29 साल पहले बेटियों ने शुरू किया था कुश्ती का आखाड़ा, विदेशों में लहराया परचम... परिवार में 14 लोग कर रहे खेल कोटे से नौकरी

राजस्थान के भरतपुर जिले में दंगल की एक अनोखी प्रतियोगिता आयोजित होती है. जिसमें पूरे देश से केवल महिलायें कुश्ती लड़ने के लिए आ आती है. यह दंगल पिछले 29 साल से आयोजित किया जाता है.

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भरतपुर के दंगल में कुश्ती लड़ते हुए महिलायें.

Rajasthan News: देश में कुश्ती दंगल तो बहुत होते हैं. लेकिन राजस्थान के भरतपुर शहर में सिर्फ महिला कुश्ती दंगल का आयोजन होता है. इस कुश्ती दंगल को आयोजित होते हुए करीब 29 साल हो गए. इस महिला कुश्ती दंगल की शुरुआत के पीछे यदुवीर सिंह सिनसिनी के संघर्ष की कहानी है. यदुवीर सिंह खुद पहलवान थे और पहलवानी का उन पर ऐसा जुनून छाया कि उन्होंने अपनी बेटियों को कुश्ती अखाड़े में उतार दिया. उनकी बेटियों को कुश्ती लड़ते देख समाज के लोग ताने मारते थे. 

परिवार के 14 लोग खेल कोटे से लगे नौकरी

उन्होंने तानों को अनसुना कर अपनी बेटियों को मंजिल तक पहुंचाया और एक भांजी सहित तीनों बेटियां खेल कोटे से सरकारी नौकरी में लगने के साथ-साथ कुश्ती की कोच भी बन गई. वहीं उनके परिवार के 29 सदस्यों में से 14 खेल कोटे से नौकरी में है. यदुवीर ने अपनी बेटियों की पहलवानी की शुरुआत के साथ-साथ महिला कुश्ती दंगल की शुरुआत की. इस कुश्ती दंगल में देश के विभिन्न क्षेत्रों की महिला पहलवान शामिल होती है और यह दो दिवस तक चलता है. 

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भरतपुर के महिला दंगल में कुश्ती लड़ते हुए महिलायें

1996 में भांजियों को लड़ाई कुश्ती 

यदुवीर सिंह ने बताया कि बात सन 1995 - 1996 की है जब मैं अपनी दो भांजी और तीन बेटियों को लोहागढ़ स्टेडियम में पहलवानी के दाव पेंच सिखाने के लिए ले जाता था. उस समय समाज के लोग बेटियों को कुश्ती लड़ते देख ताने मारते थे. कई बार गुस्सा आता था लेकिन फिर मैंने  उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और उनके तानों को अनसुना कर बेटियों की कुश्ती पर ध्यान दिया. एक समय ऐसा आया जब बड़े-बड़े पहलवान उनके सामने आने से डरने लगे और जो लोग ताने मारते थे. वही लोग पीठ थप-थपा कर शाबाशी देते नजर आए.

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भरतपुर के महिला दंगल में कुश्ती लड़ते हुए महिलायें

सालों से चला रहे निशुल्क अखाड़ा 

तीन बेटियों के साथ एक भांजी ने अंतराष्ट्रीय कुश्ती में परचम लहराया और खेल कोटे से बेटी नीशू फौजदार ,कुमकुम ,और आस्था और हेमा फौजदार ने सरकारी नौकरी प्राप्त की.दो बेटी और एक भांजी शिक्षा विभाग में पी टी आई और एक बेटी एल डी सी के पद पर है.जबकि एक भांजी सीमा कुंतल बेटियों को कुश्ती की कोचिंग देती है.यदुवीर सिंह के दो बेटे है वह भी पहलवान है जो सरकारी सेवा में कार्यरत है.

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भरतपुर के महिला दंगल में कुश्ती लड़ते हुए महिलायें

अब यदुवीर सिंह के द्वारा महारानी किशोरी व्यायाम शाला के नाम से निशुल्क अखाड़ा चलाया जाता है. जहां 20 से 25 लड़कियां रहकर कुश्ती के दांव पेंच सीखती है. सरकार की ओर से भी अब उन्हें पूरी मदद की जा रही है. उनका सपना है कि भरतपुर की लड़कियां ओलंपिक में मेडल जीते.

29 साल से कर रहे दंगल का आयोजन

यदुवीर सिंह 29 साल से लगातार महिला कुश्ती दंगल का आयोजन करते आ रहे हैं और इस कुश्ती दंगल में हरियाणा, पंजाब उत्तर प्रदेश ,राजस्थान, मध्य प्रदेश गुजरात, बिहार, महाराष्ट्र आदि प्रांतों से लड़कियां. इस दंगल में भाग लेने के लिए पहुंचती है. इस कुश्ती दंगल में भारत केशरी, राजस्थान केशरी और ब्रज केसरी के किताब को लेकर कुश्ती होती है.

पहलवान यदुवीर सिंह. 

पहलवानों की होती है पूरी सुरक्षा

राष्ट्रीय पहलवान सुमन कुमारी ने बताया कि मैं देश के विभिन्न प्रांतो में कुश्ती लड़ने जाती हूं. लेकिन वहां लड़का-लड़की की कुश्ती समान रूप से नहीं होती है. वहीं भरतपुर में यदुवीर सिंह की तरफ से महिला कुश्ती दंगल का आयोजन होता है. यहां पहलवानों की सुरक्षा को लेकर के भी पूरा ध्यान दिया जाता है. वह महिलाओं को आगे बढ़ने का काम कर रहे हैं और मैं परिजनों से यही कहना चाहती हूं कि अपनी बेटियों को भी आगे लेकर के आए पढ़ाई के साथ खेल भी जरूरी है.

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