त्रिपुरा सुंदरी मंदिर पहुंचे सीएम भजनलाल शर्मा, अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए की विशेष पूजा-अर्चना

बांसवाड़ा जिले में स्थित प्रख्यात त्रिपुरा सुंदरी मंदिर मां के दरबार में अक्सर राजनेताओं का दौरा लगा रहता है, जहां राजनेता सफलता के लिए मंदिर में प्रांगण में राजनीति यज्ञ और विजय श्री हवन करवाया जाता है.

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त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में पूजा-अर्चना करते सीएम भजनलाल शर्मा

सीएम भजनलाल शर्मा आज बांसवाड़ा जिले के दौरे हैं. मुख्यमंत्री शर्मा सुबह सुबह त्रिपुरा सुंदरी माता का मंदिर पहुंचे और 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की सफलता और देश में खुशहाली की कामना को लेकर त्रिपुरा सुंदरी मां की पूजा-अर्चना की. संकट मोचन देवी के रूप में मशहूर त्रिपुरा सुंदरी माता के दर्शन के बाद राजस्थान सीएम तलवाड़ा पहुंचे, जहां वो विकसित भारत संकल्प यात्रा शिविर में शिरकत करेंगे. 

इस अवसर पर राजस्थान सीएम ने मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की और देश -प्रदेश में सर्वजन की कुशलता की कामना की. त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के पंडित दिव्य भारत पंड्या ने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा विशेष रूप से श्री राम मंदिर के लिए अनुष्ठान और पूजा अर्चना की गई.

बांसवाड़ा जिले में स्थित प्रख्यात त्रिपुरा सुंदरी मंदिर मां के दरबार में अक्सर राजनेताओं का दौरा लगा रहता है, जहां राजनेता सफलता के लिए मंदिर में प्रांगण में राजनीति यज्ञ और विजय श्री हवन करवाया जाता है.

सत्ता का सुख देने वाली देवी के रूप में मशहूर शक्तिपीठ त्रिपुरा सुंदरी देवी मंदिर आस्था का वो धाम है, जहां देश-दुनिया के बड़े से बड़े ओहदेदार नेता माता के चरणों में अपना शीश को नवाते हैं. इस शक्तिपीठ के प्रति सिर्फ स्थानीय श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि विशिष्ट और अतिविशिष्ट जनों की आस्थाएं जुड़ी हुई हैं. 

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माता त्रिपुरा सुंदरी का यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है, जो बांसवाड़ा जिले से करीब 18 किलोमीटर दूर तलवाड़ा नामर गांव में अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बना हुआ है. 

राजस्थान, एमपी, गुजरात सहित पूरे देश के कई राजनीति के दिग्गज नेता मां त्रिपरा सुंदरी देवी से आर्शीवाद लेने पहुंचते हैं. दिन में तीन बार स्वरूप बदलने के चलते त्रिपुरा सुंदरी नाम से पुकारने जान वाली माता के मंदिर के निर्माण को लेकर ऐतिहासिक लेख तो नहीं मिलते, लेकिन यहां मिले शिलालेख से पता चलता है कि सम्राट कनिष्क के काल से पहले ही यह मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र था. 

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