Year Ender 2023: कोचिंग सिटी कोटा क्यों बना 'सुसाइड हब'? 2023 में सबसे ज्यादा छात्रों ने की खुदकुशी; नए साल में नई सरकार से उम्मीदें

Kota Coaching Student Suicide: कोटा को IIT और मेडिकल की प्रतियोगी परीक्षाओं के बेहतरीन नतीजे देने के लिए जाना जाता है. लेकिन कोचिंग सिटी कोटा की फिजाओं में इस साल निराशाओं का साया ऐसा आया किया कि साल 2023 में यहां अभी तक सबसे अधिक 26 स्टूडेंटों ने आत्मघाती कदम उठाकर आत्महत्या कर ली.

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कोचिंग सिटी कोटा क्यों बना 'सुसाइड हब', 2023 में सबसे ज्यादा छात्रों ने की खुदकुशी

Year Ender 2023: खट्टी-मिठी यादों के साथ साल 2023 समाप्त होने जा रहा है. लोग नए साल के स्वागत की तैयारियों में जुटे हैं. साथ ही 2023 की यादों को फिर से ताजा भी कर रहे हैं. बीत रहा यह साल कई उपलब्धियों के लिए लंबे समय तक याद रखा जाएगा. लेकिन इस साल कई ऐसी चीजें भी हुई जिसे यादकर लोगों की आंखें भी नम होती रहेगी. बात 'कोचिंग सिटी' कोटा (Coaching city Kota) के लिहाज से करें तो इस साल कोटा को 'चंबल रिवर फ्रंट' (Chambal River Front) जैसी बड़ी सौगात तो मिली लेकिन कोचिंग स्टूडेंटों का 'सुसाइड हब' (suicide hub) बनने का दाग भी कोटा के दामन पर साल 2023 में ही लगा.

चंबल रिवर फ्रंट की मनमोहक तस्वीरें और वीडियो देख पूरी दुनिया कोटा की ओर आकर्षित हुई. लेकिन  साथ ही साथ डॉक्टर-इंजीनियर बनने का सपना लेकर देश के कोने-कोने से कोटा पहुंचे बच्चों की आत्महत्या ने कई परिवारों को कभी न खत्म होने वाला दर्द भी दिया. 

कोटा को देश भर में IIT और मेडिकल की प्रतियोगी परीक्षाओं के बेहतरीन नतीजे देने के लिए जाना जाता है. लेकिन औद्योगिक नगरी से शिक्षा नगरी में तब्दील हुए कोटा की फिजाओं में इस साल निराशाओं का साया ऐसा आया किया कि साल 2023 में यहां अभी तक सबसे अधिक 26 स्टूडेंटों ने आत्मघाती कदम उठाकर आत्महत्या कर ली. वैसे तो हर साल चुनौती पूर्ण परीक्षा, अभिभावकों की उम्मीदों का बोझ और घर से दूर अकेलेपन में जरा भी तनाव के चलते आत्महत्याओं की घटनाएं देखने को मिलती थी, लेकिन साल 2023 में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने सबको डरा दिया.

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कमेटी बनी, गाइडलाइन जारी हुई, लेकिन खुदकुशी अब भी जारी

कोटा में साल 2023 में 26 कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड मामलों के बाद जिला प्रशासन के साथ-साथ सरकार भी एक्शन मोड में नजर आई. आखिर कोटा में इतने कोचिंग स्टूडेंट क्यों सुसाइड कर रहे हैं? यह जानने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए गए. विशेषज्ञों से राय ली गई. फिर एक गाइडलाइन भी जारी की गई, जिसे कोचिंग संस्थानों को सख्ती के साथ लागू करने के लिए कहा गया. लेकिन इस गाइडलाइन के बाद भी सुसाइड की घटनाएं थमी नहीं. 

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कोटा कोचिंग इंडस्ट्री की फैक्ट फाइल.

