बर्खास्‍त द‍िव्‍यांग कर्मचार‍ियों को हाईकोर्ट से म‍िली राहत, व‍िभाग ने जांच के बाद की थी कार्रवाई

जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने लोकेश राठौड़ सहित तीन अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया.

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राजस्थान हाईकोर्ट. (फाइल फोटो)

राजस्‍थान हाईकोर्ट ने कम दिव्यांगता का आधार बनाकर की गई बर्खास्तगी पर बड़ा फैसला सुनाते हुए शिक्षा विभाग के आदेश को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने तीन दिव्यांग कर्मचारियों को सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि विभाग का कदम न तो विधिक प्रक्रिया के अनुसार है और न ही राजस्थान सेवा नियमों (CCA रूल्स) के तहत सही है. इसलिए आदेश रद्द किया जाता है. हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार चाहें तो नियमों और प्रक्रिया का पालन कर आगे कार्रवाई कर सकती है.

जांच के बाद सेवा समाप्त किया 

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने पैरवी की. उन्होंने बताया कि तीनों उम्मीदवार अलवर जिले के अलग-अलग सरकारी विद्यालयों में कार्यरत थे. उनकी नियुक्ति दिव्यांग कोटे में वैध प्रमाण पत्र के आधार पर हुई थी. इसके बाद विभाग ने उन्हें जयपुर के एमएमएस अस्पताल में दोबारा जांच के लिए भेजा. इस जांच में उनका दिव्यांगता प्रतिशत घटा दिया गया और विभाग ने बिना पूर्व नोटिस एवं सुनवाई का अवसर दिए उनकी सेवा समाप्त कर दी. इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

डॉक्टरों का पैनल कर रही जांच 

दरअसल, राजस्थान में हाल ही में भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी और फर्जीवाड़े के मामलों के चलते सरकार ने एक महीने पहले निर्णय लिया था कि सभी विभागों में कार्यरत दिव्यांग कर्मचारियों की पुनः जांच करवाई जाएगी. इस प्रक्रिया के तहत सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के पैनल द्वारा मेडिकल जांच कराई जा रही है और प्रस्तुत दस्तावेजों की भी गहन जांच की जा रही है. पुनः जांच में यदि नियुक्ति के समय दिए गए दिव्यांगता प्रमाण पत्र और वर्तमान रिपोर्ट में प्रतिशत का अंतर नियमानुसार अधिक पाया जाता है तो संबंधित कर्मचारियों को बर्खास्त करने की कार्रवाई की जा रही है.

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