Barmer Lok Sabha Seat Result: बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल ने जीत दर्ज की है. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी और भाजपा के कैलाश चौधरी को हराया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां बड़ी जनसभा की थी, इसके बावजूद बड़े-बड़े स्टार प्रचारकों प्रचार के बाद इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी को जीत नहीं मिल पाई है. इसका सबसे बड़ा कारण रविंद्र सिंह भाटी हैं जो बीजेपी के कोर वोटर में सेंधमारी करने में सफल रहे.
बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल ने जीत दर्ज की है. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी और भाजपा के कैलाश चौधरी को हराया है.
लोकसभा की बायतु विधानसभा सीट को लेकर एक गजब संयोग बन गया है. जो इस लोकसभा चुनाव में भी बरकरार रहा है. बायतु विधानसभा सीट को लेकर यह संयोग है कि इस सीट से जो विधानसभा का चुनाव हारता है. वह 3 महीने बाद लोकसभा का चुनाव जीत जाता है.
पिछले 15 साल से यह रिकॉर्ड कायम है. 2013 के बायतु से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव चुनाव लड़े कर्नल सोनाराम चौधरी चुनाव हार गए और 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और लोकसभा चुनाव में हुए त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के दिग्गज नेता रहे जसवंत सिंह जसोल को हरा दिया.
2018 विधानसभा चुनाव में हारे थे कैलाश, 2019 में जीत गए
ऐसा ही 2018 के विधानसभा चुनाव में हुआ. जहां बायतु विधानसभा से कैलाश चौधरी ने चुनाव लड़ा लेकिन चुनाव हार गए और 2019 में भाजपा ने उन्हें लोकसभा का प्रत्याशी बनाया और उन्होंने रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज की. वहीं 2023 के विधानसभा चुनाव में उम्मेदाराम बेनीवाल ने हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से चुनाव लड़ा था, लेकिन महज 910 वोट से चुनाव हार गए थे. लोकसभा चुनाव से पहले आरएलपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए और कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी बनाया दिया इसके बाद बेनीवाल ने जबरदस्त त्रिकोणीय मुकाबले में जीत दर्ज कर ली.
भाजपा के तीसरे नंबर पर रहने के दो बड़े कारण
भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा सांसद कैलाश चौधरी पर एक बार फिर भरोसा जताते हुए प्रत्याशी बनाया था. लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में अहम भूमिका कैलाश चौधरी की थी और चुनाव के दौरान प्रियंका चौधरी और शिव से रविंद्र सिंह भाटी को टिकट नहीं दिया गया. जिसके बाद कैलाश चौधरी के खिलाफ लोगों में रोष था और लोकसभा चुनाव के बाद कैलाश चौधरी क्षेत्र में सक्रिय नजर नहीं आए. इसके अलावा रविंद्र सिंह भाटी के निर्दलीय चुनाव लड़ने के चलते भाजपा का कोर वोटर कहा जाने वाला राजपूत और मूल ओबीसी समुदाय भाजपा से छटक गया.