Rajasthan CM Bhajanlal: लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद पहली बार राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा पीएम मोदी से मिलने दिल्ली पहुंचे. बैठक को लेकर ये अनुमान लगाया जा रहा था कि दोनों नेता मुलाकात में लोकसभा चुनाव के परिणामों की रिपोर्ट पर चर्चा कर सकते हैं. ये भी कहा जा रहा था कि मुलाकात के दौरान बजट को लेकर भी चर्चा संभव है.
मुख्यमंत्री ने दिल्ली में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ भी मुलाकात की. राजस्थान में बजट पेश होने से पहले वित्त मंत्री के साथ चर्चा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने साथ ही प्रधानमंत्री मोदी की नई कैबिनेट में केंद्रीय ऊर्जा, आवास एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल के साथ भी मुलाकात की. इस मुलाकात के बारे में मुख्यमंत्री ने बताया,"राजस्थान प्रदेश से जुड़े विकास व विद्युत क्षेत्र में ऊर्जा के नए स्रोतों की बढ़ोतरी, आधुनिकीकरण और नवीन टेक्नोलॉजी के उपयोग सहित विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की."
आज राजधानी दिल्ली में विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता, 140 करोड़ भारतीयों के सुख, समृद्धि और कल्याण के लिए साधनारत, भारत के 'अमृतकाल के सारथी' आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी से स्नेहपूर्ण भेंट कर उनका स्नेहिल आशीर्वाद व आत्मीय मार्गदर्शन प्राप्त किया।
— Bhajanlal Sharma (@BhajanlalBjp) June 17, 2024
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भाजपा ने मंथन बैठक में हार के कारणों की रिपोर्ट तैयार की
राजस्थान में दो दिन भाजपा मुख्यालय पर मंथन बैठक हुई. राजस्थान में 11 लोकसभा सीट पर हार के कारण का रिपोर्ट तैयार किया गया. सूत्रों का दावा है कि इस रिपोर्ट कार्ड को सीएम भजनलाल शर्मा पीएम मोदी को सौंपेंगे. सूत्रों का दावा है कि राजस्थान में पुरानी पेंशन योजन को बंद करने पर भी चर्चा करेंगे.
विपक्ष ने सेट किया आरक्षण खत्म करने का नैरेटिव
भाजपा ने 15 जून को 7 लोकसभा सीटों पर हार के कारणों पर चर्चा की थी. टोंक-सवाई माधोपुर, नागौर, बाड़मेर, सीकर, झुंझुनूं, चूरू और दौसा सीटों पर हार की समीक्षा की गई थी. इसमें विपक्ष का आरक्षण खत्म करने का डर दिखाया. इसकी वजह से SC-ST वोटर भाजपा से दूर हो गए.
आपसी गुटबाजी और संगठन की निष्क्रियता रही वजह
जातीय समीकरण के लिहाज से जाट वोट बैंक भाजपा से नाराज हो गया. राजस्थान इस बार कांग्रेस के 5 जाट नेता सांसद का चुनाव जीतने में कामयाब रहे. भाजपा की हार के कारणों पर अलग-अलग सीटों पर कहीं आपसी गुटबाजी तो कहीं संगठन की निष्क्रियता भी बड़ी वजह रही.
टिकट वितरण और बड़े नेता अपनी ही सीटों पर व्यस्त रहे
इसके अलावा कुछ नेताओं ने हार के बड़े कारणों में खराब टिकट वितरण और बड़े नेताओ का अपनी ही सीटों पर व्यस्त रहना भी बताया है. चूरू सीट पर हार के कारणों में एक बड़ा कारण चुनाव का जातीय आधार पर लड़ा जाना भी माना गया. ये भी कहा गया कि कांग्रेस इस बार भाजपा के मुकाबले अपने वोट बैंक को मजबूत करने में कामयाब रही. जबकि, भाजपा स्थानीय मुद्दों की बजाय सभी सीटों पर राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ती रही.
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