राजस्थान में मालपुरा को दो दिन पहले जिला बनाकर सीएम अशोक गहलोत ने सौगात दी है. नए जिले मालपुरा की धरती पर रविवार को एक बार फिर अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने पहुंचे कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. चंद्रभान को उस वक्त बड़ी निराशा हाथ लगी जब जनसभा में चन्द्रभान का स्वागत 'बाहरी भगाओ- चंद्रभान जी वापस जाओ' के पोस्टरों से हुआ.
टोंक से अलग होकर मालपुरा जिला बनने के बाद कांग्रेस के नेता बीसूका उपाध्यक्ष चंद्रभान क्षेत्र में बड़ी उम्मीद के साथ पहुंचे थे कि जनता उनका जोरदार स्वागत होगा, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही देखने को मिली. वहीं, मालपुरा जिले में पीपलू की पंचायतें शामिल करने का विरोध में अनिश्चित कालीन धरना शुरू हो गया.लोगों की मांग है कि पीपलू को टोंक जिले में यथावत रखा जाए.
चंद्रभान को अपने पार्टी के नेताओं का भी साथ नहीं मिला और जनसभा से स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने भी दूरी बनाई. इस दौरान सभा में भीड़ कम दिखी और कुर्सियां भी खाली दिखीं. मीडिया से बात करते हुए चंद्रभान ने कहा कि इस क्षेत्र से मेरा पुराना नाता है और इस सीट पर चुनाव भी लड़ चुका हूं. उन्होंने कहा कि मालपुरा जिला बना है तो यह मालपुरा जिला बनाओ कोर कमेटी की जीत है. श्रेय लेने की होड़ पर वह बोले कि यह काम इतना आसान नहीं था, लेकिन हमने मुख्यमंत्री जी को समझाया और अब जिला बना है तो लाभ भी बहुत होंगे.
मालपुरा -टोडारायसिंह विधानसभा सीट में कुल मतदाता -
लगभग 2 लाख 63 हजार
जातिगत मतदाता -
जाट - लगभग 58 से 60 हजार के बीच
अनुसूचित जाति - बैरवा, रेगर, खटीक, कोली, हरिजन
अन्य ओबीसी और छोटी जातियां - लगभग 45 हजार से 46 हजार के बीच
गुर्जर - लगभग 36 हजार से 38 हजार के बीच
माली - लगभग 23 हजार से 24 हजार के बीच
ब्राह्मण - लगभग 20 हजार से 21 हजार के बीच
जाट - लगभग 25 हजार से 26 हजार के बीच
वैश्य - महाजन - लगभग 13 हजार
राजपूत - लगभग 13 हजार
मुस्लिम - लगभग 19 से 20 हजार वोट
मालपुरा सीट का इतिहास
मालपुरा विधानसभा क्षेत्र जिसने राजस्थान को दामोदर व्यास के रूप में पहला गृह मंत्री दिया था, यह सीट विधानसभा क्षेत्र 1951 से ही सामान्य सीट रही है और 1951 से लेकर 2018 तक मालपुरा विधानसभा क्षेत्र में 15 बार चुनाव हुए हैं. इस सीट पर सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड भाजपा के कन्हैया लाल चौधरी के नाम है. उस समय भाजपा प्रत्याशी कन्हैया लाल चौधरी ने कांग्रेस प्रत्याशी रामबिलास चौधरी को 40221 वोटों से हराया. कन्हैया लाल चौधरी को 76799 वोट मिले और रामबिलास चौधरी को महज 36578 वोट ही मिले थे.
कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री रह चुके दामोदर लाल व्यास यहां से तीन बार विधायक रहे. व्यास ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर 1951, 1957 व 1967 का चुनाव जीता. कुल मिलाकर 35 साल तक मालपुरा की राजनीति में व्यास परिवार का दबदबा रहा. पूर्व गृह मंत्री दामोदर लाल व्यास 1957 में निर्विरोध निर्वाचित हुए. व्यास ने 1967 में जयपुर के पूर्व राजघराने की राजमाता गायत्री देवी को 9020 वोटों से हराया था, जो उस जमाने की बेहद लोकप्रिय हस्ती थीं.
जनता पार्टी के नारायण सिंह दो बार 1977 व 1985 में मालपुरा से विधायक रहे, भाजपा के जीतराम चौधरी भी दो बार 1993 व 2003 में विधायक बने. वर्तमान भाजपा विधायक कन्हैया लाल चौधरी भी 2013 और 2018 का चुनाव लगातार बडे़ मार्जिन से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे हैं. एक- एक बार, स्वतन्त्र पार्टी के जय सिंह ने 1962 का चुनाव तथा निर्दलीय रणबीर पहलवान ने भी 2008 का चुनाव जीता.
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