कोटा में कोचिंग स्टूडेंटों की सुसाइड रोकने के लिए जारी हुए गाइडलाइन 

1. कोचिंग संस्थानों में चलने वाली कक्षाएं यदि निरंतर चल रही है तो टेस्ट/परीक्षा 21 दिनों की अवधि मे लिए जाए. यदि कोर्स पूरा हो चुका है तो टेस्ट/परीक्षा 07 दिन में आयोजित किया जाए.
2. टेस्ट/परीक्षा के अगले दिन आवश्यक रूप से अवकाश रखा जाना सुनिश्चित किया जाए.
3. कोचिंग संस्थानों द्वारा आयोजित टेस्ट/परीक्षा में विद्यार्थियों की उपस्थिति ऐच्छिक हो, अनिवार्य नहीं.
4. टेस्ट/परीक्षा होने के बाद उचित विश्लेषण सत्र की व्यवस्था की जानी सुनिश्चित करें. जो विद्यार्थी औसत मानदण्ड से नीचे प्रदर्शन कर रहे हैं उनके लिए विशेष परामर्श सत्र आयोजित किए जाए.
5. टेस्ट /परीक्षा के परिणाम 03 दिन बाद जारी किए जाए.
6. टेस्ट/परीक्षा के परिणामों को सार्वजनिक नहीं किया जाए. टेस्ट रिजल्ट प्रत्येक विद्यार्थी/अभिभावकों को अलग से भिजवाया जायें. यह सुनिश्चित किया जाए कि परिणामों में रैंक प्रणाली नहीं हो.

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कोटा पुलिस, प्रशासन भी दे रही कोचिंग संस्थानों को नोटिस

इस गाइडलाइन के जारी होने के बाद हुए सुसाइड के मामलों में जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाए. जिस कोचिंग संस्थान से सुसाइड का मामला सामने आया, उसको तीन दिन में जवाब तलब किया गया. लेकिन आत्महत्याओं के कारणों के पीछे की वजह जानने, काउंसलर्स की संख्या में बढ़ोतरी, मनोचिकित्सकों के लगातार मोटिवेशनल प्रोग्रामों के बाद भी घरों के चिराग बूझ ही रहे हैं. 

कोटा में फैले कोचिंग सेंटर.

कोटा पुलिस की स्पेशल सेल अब तक 6 हजार छात्रों को बन चुकी दोस्त

कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड मामलों को लेकर जिला प्रशासन के साथ कोटा में पुलिस की स्पेशल सेल भी काम कर रही है. जो हर रोज स्टूडेंट के बीच पहुंचकर उनको अपना दोस्त बनती है. कोई भी परेशानी होने पर तुरंत फोन करने की अपील करती है. स्टूडेंट सेल के प्रभारी एडिशनल एसपी ठाकुर चंद्रशील बताते हैं कि स्टूडेंट हेल्प सेल में सात-आठ पुलिसकर्मी हैं, जो हर रोज 10 से 12 हॉस्टल में जाते हैं. स्टूडेंट से बातचीत करते हैं. उनको हेल्पलाइन नंबर भी देकर के आते हैं. करीब 6 महीने में अब तक 60000 स्टूडेंट से हमारी टीम के सदस्यों ने दोस्ती कर ली हैं. 

ठाकुर चंद्रशील बताते हैं कि 6 महीना में करीब 600 स्टूडेंट्स ने डायरेक्ट शिकायतें भी दर्ज करवाई है. इसमें से 70 से 75 कोचिंग स्टूडेंट के डिप्रेशन के मामले सामने आए हैं. जिनकी हमने काउंसलर के जरिए काउंसलिंग करवाई. उनके अभिभावकों की भी काउंसलिंग की जरूरत महसूस की तो उनकी भी काउंसलिंग करवाई गई.

सामान्य दिनों में कोटा की सड़कों पर इस तरह रहती है बच्चों की भीड़.



स्टूडेंट सेल के प्रभारी एडिशनल एसपी ठाकुर चंद्रशील ने आगे बताया कि इसके अलावा फीस रिफंड सिक्योरिटी मनी वापस दिलवाने सोशल मीडिया साइबर क्राइम हॉस्टल में साफ सफाई गंदगी खाने की क्वालिटी खराब चोरी हो जाना जैसी घटनाओं के बारे में भी स्टूडेंट डायरेक्ट कोटा पुलिस की स्टूडेंट सेल से संपर्क करते हैं जिनका निस्तारण संबंधित थाने के जरिए करवाया जा रहा है. 

