाया. आदिवासी पार्टी के पदाधिकारी सांसद रावत और मंत्री खराड़ी द्वारा दिए बयान का विरोध कर रहे थे. 

भील प्रदेश की मांग पर सांसद के बयान का विरोध

वह जिला कलेक्ट्री के बाहर पहुंचे और धरने पर बैठे. भाजपा के खिलाफ नारेबाजी भी की. इसके बाद बयान को विवादित बताते हुए कार्रवाई की मांग को लेकर ज्ञापन भी दिया. दरअसल भारत आदिवासी पार्टी भील प्रदेश की मांग कर रही है. इसी को लेकर बीते दिनों भाजपा सांसद ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने भील प्रदेश की मांग को खारिज किया था. सांसद के इस बयान के बाद विवाद बढ़ गया.

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राजपूत और आदिवासी के बीच दरार डालने वाला बयान

आदिवासी पार्टी के नेता अमित खराड़ी ने बताया, जो राजस्थान विधानसभा चुनाव में उदयपुर ग्रामीण विधानसभा सीट से भारत आदिवासी पार्टी के उम्मीदवार थे, कि सांसद रावत कहते हैं कि मानगढ़ धाम की पुस्तक है उसमें भील प्रदेश लिखा वह गलत है, उसे हटवा देंगे..सांसद ही नहीं मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने भी विवादित बयान दिया. 

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5 अक्टूबर भीलूं राणा जयंती पर एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भीलू राणा आदिवासी नहीं राजपूत थे..मंत्री राजपूत और आदिवासी के बीच दरार डालने का काम कर रहे हैं. जो सदियों से साथ रहे हैं. महाराणा प्रताप के साथी, आदिवासी ही थे. इसके बाद भी भड़काने वाले बयान दे रहे हैं.

सांसद ने कहा- अंग्रजों का लिखा कैसे मान सकते हैं

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इधर मामले में उदयपुर के भाजपा सांसद मन्नालाल रावत ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि मानगढ़ का इतिहास राष्ट्रीय चेतना का इतिहास है, इस इतिहास के खलनायक अंग्रेज थे. इसलिए अंग्रेजो की रिपोर्ट को वैसा ही नहीं मान सकते जैसा लिखा गया है. गोविंद गुरु को फंसाने के लिए अंग्रेजो ने लिख दिया कि अलग राज्य चाहिए. कुछ जातिवादी लोग युवाओं को बरगला रहे हैं और भ्रमित कर रहे हैं. युवा अपनी ऊर्जा व्यर्थ ना करें. भारत आदिवासी पार्टी द्वारा पुतला दहन करने के प्रदर्शन पर संसद ने कहा कि जिनके पुतले जलाए जाते हैं वह चिरायु होते है, उम्र लंबी होती है.

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