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Ayodhya Ram Temple: 392 स्तंभ, 44 दरवाजे और 161 फीट ऊंचाई... अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर की 20 बड़ी विशेषताएं

Ayodhya Ram Temple: अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी जोर-शोर से जारी है. 22 जनवरी को रामलला की प्रतिमा का प्राण-प्रतिष्ठा होगा. इस बीच अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर की 20 विशेषताओं से जुड़ी जानकारियां श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट ने साझा की हैं. आइए जानते हैं इन विशेषताओं को.

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अयोध्या में बन रहा श्रीराम का भव्य मंदिर.

Ayodhya Ram Temple: अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी जोर-शोर से जारी है. 22 जनवरी को रामलला की प्रतिमा का प्राण-प्रतिष्ठा होगा. इस बीच अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर की 20 विशेषताओं से जुड़ी जानकारियां श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट ने साझा की हैं. आइए जानते हैं इन विशेषताओं को.

  • अयोध्या में बन रहे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण परम्परागत नागर शैली में किया जा रहा है. नागर शैली या नागर स्थापत्य शैली मंदिर वास्तुकला की एक शैली है, जो विशेष रूप से मालवा , राजपूताना और कलिंग के आसपास के क्षेत्रों में प्रसिद्ध है. इस शैली से बनी मंदिरों में सरल घुमावदार शिखरों का उपयोग किया जाता है. 
  • अयोध्या में बन रहे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी. यह एक विशाल मंदिर होगा. बता दें कि अयोध्‍या में वर्ष 1949 से, श्रद्धालु रामलला की प्रतिमा वाले अस्थायी मंदिर में पूजा-अर्चना करते रहे हैं.  
  • अयोध्या में बन रहा राम मंदिर तीन मंजिला रहेगा. प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी. मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे. जिसका निर्माण कार्य लगभग अंतिम दौर में है. 
  • मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा.
  • मंदिर में 5 मंडप होंगे: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप
  • खंभों और दीवारों पर देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं. जो इसे देखने में और आकर्षक बनाएगी. 
  • मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा. सिंहद्वार पर सिंह की एक बड़ी सी प्रतिमा लगाई गई है. 
  • मंदिर में प्रवेश के लिए दिव्यांगजन और वृद्धों के लिए रैम्प और लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी. इससे लोगों की परेशानी कम होगी.
  • मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी.
  • परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा.
  • मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा. 
  • मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे.
  • दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है एवं तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है.
  • मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा. धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है.
  • मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है. इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है.
  • मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है.
  • मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे.
  • 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी.
  • मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी.
  • मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है. पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा.
     
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