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This Article is From Jun 05, 2025

Rajasthan: 95 साल का दूल्हा, 90 साल की दुल्हन ...70 साल तक लिव-इन में रहे, जब बच्चों को बताई दिल की बात तो बज गई शहनाई

Rajasthan News: नाता प्रथा के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग अब शादी के बंधन में बंध रहे हैं. इसके लिए वे पूरे रीति-रिवाज के साथ फेरे लेकर शादी कर रहे हैं. ऐसा ही एक अनूठा मामला झोथरी पंचायत समिति के गलंदर गांव में देखने को मिला,

Rajasthan: 95 साल का दूल्हा, 90 साल की दुल्हन ...70 साल तक लिव-इन में रहे, जब बच्चों को बताई दिल की बात तो बज गई शहनाई
दुल्हा रामा (95), दुल्हन जीवली देवी ( 90 )
NDTV

Unique Marriage in Dungarpur: आदिवासी समाज में नाता प्रथा के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग अब शादी के बंधन में बंध रहे हैं. इसके लिए वे पूरे रीति-रिवाज के साथ फेरे लेकर शादी कर रहे हैं. ऐसा ही एक अनूठा मामला झोथरी पंचायत समिति के गलंदर गांव में देखने को मिला, जहां 95 साल को रामा ने जीवली देवी से विवाह किया, जिसके साथ वे नाता प्रथा के तहत 70 साल से रह रहे थे. शादी में उनके पोते-पोतियां, चचेरे भाई-बहन और भतीजे सभी शामिल हुए.

गांव में 95 साल के दूल्हे की निकाली बिनौली

डूंगरपुर शहर से करीब 20 किमी दूर झोथरी पंचायत समिति के गलंदर गांव में नाता परंपरा के तहत पिछले 70 साल से लिव इन रिलेशनशिप में साथ रह रहे आदिवासी बुजुर्ग अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में विवाह बंधन में बंध गए. इस बंधन का मुख्य उद्देश्य सात जन्मों तक साथ रहना है. इसके लिए गलंदर गांव में दूल्हे की बिनोली धूमधाम से निकाली गई. इस विवाह समारोह में रामा और जेवली के चार लड़के और दो लड़कियां शामिल हुए. इनकी औसत आयु करीब 60 वर्ष है. इसमें से चार लोग सरकारी नौकरी में हैं.

70 साल बेटे-बेटियों ने धूमधाम से करवाई शादी

दरअसल, गलंदर गांव के रामा भाई (95) और जीवली देवी (90) ने कई सालों तक शादी नहीं की थी. उनके छह बच्चे हुए और उनकी शादियों के बाद उनके नाती-नातिन भी हुए. इनमें से चार सरकारी नौकरी में हैं. 70 साल के रिश्ते के बाद अब 90 की उम्र में दोनों ने शादी करने की इच्छा जताई, जिस पर उनके सभी बेटे-बेटियों ने अपने माता-पिता की धूमधाम से शादी करवाई और डीजे के साथ गांव में बिनौला भी बांटा.इस दौरान गांव वाले भी खूब नाचे.

आदिवासी समाज के लोग अधिकारों के लिए कर रहे हैं शादी

नाता प्रथा आदिवासी समाज में हजारों वर्षों से प्रचलित है. इसके तहत कोई भी आदिवासी पुरुष या महिला बिना विवाह के अपनी पसंद के दूसरे व्यक्ति के साथ रह सकते हैं. इससे पैदा हुए बच्चे को पुरुष की सभी प्रकार की संपत्ति पर अधिकार होता है, लेकिन विवाह न करने के कारण सामाजिक आयोजनों में कई तरह की बंदिशें होती हैं. नाता परंपरा के तहत आने वाली महिलाओं को बच्चों की शादी, हल्दी की रस्म, दूल्हे का स्वागत भात से करने जैसे शुभ कार्य करने का अधिकार समाज नहीं देता है.इसे देखते हुए नाता परंपरा के तहत साथ रहने वाले अधिकांश जोड़े अब विवाह के बंधन में बंध कर शुभ कार्य करने का अधिकार प्राप्त कर रहे हैं.

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