राजस्थान में 25 नवंबर को वोटिंग होनी है. इसी दिन प्रदेश के अगले 5 सालों का भविष्य तय होगा. राजस्थान की दोनों प्रमुख पार्टियां क्रमशः कांग्रेस और भाजपा ने 200 विधानसभा सीटों पर अपनी ताकत झोंक दी है. पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़े देखें तो 23 सीटें ऐसी हैं, जहां वोट का अंतर 2 फीसदी से कम रहा है. इनमें 13 सीटों पर तो 1 फीसदी से कम अंतर में जीत हार तय हुई है. माना जा रहा है कि उक्त सीटों पर जरा से बदलाव से सूबे के आंकड़े बदल जाएंगे.
गौरतलब है भीलवाड़ा की आसींद विधानसभा में जीत का अंतर सबसे कम रहा था. यहां भाजपा के जब्बर सिंह सांखला ने कांग्रेस के मनीष मेवाड़ा को 154 मतों से पराजित किया था. वहीं, पाली जिले की मारवाड़ जंक्शन सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार खुशवीर सिंह ने भाजपा के केसाराम चौधरी को 251 वोट से हराया था. इसके अलावा खेतरी, फतेहपुर, दातारामगढ़, पोकरण, सिवाणा और बूंदी सीट पर जीत-हार का अंतर 1000 से कम रहा था.
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वहीं, राज्य की 10 सीटें ऐसी थी, जिनमें जीत-हार का अंतर 1 से 2 फीसदी के बीच में था. इनमें जयपुर जिले की चर्चित मालवीय नगर विधानसभा सीट भी शामिल है. इस सीट से भाजपा के कालीचरण सराफ ने कांग्रेस की अर्चना शर्मा को 1704 वोट से हराया था. इसके अलावा चुरू, सूरजगढ़, मंडावा, मसूदा, नावां, पचपदरा, रानीवाड़ा, सांगोद, खानपुर विधानसभा सीटों पर भी अंतर 1 से 2% के बीच रहा। इनमें6 भाजपा और 4 सीटें कांग्रेस के खाते में आई थी.
उल्लेखनीय है पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 100 सीटें आईं थी और वह बहुमत के आंकड़े से 1 सीट पीछे रह गयी थी. ऐसे में अगर इन सीटों पर कुछ 100 वोटर भी पाला बदलते तो इससे पूरे राज्य के समीकरण बदल जाते. 2018 में महज एक आधी फीसदी वोट कम पाकर विपक्षी में बैठी भाजपा के खाते में 73 सीटें आईं थीं.
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