आखिर क्यों बूझ रहे हैं घरों के चिराग Why Kota becomes suicide hub

लेकिन इन सारी कवायदों के बाद भी यह सवाल मौजूं है कि आखिर लाखों खर्च करने के बाद कोटा में पढ़ाई कर रहे बच्चे सुसाइड क्यों कर रहे हैं. आखिर यहां घरों के चिराग क्यों बूझ रहे हैं. 2020 और 2021 में कोरोना और लॉकडाउन के कारण कोटा के सभी कोचिंग संस्थान बंद थे. ऐसे में इन दो सालों में सुसाइड का कोई मामला सामने नहीं आया. इन दो सालों को अगर छोड़ दिया जाए तो साल 2015 से लेकर 2023 में अभी तक यहां 121 बच्चों ने खुदकुशी की है. 

2015 से 2013 तक कोटा में कोचिंग स्टूडेंटों के सुसाइड के मामले. (2019-20 में कोरोना के कारण नहीं थे बच्चे)


कोटा में कोचिंग स्टूडेंटों के सुसाइड की वजह Reason Of Kota Coaching Student Suicide

कोटा में करीब 20 साल से कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड मामलों पर बेबाक राय और सुझाव देने वाले मनोचिकित्सक डॉ. भरत सिंह शेखावत ने बताया कि कोचिंग एक व्यवसाय बन गया है. जहां बच्चों को उनकी क्षमता से अधिक परिणाम देने के लिए दबाव डाला जाता है. बच्चों के अभिभावक प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम के विज्ञापनों की चमन में अपने बच्चों की क्षमताओं को भूलकर उन पर उम्मीदों का बोझ डालकर कोटा भेज देते हैं. जबकि रिजल्ट पर नजर डाली जाए तो जितने बच्चे कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए आते हैं उनमें से सफलता महज कुछ को ही हासिल होती है.

डॉ. भरत ने आगे कहा कि जरूरत अभिभावकों के काउंसलिंग की भी है और समय-समय पर बच्चों की काउंसलिंग की भी. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. सिर्फ आत्महत्याओं के मामले जब बढ़ते हैं तो सबको चिंता होने लगती है और सामान्य स्थिति जैसे ही होती है हालात वैसे के वैसे ही बन जाते हैं. डॉ. भरत सिंह शेखावत कोटा मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग अध्यक्ष भी हैं.

सितंबर में सुसाइड करने वाली यूपी की छात्रा प्रियम के रोते-बिलखते परिजन.

बच्चों की आत्महत्या के लिए पैरेंट्स ही जिम्मेदार-SC

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए बच्चों के माता-पिता को जिम्मेदार ठहराया था. एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि कोटा में बच्चों की आत्महत्या के लिए उसके पैरेंट्स ही जिम्मेदार हैं. पैरेंट्स बच्चों से उसकी क्षमता से ज्यादा उम्मीद लगा लेते हैं. इसके कारण बच्चे दबाव में आ जाते हैं और खुदकुशी जैसे कदम उठा लेते हैं।

साल 2024 से उम्मीदें

अब नए साल से उम्मीद है कि कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री में भी नया सवेरा होगा. राज्य में सत्ता बदल चुकी है. डबल इंजन की सरकार राजस्थान में बन चुकी है. अभी मंत्रिमंडल का गठन होना बाकी है. लेकिन नई सरकार में जिस तरह से नए चेहरों को तवज्जो दी जा रही है उससे लगता है कि राजस्थान सरकार समस्याओं को सुलझाने की दिशा में नई सोच के साथ आगे बढ़ेगी. अब देखना दिलचस्प होगा कि कोटा में पढ़ाई करने वाले लाखों छात्रों के लिए नई सरकार और नया साल कैसा रहता है...

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