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This Article is From Oct 08, 2023

नए जिले मालपुरा में 'बाहरी भगाओ- चंद्रभान जी वापस जाओ' के पोस्टर से हुआ कांग्रेस नेता का स्वागत

नया जिला घोषित होने के 48 घंटे से भी कम समय में यह विरोध दिखाता है कि मालपुरा में कांग्रेस की राह आसान नहीं है. मीडिया से बात करते हुए डॉ. चंद्रभान ने कहा, मुझे नही पता कि कांग्रेस किसको टिकट देगी, लेकिन राजनीति में महत्वाकांक्षा होना गलत नहीं है, अगर पार्टी टिकट देती है तो जरूर चुनाव लड़ेंगे. 

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नए जिले मालपुरा में 'बाहरी भगाओ- चंद्रभान जी वापस जाओ' के पोस्टर से हुआ कांग्रेस नेता का स्वागत
विरोध वाले पोस्टरों से हुआ कांग्रेस नेता का स्वागत

राजस्थान में मालपुरा को दो दिन पहले जिला बनाकर सीएम अशोक गहलोत ने सौगात दी है. नए जिले मालपुरा की धरती पर रविवार को एक बार फिर अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने पहुंचे कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. चंद्रभान को उस वक्त बड़ी निराशा हाथ लगी जब जनसभा में चन्द्रभान का स्वागत 'बाहरी भगाओ- चंद्रभान जी वापस जाओ' के पोस्टरों से हुआ. 

नया जिला घोषित होने के 48 घंटे से भी कम समय में यह विरोध दिखाता है कि मालपुरा में कांग्रेस की राह आसान नहीं है. मीडिया से बात करते हुए डॉ. चंद्रभान ने कहा, मुझे नही पता कि कांग्रेस किसको टिकट देगी, लेकिन राजनीति में महत्वाकांक्षा होना गलत नहीं है, अगर पार्टी टिकट देती है तो जरूर चुनाव लड़ेंगे. 

टोंक से अलग होकर मालपुरा जिला बनने के बाद कांग्रेस के नेता बीसूका उपाध्यक्ष चंद्रभान क्षेत्र में बड़ी उम्मीद के साथ पहुंचे थे कि जनता उनका जोरदार स्वागत होगा, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही देखने को मिली. वहीं, मालपुरा जिले में पीपलू की पंचायतें शामिल करने का विरोध में अनिश्चित कालीन धरना शुरू हो गया.लोगों की मांग है कि पीपलू को टोंक जिले में यथावत रखा जाए. 

चंद्रभान के विरोध में सड़कों पर 'बाहरी भगाओ, वापस जाओ' पोस्टर लगाए गए थे. आपको बता दें इस क्षेत्र से उम्मीदवारी के लिए मांगे गए आवेदन में 36 उम्मीदवारों ने यहां से टिकट के लिए आवेदन किया था. उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस की बैठक में स्थानीय और बाहरी मसले पर जमकर हंगामा हुआ था.

चंद्रभान को अपने पार्टी के नेताओं का भी साथ नहीं मिला और जनसभा से स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने भी दूरी बनाई. इस दौरान सभा में भीड़ कम दिखी और कुर्सियां भी खाली दिखीं. मीडिया से बात करते हुए चंद्रभान ने कहा कि इस क्षेत्र से मेरा पुराना नाता है और इस सीट पर चुनाव भी लड़ चुका हूं. उन्होंने कहा कि मालपुरा जिला बना है तो यह मालपुरा जिला बनाओ कोर कमेटी की जीत है. श्रेय लेने की होड़ पर वह बोले कि यह काम इतना आसान नहीं था, लेकिन हमने मुख्यमंत्री जी को समझाया और अब जिला बना है तो लाभ भी बहुत होंगे.

जनसभा मेंं खाली कुर्सियां

जनसभा मेंं खाली कुर्सियां

मालपुरा -टोडारायसिंह विधानसभा सीट में कुल मतदाता -

लगभग 2 लाख 63 हजार 

जातिगत मतदाता -

जाट - लगभग 58 से 60 हजार के बीच 
अनुसूचित जाति - बैरवा, रेगर, खटीक, कोली, हरिजन 
अन्य ओबीसी और छोटी जातियां - लगभग 45 हजार से 46 हजार के बीच
गुर्जर - लगभग 36 हजार से 38 हजार के बीच 
माली - लगभग 23 हजार से 24 हजार के बीच 
ब्राह्मण - लगभग 20 हजार से 21 हजार के बीच 
जाट - लगभग 25 हजार से 26 हजार के बीच 
वैश्य - महाजन - लगभग 13 हजार 
राजपूत - लगभग 13 हजार
मुस्लिम - लगभग 19 से 20 हजार वोट 


मालपुरा सीट का इतिहास 

मालपुरा विधानसभा क्षेत्र जिसने राजस्थान को दामोदर व्यास के रूप में पहला गृह मंत्री दिया था, यह सीट विधानसभा क्षेत्र 1951 से ही सामान्य सीट रही है और 1951 से लेकर 2018 तक मालपुरा विधानसभा क्षेत्र में 15 बार चुनाव हुए हैं. इस सीट पर सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड भाजपा के कन्हैया लाल चौधरी के नाम है. उस समय भाजपा प्रत्याशी कन्हैया लाल चौधरी ने कांग्रेस प्रत्याशी रामबिलास चौधरी को 40221 वोटों से हराया. कन्हैया लाल चौधरी को 76799 वोट मिले और रामबिलास चौधरी को महज 36578 वोट ही मिले थे.

मालपुरा सीट पर 1985 के विधानसभा चुनाव में सबसे कम अंतर से नतीजा निकला था, जब जनता पार्टी के प्रत्याशी नारायण सिंह ने कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेन्द्र व्यास को मामूली अंतर 853 वोटों से हराया था. नारायण सिंह को 34109 वोट और सुरेन्द्र व्यास को 33256 वोट मिले थे. इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता सुरेन्द्र व्यास मालपुरा से सर्वाधिक चार बार विधायक रहे. व्यास ने 1972, 1980, 1990 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में वह 1998 में  निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता.

कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री रह चुके दामोदर लाल व्यास यहां से तीन बार विधायक रहे. व्यास ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर 1951, 1957 व 1967 का चुनाव जीता. कुल मिलाकर 35 साल तक मालपुरा की राजनीति में व्यास परिवार का दबदबा रहा. पूर्व गृह मंत्री दामोदर लाल व्यास 1957 में निर्विरोध निर्वाचित हुए. व्यास ने 1967 में जयपुर के पूर्व राजघराने की राजमाता गायत्री देवी को 9020 वोटों से हराया था, जो उस जमाने की बेहद लोकप्रिय हस्ती थीं.

जनता पार्टी के नारायण सिंह दो बार 1977 व 1985 में मालपुरा से विधायक रहे, भाजपा के जीतराम चौधरी भी दो बार 1993 व 2003 में विधायक बने. वर्तमान भाजपा विधायक कन्हैया लाल चौधरी भी 2013 और 2018 का चुनाव लगातार बडे़ मार्जिन से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे हैं.  एक- एक बार, स्वतन्त्र पार्टी के जय सिंह ने 1962 का चुनाव तथा निर्दलीय रणबीर पहलवान ने भी 2008 का चुनाव जीता.

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