CM Bhajan Lal Sharma: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधायकों और जनता की नियमित सुनवाई नहीं करने वाले मंत्रियों को कड़ा संदेश दिया है. भाजपा विधायकों की बैठक में शामिल मंत्रियों को सीएम ने साफ शब्दों में कह दिया कि जनता और विधायकों की सुनवाई नियमित रूप से करनी ही होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि वे खुद जनता में जाते हैं फीडबैक लेते हैं और काम समय पर करते हैं तो फिर मंत्री और जनप्रतिनिधि किस बात में इतने व्यस्त हैं कि कार्यकर्ताओं, विधायकों और आमजन से मिलने तक का समय नहीं निकाल रहे.
सरकार के दो साल पूरे होने पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की तैयारियों की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया कि परफॉर्मेंस और जनता की सुनवाई को अब सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी.
शिकायत के बाद सीएम हुए सख्त
विधायकों और कार्यकर्ताओं की ओर से लगातार मंत्रियों की व्यस्तता की शिकायतों के बाद अब CM ने सख़्त रवैया अपना लिया है. मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित विधायक दल की बैठक में CM ने सभी मंत्रियों को दो टुक शब्दों में कह दिया है कि विधायकों और कार्यकर्ताओं की समस्याएं ना केवल सुननी पड़ेगी बल्कि उनका समाधान भी करना होगा. मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित मंत्रीपरिषद् और भाजपा विधायकों की महत्वपूर्ण बैठक में प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी, प्रेमचंद बैरवा, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग सहित पूरी मंत्रिपरिषद मौजूद रही.
कोताही बर्दाश्त नहीं होगी
बैठक में मुख्यमंत्री ने सरकार के मंत्रियों को दो टूक शब्दों में चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि जनता से जुड़ाव हर जनप्रतिनिधि की पहली और सबसे जरूरी जिम्मेदारी है और इसमें किसी भी प्रकार की कोताही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने सबका साथ-सबका विकास के साथ दोनों बजट में सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों को पैसा दिया. अब जनप्रतिनिधियों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने क्षेत्रों में लगातार रहें, जनता से फीडबैक लें और यह देखें कि सरकारी योजनाओं का लाभ किन लोगों तक समय पर पहुंच रहा है.
निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी
मुख्यमंत्री ने मंत्रियों और विधायकों से कहा कि जनसंवाद, प्रवास और फील्ड विजिट अब अनिवार्य होंगे. नए लोगों को संगठन से जोड़ना और निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी भी इसी दौरान तेज करनी होगी. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की यह दो टूक नसीहत ऐसे समय आई है जब सरकार दो साल पूरे होने के कार्यक्रमों की तैयारी कर रही है और आने वाले निकाय-पंचायत चुनावों में प्रदर्शन को लेकर भी संगठन दबाव में है. सरकार चाहती है कि उसकी योजनाओं का असर जमीनी स्तर पर दिखे और उसका राजनीतिक लाभ भी सीधे-सीधे जनता के बीच दर्ज हो.
अब सवाल यह है कि मुख्यमंत्री की इस सख्त सीख के बाद मंत्री और विधायक कितनी गंभीरता दिखाते हैं और जनता तक पहुंचने, सुनवाई करने और परफॉर्मेंस दिखाने के मोर्चे पर सरकार कितना आगे बढ़ती है.