
Dharali Tragedy: उत्तराखंड के धराली (Dharali) में आई भीषण बाढ़ के बाद राहत, बचाव और खोज अभियान युद्ध स्तर पर जारी है. उत्तराखंड सरकार ने संशोधित आंकड़ों में बताया है कि इस आपदा में कुल 68 लोग लापता हैं. इनमें भारतीय सेना के 9 जवान, राजस्थान का एक नागरिक, उत्तराखंड के 14 लोग, बिहार के 13 लोग, उत्तर प्रदेश के 6 लोग और नेपाल के 25 लोग शामिल हैं.
अत्याधुनिक उपकरणों से तलाशी अभियान
राहत और बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है.मलबे में लापता लोगों की तलाश के लिए ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (GPR) और रेस्क्यू रडार की मदद ली जा रही है. एनजीआरआई (NGRI) की एक विशेष टीम GPR का उपयोग कर रही है, जो रेडियो तरंगों के माध्यम से 50 मीटर की गहराई तक मानव उपस्थिति का पता लगा सकता है.
जिंदगी की उम्मीद में हाथों से कर रहे है खुदाई
अधिकारियों ने बताया कि GPR स्कैनिंग में ढाई से तीन मीटर की गहराई में 20 से अधिक ऐसी जगहें मिली हैं, जहां इमारतों या ढांचों के अवशेष हैं. इन जगहों पर जिंदगी के संकेत मिलने की उम्मीद से मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है और हाथों से खुदाई की जा रही है.
राहत और पुनर्वास कार्य जारी
सड़क संपर्क बहाल करने के लिए गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर लिमचागाड़ में बेली पुल का निर्माण किया गया है और डबरानी से सोनगाड़ तथा हर्षिल से धराली के बीच बाधित मार्ग को अगले दो दिनों में चालू करने का प्रयास जारी है.वही मौसम साफ होने के बाद हेलीकॉप्टरों के जरिए प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री के तहत खाद्य सामग्री और अन्य आवश्यक वस्तुएं भेजी जा रही हैं. इसके अलावा हर्षिल हेलीपैड के पास भागीरथी नदी के जल प्रवाह के रुकने से बनी अस्थाई झील को खोलने के लिए यूजेवीएन लिमिटेड और सिंचाई विभाग की टीमें काम कर रही हैं। एनडीआरएफ की दो नावें भी इस काम में मदद कर रही हैं.
आर्थिक सहायता
98 प्रभावित परिवारों को ₹5-5 लाख की आर्थिक सहायता दी गई है, और उनके लिए बेहतर राहत एवं पुनर्वास पैकेज भी तैयार किया जा रहा है. साथ ही इस आपदा में फंसे अब तक 1,308 श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है.
5 अगस्त को खीरगाड़ में आई थी अचानक बाढ़
यह आपदा 5 अगस्त को खीरगाड़ में अचानक आई बाढ़ के कारण हुई थी, जिससे धराली में कई होटल और घर जमींदोज हो गए थे. हालांकि, समय बीतने के साथ मलबे में जीवित बचे लोगों की उम्मीद कम होती जा रही है.
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