श्रीराम मंदिर निर्माण से शिल्पकारों को मिली संजीवनी, कई प्रांतों से मिल रहे मूर्ति बनाने के ऑर्डर

Ayodhya Shri Ram temple: अयोध्या में बन रहे भगवान श्री राम के भव्य मंदिर ने लाखों शिल्पकारों को संजीवनी दे दी है. जिन शिल्पकारों के पास पहले काम का टोटा होता था, अब उनके पास दूसरे राज्यों से भी काम के ऑर्डर आ रहे हैं. इससे उनके परिवारों की रौनक बढ़ गई है.

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भगवान श्रीराम की प्रतिमा के निर्माण में जुटे शिल्पकार.

Ayodhya Shri Ram temple: अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में स्थापित होने वाले भगवान श्रीराम की मूर्ति को लेकर भक्तों में उत्सुकता है. कुछ दिनों पहले यह बात सामने आई थी कि जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर में स्थापित होने वाले भगवान श्रीराम की प्रतिमा फाइनल हो गई है. हालांकि बाद में यह बात जानकारी सामने आई कि अभी स्थापित होने वाली प्रतिमा तय नहीं हुई है. प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्री राम की प्रतिमा के प्राण-प्रतिष्ठा के बाद उसकी झलक सार्वजनिक होगी. प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान आईने से भगवान राम सबसे पहले अपनी प्रतिमा देखेंगे. उसके बाद उसे सार्वजनिक किया जाएगा. प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है. उम्मीद है कि उस रोज रामलला की नई प्रतिमा की तस्वीरें सामने आ जाए. अयोध्या में बन रहा श्रीराम मंदिर न केवल करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है बल्कि इस मंदिर ने लाखों हाथों को काम भी दिया है. 

अयोध्या में बन रहे भगवान श्री राम के भव्य मंदिर ने लाखों शिल्पकारों को संजीवनी दे दी है. जिन शिल्पकारों के पास पहले काम का टोटा होता था, अब उनके पास दूसरे राज्यों से भी काम के ऑर्डर आ रहे हैं. इससे उनके परिवारों की रौनक बढ़ गई है. 22 जनवरी को भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियों का असर पूरे देश में दिखने लगा है. वहीं राजस्थान के अलग-अलग जिलों में मूर्ति बनाने वाले शिल्पकारों के लिए अयोध्या राम मंदिर का निर्माण संजीवनी साबित हुआ है.

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अयोध्या राम मंदिर निर्माण के साथ ऑर्डर बढ़े

बांसवाड़ा जिले में मूर्ति निर्माण के लिए प्रसिद्ध तलवाड़ा के मूर्तिकारों को पहले के मुकाबले ज्यादा ऑर्डर मिल रहे हैं. वर्षों से पत्थरों में जान डालने वाले मूर्तिकार नारायणलाल सोमपुरा ने बताया कि उन्हें मध्यप्रदेश के होशंगाबाद से भगवान राम की मूर्ति बनाने का ऑर्डर मिला है. वहां भगवान राम का मंदिर निर्माण किया जा रहा है. इस विशेष मूर्ति को बनाने के लिए अंबाजी से सफेद और चिकना पत्थर इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही मूर्तियों के ऑर्डर भी बढ़ने लगे हैं. 

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बांसवाड़ा में निर्माणाधीन भगवान श्रीराम की प्रतिमा.

मार्बल उद्योग में बांसवाड़ा की विशेष पहचान

मूर्तिकार नारायणलाल ने आगे बताया कि ज्यादातर मूर्तियों में स्थानीय तलवाड़ा व पालोदा की खदानों से निकलने वाले - संगमरमर की शिलाओं का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. गौरतलब है कि तलवाड़ा में - सोमपुरा समाज के 30 से ज्यादा परिवार मूर्तिकला व्यवसाय से जुड़े हैं. मार्बल उद्योग में बांसवाड़ा अपनी विशेष पहचान रखता है. मूर्तिकारों का कहना है कि स्थानीय मार्बल टिकाऊ और अच्छी क्वालिटी का होने की वजह से मूर्ति बनाने में बेहद उपयोगी है. इस पत्थर को मनचाहा आकार सरलता से दे सकते हैं. यही वजह है कि यहां की बनाई मूर्तियां इंग्लैंड, अमेरिका, पर दुबई, कुवैत, ऑस्ट्रेलिया तक भेजी गई हैं. इस्कॉन द्वारा भी मूर्तियों के ऑर्डर दिए गए हैं.

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एमपी से आया ऑर्डर, बना रहे 51 इंच की मूर्ति

मूर्तिकार नारायणलाल सोमपुरा ने बताया कि भगवान राम की मूर्ति निर्माण में शुद्धता और निर्मल मन से भक्ति भाव होना जरूरी है। फिलहाल सोमपुरा 51 इंच ऊंची भगवान राम की मूर्ति के निर्माण में जुटे हैं। जिसे वे 10 जनवरी को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद शहर ले जाएंगे. जहां 16 से 18 जनवरी तक मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापना की जाएगी. मूर्ति के निर्माण में किसी भी प्रकार की गलती न हो इसके लिए सुबह स्नान कर औजारों की पूजा कर काम शुरू किया जाता है। जिसके क्रम में वे पहले क्षमा याचना कर बेहतर काम करने की प्रार्थना भी करते हैं.

वागड़ के शिल्पकार भी मंदिर निर्माण में निभा रहे अहम भूमिका

वहीं अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर निर्माण में डूंगरपुर निवासी मनोज सोमपुरा मंदिर निर्माण प्रोजेक्ट में वर्तमान में ढाई साल से जुड़े हुए हैं. पत्थर की जांच करना, पत्थर की नक्काशी को देखना, पत्थर की फिटिंग, पत्थर की पहचान करने का कार्य होता है. 1990 से 1996 तक वहां पर रहे। इसके बाद 2006 तक वहां पर रहे। मंदिर शुरू होने पर डूंगरपुर शहर के मनोज सोमपुरा एल एंड टी के जरिए पिछले तीन साल से काम कर रहे हैं. 

इसी तरह ट्रस्ट से जुड़े सागवाड़ा के चंद्रशेखर सोमपुरा विश्व हिंदू परिषद ट्रस्ट के जरिए सुपरविजन का कार्य कर रहे हैं. नींव रखने के समय से काम कर रहे हैं। पत्थर की फिटिंग, कटिंग, नक्काशी करने में सुपरविजन किया. मंदिर निर्माण की जो विशिष्ट शैली, वास्तु शास्त्र व शिल्प शास्त्र सोमपुरा समाज को महारथ हासिल है। सागवाड़ा से 4 व डूंगरपुर से 2 सोमपुरा समाज के व्यक्ति मंदिर निर्माण में कार्य कर रहे हैं.

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