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This Article is From Oct 15, 2023

Explainer: राजस्थानियों को तीखा और मीठा दोनों पसंद है, स्वादानुसार वोट करेगी!

राजस्थान चुनावों के पिछले 30 वर्षो का इतिहास खंगालेंगे तो पाएंगे कि राजस्थान में कोई भी सरकार पांच वर्षों के बाद रिपीट नहीं हुई है और इस बार भी ऐसा ही कुछ हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा. राजस्थानियों की फितरत है कि वो मीठा और तीखा दोनों को समान रूप से पसंद करते हैं. जब मीठा ज्यादा हो जाता है, तो तीखा खा लेते हैं और जब तीखा ज्यादा हो जाए तो मीठा खा लेते है.

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Explainer: राजस्थानियों को तीखा और मीठा दोनों पसंद है, स्वादानुसार वोट करेगी!

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव निकट है और इस बार भी राजस्थान में परिपाटी बदलनी तय माना जा रही है. निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी लोक कल्याणकारी योजनाओं को लेकर भले ही भरोसे में हैं कि इस बार वो रिवाज को तोड़ देंगे और एक बार फिर सत्ता में उनकी वापसी होगी, लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि सीएम गहलोत पिछले 30 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे.

राजस्थान चुनावों के पिछले 30 वर्षो का इतिहास खंगालेंगे तो पाएंगे कि राजस्थान में कोई भी सरकार पांच वर्षों के बाद रिपीट नहीं हुई है और इस बार भी ऐसा ही कुछ हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा. राजस्थानियों की फितरत है कि वो मीठा और तीखा दोनों को समान रूप से पसंद करते हैं. जब मीठा ज्यादा हो जाता है, तो तीखा खा लेते हैं और जब तीखा ज्यादा हो जाए तो मीठा खा लेते है. प्रदेश की जनता का रवैया कुछ ऐसा ही मतदान के समय भी रहा है. 

पिछले 30 सालों का रिकॉर्ड बताता है कि राजस्थान की जनता कभी भी किसी एक पार्टी की मुरीद नहीं रही है. प्रदेश की जनता अभी तक दो प्रमुख दल क्रमशः कांग्रेस और भाजपा को बारी-बारी से चुनती आई है. वर्ष 1993 से शुरू हुआ यह सिलसिला 2018 तक जारी रहा है और संभव है 2023 में आसन्न विधानसभा चुनाव में भी यह प्रभावी रह सकता है. 

इसे राजस्थान की जनता का जनादेश ही कहेंगे कि वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश में वसुंधरा राजे की सरकार का बोलबाला था और सभी को लग रहा था कि एक बार फिर भाजपा की सरकार बनेगी, लेकिन हुआ उसका उल्टा. यह नतीजों में भी दिखा जब सरकार बनाती दिख रहीं वसुंधरा राजे सरकार महज आधी फीसदी वोट कम पाकर सत्ता से बाहर हो गई और महज आधी फीसदी वोट अधिक जोड़कर कांग्रेस 99 सीट जीतकर सत्ता में जा बैठी.

वर्ष 1993 में राष्ट्रपति शासन हटने के बाद राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भैरो सिंह शेखावत के नेतृत्व में प्रदेश में 1990 चुनाव में मिली जीत को दोहारते हुए सत्ता के करीब पहुंची और उन्होंने अपनी सरकार के पूरे पांच साल पूरे भी किए. यही वह चुनाव था, जिसके बाद राजस्थान में हर पांच वर्ष में सरकार बदलने का क्रम शुरू हुआ. वर्ष 1993 से 2023 के बीच का अंतराल अब 30 वर्ष हो चुका है. माना जा रहा है कि यह क्रम 2023 में भी जारी रह सकता है.

वर्ष 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में भैरों सिंह शेखावत की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने राजस्थान में पांच साल पूरे किए, लेकिन वहां की जनता ने वर्ष 2018 में उन्हें और भाजपा सरकार को रिपीट नहीं किया. इस चुनाव में भाजपा की पराजय हुई और कांग्रेस ने जीत दर्ज कर अशोक गहलोत पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाया. सीएम गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार पूरे पांच साल तक पूरे किए, लेकिन...

वर्ष 2003 विधानसभा चुनाव में राजस्थान की जनता ने एक बार मीठा खाने के बाद तीखा खाने का मन हुआ और उसने कांग्रेस सरकार को पटखनी देकर भाजपा के पक्ष में मतदान किया और वसुंधरा राजे के रूप में राजस्थान को पहली महिला मुख्यमंत्री मिली. राजस्थान में वसुंधरा के नेतृत्व में बनी सरकार ने बढ़िया सरकार चलाई, लेकिन जनता को फिर मीठा खाने का दिल कर गया और...

वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ वोट नहीं किया, जिससे कांग्रेस को जीत नसीब हुई और अशोक गहलोत ने दूसरी बार प्रदेश के सीएम के रूप में शपथ लिया. गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2008 से 2013 तक कार्यकाल पूरा किया, लेकिन अगली विधानसभा चुनाव में जनता ने फिर उनका साथ नहीं दिया और फिर..

वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा ने बंपर जीत दर्ज की. भाजपा 199 सीटों पर हुए चुनाव में 163 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब हुई, जबकि कांग्रेस महज 21 सीटो पर सिमट गई. वसुंधरा को जीत का श्रेय देते हुए पार्टी ने उन्हें दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाया. वसुंधरा राजे ने अपने दूसरे कार्यकाल में अच्छा काम किया, लेकिन जनता का मूड बदल चुका था, क्योंकि अब उसके मीठे खाने की बारी थी. 

वर्ष 2018 विधानसभा में लोकप्रिय वसुंधरा राजे सरकार का भी पतन हो गया. इसके साथ तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे का अवसान शुरू हो गया. कहा जाता है कि प्रदेश में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पतन के पीछे नाराज प्रदेश के 14 फीसदी राजपूत वोटर थे, जो गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर के चलते राजे से नाराज थे. कहा जाता है कि भाजपा इसी वजह से हारी, लेकिन आंकड़ों की मानें तो वजह जनता थी. 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा हारी,गहलोत तीसरी बार सीएम बने. 

2023 विधानसभा चुनाव में राजस्थान की जनता अब किसे चुनेगी? यह पहेली अब राजस्थान की जनता 25 दिसंबर को होने वाले मतदान के दिन ईवीएम में दर्ज कर सुलझा देगी,  जिसका खुलासा 3 दिसंबर मतगणना के दिन होगा. अब गहलोत के लोककल्याणकारी योजनाओं की चाशनी  का गाढ़ापन तय करेगा कि ऊंट किस करवट बैठगा. वैसे, परिपाटी की मानें तो राजस्थान की जनता इस बार भी स्वादानुसार ही वोट करेगी.

ये भी पढ़ें-Battle of Rajasthan: गहलोत और वसुंधरा को कौन देगा चुनावी टक्कर? 20 साल से बरकरार है दोनों का जलवा

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