Single Lease Case Rajasthan: राजस्थान का चर्चित एकल पट्टा भ्रष्टाचार मामले में भजनलाल सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. इस मामले में अब विधायक शांति धारीवाल की मुश्किलें बढ़ने वाली है. दरअसल एकल पट्टा भ्रष्टाचार मामले में भजनलाल सरकार ने राजस्थान हाई कोर्ट का रुख करते हुए याचिका दायर किया है. जिसमें नई जांच की मांग के साथ पुनरीक्षण याचिका वापल ली है. वहीं ट्रायल कोर्ट के फैसले को स्वीकार किया जिसमें अभियोजन को वापस लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था. अब सरकार ने दोषपूर्ण क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है.
शांति धारीवाल बरी करने वाली रिपोर्ट अधूरी
अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा और विशेष लोक अभियोजक (SPP) अनुराग शर्मा ने इन अर्जियों को अंतिम रूप दिया और राजस्थान हाई कोर्ट में फिर से व्यापक जांच की अनुमति के लिए याचिका दायर की. सरकार की अर्जी में यह दावा किया गया है कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर क्लोजर रिपोर्ट्स, जिनके आधार पर पूर्व मंत्री शांति धारीवाल और अन्य को बरी कर दिया गया था वह अधूरी और दोषपूर्ण साक्ष्य जांच पर आधारित थीं.
सरकार की अर्जी यह भी कहती है कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरएस राठौड़ की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने इस मामले की समीक्षा की थी और अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में कई गंभीर खामियों को उजागर किया था. रिपोर्ट में कहा गया कि क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने में गंभीर चूक हुई थी. जिससे महत्वपूर्ण दस्तावेजों और ठोस सबूतों की अनदेखी की गई. राजस्थान सरकार ने अब इन प्रक्रियात्मक त्रुटियों को सुधारने और भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है.
पुनरीक्षण याचिका वापस
एक अन्य महत्वपूर्ण कानूनी कदम के तहत, राजस्थान सरकार ने अपनी पुनरीक्षण याचिका वापस ले ली है. जिससे उसने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को स्वीकार कर लिया है जिसने अभियोजन को वापस लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. सरकार की इस नई अर्जी से यह स्पष्ट हो गया है कि वह अब पूरी तरह से ट्रायल कोर्ट के उस निर्णय का समर्थन कर रही है जिसमें मामले को बंद करने से इनकार कर दिया गया था.
शीर्ष कानूनी विशेषज्ञ 10 फरवरी को हाई कोर्ट में करेंगे बहस
भारत के सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एस.वी. राजू और अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा ने इस बड़े कानूनी कदम को अंतिम रूप दिया है. इन वरिष्ठ विधि विशेषज्ञों, जिन्हें राजस्थान सरकार ने नियुक्त किया है, ने इस मामले की गहन समीक्षा की है और वे 10 फरवरी को राजस्थान हाई कोर्ट में इस पर बहस करने के लिए पेश होने वाले हैं, जब इस मामले की सुनवाई संभावित रूप से होगी.
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल 29 जून 2011 को जयपुर विकास प्राधिकरण ने गणपति कंस्ट्रक्शन के मालिक शैलेन्द्र गर्ग के नाम पट्टा जारी किया था. इस मामले को लेकर आरोप लगाया गया कि इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. पुराने रिजेक्शन की जानकारी जुटाए बिना नया पट्टा जारी किया गया है. परिवादी रामशरण सिंह ने 2013 में इसकी शिकायत एसीबी से की थी. मामला बढ़ा तो तत्कालीन गहलोत सरकार ने पट्टा रद्द कर दिया था.
इस मामले में तत्कालीन एसीएस जीएस संधू समेत 6 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी. एसीबी ने इस मामले में शांति धारीवाल से भी पूछताछ की थी. बाद में इस मामले में परिवादी ने शांति धारीवाल को भी आरोपी बनाने का प्रार्थना पत्र लगाया था. इसके खिलाफ शांति धारीवाल ने हाईकोर्ट में अपील की थी. तब सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने धारीवाल को राहत देते हुए एसीबी कोर्ट में चल रही प्रोटेस्ट पिटिशन और अन्य आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने के आदेश दिए थे.
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