Rajasthan Politics: राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी लगे हुए हैं. हालांकि इसके अलावा BAP पार्टी और RLP पार्टी भी अपने-अपने सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारियों में हैं. ऐसे में बीजेपी कांग्रेस के लिए इन दो पार्टियों की चुनौती है. वहीं अब बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए एक और चुनौती सामने आने वाली है. राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में भूर्तपूर्व सैनिकों के संगठन ने दोनों पार्टियों के लिए चुनौती पैदा कर दी है.
दरअसल, प्रदेश गौरव सेनानी एसोसिएशन राजस्थान संगठन से जुड़े भूतपूर्व सैनिकों ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. दौसा विधानसभा उपचुनाव सहित राजस्थान में विधानसभा चुनाव के 7 सीटों पर उपचुनाव चुनाव होने हैं . लेकिन उससे पहले ही राजस्थान में भूतपूर्व सैनिको ने चुनावी मैदान मे आने को ताल ठोक दी है .
भूतपूर्व सैनिकों में है रोष
राजस्थान के भूतपूर्व सैनिक पिछली सरकार के समय से राजस्थान में हजारों किलोमीटर यात्रा की दूरी तय करके दौसा पहुंचे थे. जहां बताया जा रहा है कि दौसा पहुंचने से पहले इन भूतपूर्व सैनिकों ने 1100 किलोमीटर की दूरी की यात्रा की और जिले में अपनी मांग को लेकर यात्रा पूरी कर सैनिकों ने सिकंदरा में कहा कि पूर्व मैं गहलोत सरकार ने हमारी नहीं सुनी और मौजूदा सरकार ने भी हमारी नहीं सुनी हमें दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
बीजेपी के दिग्गज नेताओं पर आरोप
भूतपूर्व सैनिकों ने वर्तमान सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारी मांग को लेकर हम राजवर्धन सिंह राठौर से भी भी मिले लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हो पाई. क्यों कि विधानसभा चुनाव में इन्हीं नेताओं ने कहा था कि हमारी सरकार आएगी तो हम आपकी मांगों को पूरा करेंगे लेकिन हमें फिर से छोड़ दिया गया है. इन सैनिकों का आरोप तो यह भी है कि ये मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा के पास भी गए लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई. इन सैनिकों ने कहा कि राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी के यहां भी हम अपनी मांगों को लेकर गए लेकिन वहां भी कोई हम लोगों की सुनवाई नहीं कर पाया.
दौसा जिले के सिकंदरा में इन भूतपूर्व सैनिकों ने कहा कि राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी खुद सैनिक परिवार तालुक रखती है लेकिन वह भी देश के भूतपूर्व सैनिकों का सम्मान नहीं कर रही. खुद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी भूतपूर्व सैनिक रह चुके हैं लेकिन वो भी सैनिकों का सम्मान करते. इसलिए अब की बार उपचुनाव में हम भी अपना निर्दलीय उम्मीदवार उतारेंगे. अगर इन सैनिकों ने राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए यदि अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया तो निश्चित रूप से कांग्रेस को तो हनी पहुंचेगी लेकिन वर्तमान बीजेपी सरकार की जीत की उड़ान को कहीं ना कहीं बाधित कर सकती है.
क्या है भूतपूर्व सैनिकों की मांग
1. सैनिको के आरक्षण को जातिगत आधार पर न बाटकर पूर्व की तरह समान मैरिट बनाई जाये.
2. वनरक्षक भर्ती में शारिरीक दक्षता में रियायत दी जाए.
3. सुप्रीम कोर्ट में दायर एसलपी को वापस ली जाए, UEI की डिग्री को बीएसटी के समक्ष मान्यता दी जाए.
4. न्यूनतम अंको की बाध्यता समाप्त की जाए.
5. राजनितिक पदों पर भी 5 प्रतिशत आरक्षण मिले.
6. राज्य सरकार के कर्मचारियों के नियामानुसार रोजगार मे 3 बच्चें वाले माता पिता को भी लाभ मिलता है. वैसे ही राजस्थान के भूतपूर्व सैनिकों को रोजगार में लाभ मिले.
7. भूतपूर्व सैनिकों के रिक्त पदों को एक बैकलॉग के बाद उसके बच्चे को प्राथमिकता दी जाए.
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