Who will the BJP New President: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Results 2024) के नतीजे के बाद देश में लगातार तीसरी बार NDA सरकार का गठन हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार पीएम पद की शपथ ले चुके हैं. पीएम मोदी के साथ-साथ उनकी कैबिनेट में शामिल सांसदों ने भी शपथ ले ली है. मंत्रिपद की शपथ लेने के बाद एनडीए सरकार ने मंत्रियों के विभाग भी फाइनल कर दिए हैं. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है. जेपी नड्डा को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने के बाद अब भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष बदले जाएंगे क्योंकि भाजपा एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर चलती है. भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की चर्चा के बीच कई नामों की चर्चा तेज है. भाजपा के कई करीबी सूत्र दावा कर रहे हैं कि इस बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजस्थान से हो सकते हैं. आइए जानते हैं कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए किन नेताओं के नामों की चर्चा है और इन नेताओं की दावेदारी में कितना दम है.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बड़े दावेदारों में दो नाम राजस्थान के नेताओं के भी हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या इस बार भाजपा को राष्ट्रीय अध्यक्ष राजस्थान से मिल सकता है.
स्पीकर पद पर नेता को रिपीट नहीं करती एनडीए
अगर NDA सरकार के पिछले दो कार्यकाल का इतिहास देखें तो स्पीकर पद पर नेता को रिपीट नहीं किया गया है. 2014 में इंदौर से सांसद सुमित्रा महाजन लोकसभा स्पीकर बनी थीं, जबकि 2019 में ओम बिरला को स्पीकर पद पर चुना गया था. लिहाज़ा उनके राजनीतिक अनुभव और सियासी क़द के हिसाब से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर उनके नाम की चर्चाएँ तेज हो गई है.
कोटा सांसद ओम बिरला के नाम की चर्चा तेज
वर्तमान में ओम बिरला कोटा बूँदी लोकसभा सीट से बतौर सांसद तीसरी बार जीतकर आए हैं. लेकिन उन्हें शुरू से ही कुशल संगठनकर्ता के रूप में जाना जाता है. संगठन में काम करने का उनका लंबा अनुभव है. उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत 1979 में छात्र राजनीति से हुई है. तब ओम बिरला कोटा महाविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे. इसके बाद कोटा भारतीय जनता युवा मोर्चा के 4 साल तक जिलाध्यक्ष रहे. फिर उन्हें राजस्थान में भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था.
6 साल तक इस पद पर रहने के बाद उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की ज़िम्मेदारी दी गई थी. इस दौरान देश भर की यात्रा कर युवाओं को भाजपा युवा मोर्चा से जोड़ने में उनकी बड़ी भूमिका रही थी.
राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में ओम बिरला की दावेदारी क्यों मजबूत
मोदी और अमित शाह के बेहद विश्वस्त माने जाने वाले ओम बिरला का सबसे मज़बूत पक्ष ये है देश के सभी राज्यों की सियासत का मिज़ाज अच्छे से समझते हैं. इस बार मोदी मंत्रिमंडल में उनको जगह नहीं मिलने से माना जा रहा है कि अगर स्पीकर पद पर उनका चयन नहीं होता है तो फिर उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावना सबसे अधिक प्रबल मानी जा रही है.
सुनील बंसलः जयपुर में जन्म, ABVP के बाद संघ होते हुए BJP में, अब अध्यक्ष बनाने की चर्चा
ओम बिरला के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए राजस्थान से दूसरा नाम सुनील बंसल का है. जयपुर के रहने वाले सुनील बंसल भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं और संघ (RSS) के पूर्व प्रचारक रहे हैं. देश में भाजपा के संगठनात्मक ढांचे को मज़बूत और हाईटेक करने में बंसल की बड़ी भूमिका रही थी. इस बार भी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बंसल को भाजपा के कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने, भाजपा के ज़मीनी तौर पर मिले फीडबैक के आधार पर रणनीति में बदलाव करने का टास्क मिला था जिसे सही ढंग से निभाने में उनकी अहम भूमिका रही थी.
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में सुनील बंसल की दावेदारी क्यों मज़बूत
इसके अलावा राज्यों की काम करने की बात करें तो सुनील बंसल के पास 2014 चुनाव के चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के प्रभारी के रूप में ज़िम्मेदारी के अलावा ओडिशा, बंगाल और तेलंगाना के प्रभारी के रूप में मिली कामयाबी भी बड़ा प्लस पॉइंट है. सुनील बंसल को यूपी में बीजेपी का चाणक्य तक कहा गया है. संघ से नजदीकी के साथ-साथ संगठन पर भी उनकी तगड़ी पकड़ है.
भाजपा अध्यक्ष की रेस में और भी कई नाम चर्चा में
राजस्थान से इन दोनों नामों के अलावा भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष का नाम भी दौड़ में शामिल है. बीएल संतोष के पास संगठन में अध्यक्ष के बाद दूसरा सबसे बड़ा पद है. भाजपा अगर इस बार दक्षिण से किसी नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाती है तो इनका नाम सबसे आगे हैं. बीएल संतोष कर्नाटक में RSS के प्रचारक रहे हैं और 2008 में कर्नाटक में भाजपा को सत्ता में उनकी बड़ी भूमिका रही थी. महाराष्ट्र से आने वाले विनोद तावड़े और हिमाचल से आने वाले अनुराग ठाकुर का भी नाम चर्चा में है.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में संघ की भूमिका अहम
जिस तरह से ख़बरें आ रही है कि संघ भाजपा के संगठनात्मक ढांचे को सरकार की छाया से अलग निकालकर मज़बूत करने की कवायद में जुटा है इस बार जिस भी नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी मिलेगी उनका फ़ोकस इस बात पर रहेगा कि सरकारी योजनाओं के प्रचार से इतर भाजपा में संगठनात्मक गतिविधियों को आगे बढ़ाया जाए और वैचारिक तौर पर कार्यकर्ता को मज़बूत किया जाए. लिहाज़ा राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम संघ की अनुमति के बिना संभव नहीं है.
यह भी पढ़ें -
राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र 3 जुलाई से, भजनलाल सरकार इस दिन पेश करेगी पहला पूर्ण बजट
वसुंधरा राजे ने शिवराज सिंह चौहान से की मुलाकात, जानें क्या हैं इसके सियासी मायने?