
कोटा में मंगलवार को खूब बारिश हुई. पूरी रात रिमझिम बादल बरसते रहे. शहर में आयोजित कार्यक्रम में खलल पड़ गया. लोग बारिश से बचने के लिए इधर-उधर भागते नजर आए. वहीं दशहरा मैदान में खड़े रावण का कुछ नहीं बिगड़ा. भारी बारिश के बाद भी रावण मुस्कुराते हुए खड़ा है. लोगों ने कहा कि बारिश रावण का कुछ नहीं बिगाड़ सकी, अब दशहरे पर 2 अक्टूबर को इसका दहन होगा. रावण के पुतले को वाटरप्रूफ बनाया गया है.
पुतला तैयार करने में 4 महीने लगे
कोटा में दशहरा मैदान में 221 फीट का रावण खड़ा है. सोमवार (29 सितंबर) को इसे क्रेन की मदद से खड़ा किया गया. इससे बनाने में करीब 4 महीने लगे और 44 लाख रुपये का खर्च आया. यह पूरी तरह से वाटरप्रूफ है. बारिश में भी इस रावण के पुतले का कोई नुकसान नहीं होगा. कोटा के इस रावण का नाम एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉड्र्स में दर्ज होगा. दिल्ली के पास अब तक 210 फीट का रिकॉर्ड है. साल 2019 में चंडीगढ़ में 221 फीट रावण का पुतला तैयार हुआ था, लेकिन खड़ा नहीं हो सका. दिल्ली से आई टीम ने रावण का मेजरमेंट किया.
देखने में स्लिम और चेहरे से रौबदार लग रहा
रावण का पुतला पहले की अपेक्षा लंबा होने के कारण एकदम स्लिम लग रहा है. चेहरे पर बड़ी-बड़ी मूछें रौबदार नजर आ रही हैं. चेहरा फाइबर ग्लास से बना है. जो 25 फीट और तीन क्विंटल वजनी है. इसके 60 फीट के मुकुट में कलर्ड एलईडी लाइट लगाई गई है. मुकुट के साथ ही, ढाल में लगी एलईडी भी दमकती नजर आ रही है.

भारी बारिश में भी सीना ताने खड़ा रावण.
हरे और नीले रंग के कपड़ों से कवर किया
पुतले को लाल, हरे और नीले रंग के कपड़ों से कवर किया गया है. जो बहुत ही आकर्षक नजर आ रहे हैं. रावण को इस बार भी दशानन स्वरूप में ही बनाया गया है. इसकी तलवार 50 फीट की है. 40 फीट की जूतियां पहनाई गई हैं. पुतले में रिमोट कंट्रोल के 25 पॉइंट फिट किए गए हैं.
सीमेंट के फाउंडेशन पर हुआ खड़ा
पुतले की विशालकाय लंबाई को देखते हुए इस बार मेला प्रशासन ने रावण दहन स्थल को विजयश्री रंगमंच से बदलकर मैदान के पूर्व दिशा में कर दिया. जहां कच्ची जमीन को देखते हुए दहन स्थल पर 26 गुणा 24 का आरसीसी का सॉलिड फाउंडेशन तैयार किया गया था. इसमें आठ स्टील की जैक वाली रोड लगाईं गई थी.
आठ लोहे के रस्से से रावण को सपोर्ट दिया
साथ ही,आठ लोहे के रस्से से रावण को सपोर्ट दिया गया है. पेडस्टल पर फिश प्लेट को जॉइंट किया गया. इन पर 8 नट की चूड़ियों के द्वारा रावण का पुतला खड़ा किया गया. पुतले को खड़ा करने में 220 टन एवं 100 टन की हाइड्रोलिक क्रेन काम में ली गई.
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