Bhil Pradersh Demand: 4 राज्यों के 49 जिलों को जोड़कर अलग भील प्रदेश बनाने की मांग, मानगढ़ में आदिवासियों की महारैली का समझिए मतलब

मानगढ़ धाम पहाड़ी पर आयोजित हो रहे इस आयोजन को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन काफी सतर्क है. प्रशासन ने महासम्मेलन के लिए अधिकतम 15 हजार लोगों के शामिल होने की मंजूरी दी है, लेकिन इसमें इससे कई गुना अधिक लोगों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है.

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Bhil Pradersh Demand: राजस्थान के बांसवाड़ा (Banswara)  जिले में आदिवासियों के ऐतिहासिक स्थल मानगढ़ धाम (Mangarh Dharm)  पर आज अलग भील प्रदेश की मांग को लेकर महारैली होने जा रही है. भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) द्वारा बुलाई गई इस महारैली लाखों लोगों के जुटने की बात कही जा रही है. बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत (Raj Kumar Roat) ने भी सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर इस रैली में ज्यादा से ज्यादा लोगों के जुटने की अपील की है. बीएपी की बैनर तले हो रही इस महारैली में आदिवासी समाज के एक अलग राज्य भील प्रदेश बनाने की मांग की जाएगी. इस भील प्रदेश में 4 राज्यों के 49 जिले शामिल किए जाने की बात की जा रही है. इस महारैली का नाम भील प्रदेश सांस्कृतिक महासम्मेलन दिया गया है. 

भील प्रदेश सांस्कृतिक महासम्मेलन में जुटेंगे लाखों लोग

भील प्रदेश सांस्कृतिक महासम्मेलन में राजस्थान सहित मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से लाखों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल होंगे. मालूम हो कि हर साल यह सम्मेलन 17 जुलाई को होता था, लेकिन इस  मुहर्रम के कारण से इसका आयोजन 18 जुलाई को हो रहा है. हजारों की संख्या में लोगों की उपस्थिति को देखते हुए जहां जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा व अन्य व्यवस्थाएं जारी है. वही इस सम्मेलन से जुड़े जनप्रतिनिधियों ने भी लोगों से आह्वान किया है कि वह शांतिपूर्वक इस महासम्मेलन में शामिल हो.

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भारत आदिवासी पार्टी लगातार उठा रही भील प्रदेश की मांग

इस महासम्मेलन का सबसे बड़ा एजेंडा भील प्रदेश की मांग है. आदिवासियों के अलग राज्य भील प्रदेश की मांग को लेकर भारत आदिवासी पार्टी काफी समय से मुखर है. बीते दिनों लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद संसद में शपथ लेने के दौरान भी बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने इसकी मांग की थी.

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बताते चले कि राजकुमार रोत इस समय भारत आदिवासी पार्टी के एक मात्र सांसद है. भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) से टूटकर बनी भारत आदिवासी पार्टी मात्र तीन साल में राजस्थान की तीसरी सबसे बड़ी राजनैतिक शक्ति बन चुकी है. 

भारत आदिवासी पार्टी का गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासियों बाहुल्य सीटों पर अच्छा-खासा दखल है. इन चारों राज्यों की 49 जिले और एक केंद्र शासित प्रदेश को शामिल करते हुए अलग भील प्रदेश बनाने की मांग की जा रही है. 

भील प्रदेश में किस राज्य के कौन-कौन जिले की मांग

  • गुजरात- अरवल्ली, महीसागर, दाहोद, पंचमहल, सूरत, बड़ोदरा, तापी, नवसारी, छोटा उदेपुर, नर्मदा, साबरकांठा, बनासकांठा और भरुचा
  • राजस्थान- बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बाड़मेर, जालौर, सिरोही, उदयपुर, झालावाड़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, बारां, पाली
  • मध्य प्रदेश- इंदौर, गुना, शिवपुरी, मंदसौर, नीमच, रतलाम, धार, देवास, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, अलीराजपुर
  • महाराष्ट्र- नासिक, ठाणे, जलगांव, धुले, पालघर, नंदुरबार, अलीराजपुर

 

महारैली में बनेगा भील प्रदेश का राजनीतिक प्रस्ताव 

गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के जनजाति बहुल क्षेत्र के जिलों को मिलाकर अलग भील प्रदेश की मांग तथा जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा सहित अन्य आदिवासी संगठनों द्वारा इसका आयोजन सांस्कृतिक महासम्मेलन के रूप में किया जा रहा है. आज होने वाली महारैली में भीलप्रदेश की मांग का राजनीतिक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजे जाने की तैयारी है. 

सांसद रोत सहित कई विधायक जुटेंगे

मानगढ़ धाम पर होने वाली इस महारैली में बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजकुमार रोत, बागीदौरा विधायक जय कृष्ण पटेल, आसपुर विधायक उमेश डामोर, धरियावद के विधायक,  सैलाना के विधायक एवं अन्य प्रांतों के जनप्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे और भील प्रदेश की मांग सहित अन्य मुद्दों को लेकर अपने विचार रखेंगे.

राजस्थान के मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने भील प्रदेश की मांग नकारी

भारत आदिवासी पार्टी की भीलप्रदेश की मांग को राजस्थान के जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री और भाजपा के दिग्गज आदिवासी नेता बाबूलाल खराड़ी ने नकार दिया है. खराड़ी ने कहा कि हम सामाजिक समरसता में विश्वास रखते हैं. छोटे राज्य होना चाहिए, लेकिन जाति आधारित राज्य की मांग जायज नहीं है. हमारी तरफ से ऐसा प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा जाएगा.

बाबूलाल खराड़ी ने आगे कहा कि आदिवासी क्षेत्रों के विकास को लेकर राज्य और केंद्र से फंड मिल रहा है. सरकार ने 1500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. यह बजट के अतिरिक्त है. कर्मचारियों का अलग कैडर है, भर्तियां भी हमारा ही विभाग करेगा. खराड़ी के बयान से साफ जाहिर है कि भजनलाल सरकार भील प्रदेश की मांग को सिरे से खारिज कर रही है. 

भील प्रदेश की मांग पर कांग्रेस का समर्थन

दूसरी ओर भील प्रदेश की मांग पर भारत आदिवासी पार्टी को कांग्रेस का समर्थन मिला है. कांग्रेस नेता और पूर्व टीएडी मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया का कहना है कि अलग भील प्रदेश की मांग जायज है और वह बनना चाहिए. लेकिन यह केंद्र सरकार के विवेक पर निर्भर करता है. हम भी इसकी मांग करते रहे हैं. अब देखना है कि भील प्रदेश की मांग पर आज की यह महारैली का क्या कुछ असर होता है. 

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