Karauli Dholpur Lok Sabha Seat: करौली धौलपुर लोकसभा सीट का परिणाम कांग्रेस के पक्ष में घोषित होने के बाद भाजपाई हार का मंथन कर रहे हैं. यहां भाजपा प्रत्याशी इंदु देवी जाटव को कांग्रेस प्रत्याशी भजनलाल जाटव (Indu Jatav vs Bhajan Lal Jatav) के सामने करारी हार का सामना करना पड़ा है. करौली धौलपुर संसदीय सीट का चुनाव कांटे की टक्कर व फंसा हुआ माना जा रहा था. लेकिन 4 जून को मतगणना के दौरान ईवीएम के पिटारे से निकले फैसले ने सभी को चौंका दिया है. कांग्रेस प्रत्याशी भजनलाल जाटव ने भाजपा की इंदु देवी जाटव को 98000 से अधिक मतों से करारी मात दी है. हार के बाद भाजपा कार्यकर्ता और संगठन पदाधिकारी मंथन कर रहे हैं.
मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ी भाजपा
करौली धौलपुर संसदीय सीट पिछले दो चुनावों में भाजपा की झोली में रही थी. लेकिन वर्ष 2024 के चुनाव में भाजपा के अरमानों पर पानी फेर दिया है. करौली धौलपुर संसदीय क्षेत्र के स्थानीय भाजपा पार्टी के कार्यकर्ता एवं संगठन पदाधिकारी की बात की जाए तो मोदी की हवा एवं उनके चेहरे पर चुनाव को फेस कर रहे थे.
क्षेत्रीय मतदाताओं का मिजाज सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, महंगाई, बेरोजगारी एवं खेती किसानी जैसे बुनियादी मुद्दों को लेकर देखा गया था. जबकि भाजपाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनकल्याणकारी योजना समेत धारा 370, राम मंदिर, हिंदुत्व व धारा 370 के मुद्दे को ढाल बनाकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे थे. स्थानीय मतदाताओं ने राष्ट्रीय मुद्दों को दरकिनार करते हुए क्षेत्रीय मुद्दों को वरीयता दी है. इस वजह से भाजपा को मात खानी पड़ी है.
दलित और एसटी वोट पर कांग्रेस की पड़ रही मजबूत
वैसे तो करौली धौलपुर संसदीय सीट आरक्षित है. इस चुनाव में भाजपा, कांग्रेस एवं बहुजन समाज पार्टी ने अपने-अपने प्रत्याशी जाटव समाज से ही घोषित किए थे. भाजपा से इंदु देवी जाटव, कांग्रेस से पूर्व मंत्री भजनलाल जाटव एवं बहुजन समाज पार्टी से विक्रम सिंह सिसोदिया चुनावी समर में रहे थे. जाटव एवं अन्य दलित समाज ने अधिकांश वोट कांग्रेस के पक्ष में किया है. वहीं एसटी का वोट भी कांग्रेस उठाने में कामयाब रही है. यही वजह रही कि करोली,सपोटरा, हिंडौन सिटी एवं डोडाभीम से कांग्रेस को बंपर लीड मिली है.
कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने धरातल पर किया काम
करौली धौलपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इस बार धरातल पर काम किया था. केंद्र सरकार की नाकामियों को आम जनता के सामने पहुंचाया गया. दलित समाज का वोट संविधान को बचाने की दुहाई देकर अधिकांश कांग्रेस के पक्ष में किया है. वही भाजपा पार्टी के कार्यकर्ता और संगठन पदाधिकारी की बात की जाए तो बैठक एवं सभाओं तक सीमित रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल एवं अन्य नेताओं ने भी सभाएं की थी. बड़े नेताओं के चेहरों को ढाल बनाकर भाजपा चुनाव जीत के दावे ठोक रही थी.
पूर्व सांसद डॉ मनोज राजोरिया का भी देखा गया विरोध
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में दो बार लगातार सांसद रहे डॉक्टर मनोज राजोरिया के विरोध का भी सामना भाजपा की इंदु देवी को करना पड़ा है. डॉ मनोज राजोरिया के खिलाफ करौली धौलपुर संसदीय क्षेत्र के लोगों में एंटी इनकम्बेंसी देखी गई थी. जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा है.
वसुंधरा राजे गुट रहा निष्क्रिय
करौली धौलपुर संसदीय सीट की हार की एक वजह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुट का निष्क्रिय होना माना जा रहा है. चुनाव के दौरान धौलपुर एवं करौली जिले में वसुंधरा राजे गुट के कार्यकर्ताओं को बिल्कुल भी वरीयता नहीं दी गई थी. विशेष कर धौलपुर जिले में वसुंधरा कूट के कार्यकर्ता निष्क्रिय रहे थे. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एवं उनके कार्यकर्ताओं की चुप्पी का भी नुकसान भाजपा को झेलना पड़ा है.
करौली की चारों विधानसभा में भाजपा को मिली करारी हार
करौली धौलपुर संसदीय क्षेत्र में करौली जिले की सपोटरा, करौली, टोडाभीम एवं हिंडौन सिटी में भाजपा को करारी हार मिली है. वही धौलपुर जिले की बाड़ी, राजाखेड़ा एवं धौलपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्लस में रही है. वही बसेड़ी विधानसभा में कांग्रेस ने बाजी मारी है.
भाजपा-कांग्रेस को कहां कितना मत मिला
- बसेड़ी कांग्रेस 18968 मतों से जीती
- बाड़ी भाजपा 6677 मतों से जीती
- धौलपुर भाजपा 24491 मतों से जीती
- राजाखेड़ा भाजपा 13825 मतों से जीती
- टोडाभीम कांग्रेस 50682 मतों से जीती
- हिंडौन सिटी कांग्रेस 16786 मतों से जीती
- करौली कांग्रेस 17590 मतों से जीती
- सपोटरा कांग्रेस 37548 मतों से जीती
- डाक मत पत्र में कांग्रेस 364 मतों से जीती
- भाजपा 431066 एवं कांग्रेस 530011 मत
- अंतिम परिणाम- कांग्रेस 98945 मतों से जीती
यह भी पढ़ें -
4 विधायक और 1 सांसद... मात्र एक साल में कैसे राजस्थान की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बनी BAP
वो विधानसभा सीट जहां से विधायक का चुनाव हारने वाला 6 महीने बाद बन जाता है सांसद