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Explainer: राजस्थान में उपचुनाव वाली 7 सीटों पर किसका पलड़ा भारी? दांव पर लगी इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा, समझें सियासी समीकरण

Rajasthan Bypoll 2024: राजस्थान विधानसभा उपचुनाव को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की बड़ी परीक्षा माना जा रहा है. इस चुनाव में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है.

Explainer: राजस्थान में उपचुनाव वाली 7 सीटों पर किसका पलड़ा भारी? दांव पर लगी इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा, समझें सियासी समीकरण

Rajasthan News: राजस्थान की दौसा, सलूम्बर, झुंझुनू, चौरासी, खींवसर, रामगढ़ और देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान आज हो सकता है. चुनाव आयोग दोपहर 3:30 बजे दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाला है. इन 7 सीटों में से कांग्रेस के पास रामगढ़, दौसा, झुंझुनूं और देवली-उनियारा सीट थी. जबकि खींवसर पर आरएलपी, चौरासी पर बाप और सलूंबर सीट पर भाजपा का कब्जा था. हरियाणा चुनाव में जीत से उत्साहित भाजपा ने इन सभी सीटों को जीतने के लिए अलग-अलग प्लान बनाया है. वहीं लोकसभा चुनाव के बाद होने वाले इस उपचुनाव में इंडिया गठबंधन नजर नहीं आ रहा है. कांग्रेस ने भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की है.

किस सीट पर किसका पलड़ा भारी?

आदिवासी बेल्ट की सीट चौरासी पर बाप पार्टी का दबदबा है. राजकुमार रोत लगातार दो चुनाव यहां से जीत चुके हैं. वहीं खींवसर को हनुमान बेनीवाल का मजबूत गढ़ माना जाता है. देवली उनियारा और दौसा विधानसभा सीट पर गुर्जर मीणा वोट निर्णायक स्थिति में हैं. इन दोनों सीटों पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट और भाजपा सरकार के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की भी प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. झुंझुनू सीट जाट दबदबे वाली सीट है. ओला परिवार का लंबा इतिहास इस क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. भाजपा यहां कमल खिलाने की हर संभव कोशिश कर रही है. रामगढ़ और सलूम्बर सीट पर सहानुभूति कार्ड सबसे बड़ा फैक्टर रहने वाला है. सलूम्बर में भाजपा तो रामगढ़ में कांग्रेस का पलड़ा भारी है. दोनों ही जगह दिवंगत विधायकों के परिजनों को टिकट दिया जा सकता है.

भाजपा कांग्रेस सहित सभी पार्टियों ने प्रत्याशियों के नामों को लेकर मंथन पूरा कर लिया है. चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया जाएगा.

देवली-उनियारा विधानसभा सीट

टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट हरीश मीणा के सांसद बनने के बाद खाली हुई है. इस सीट पर होने वाला उपचुनाव सचिन पायलट की प्रतिष्ठा का चुनाव भी होगा. 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के हरीश चंद्र मीणा ने बीजेपी के विजय बैंसला को 19 हजार 175 वोट से हराकर लगातार दूसरा चुनाव जीता था. गुर्जर-मीणा बहुल इस सीट पर सारे समीकरण पार्टी की बजाय उम्मीदवार के अनुसार ही होते हैं. बड़ी बात है कि यह राजस्थान की उन कुछ सीटों में से एक है, जहां गुर्जर-मीणा एकजुट होकर वोट करते हैं.

देवली-उनियारा का वोट समीकरण

देवली-उनियारा विधानसभा में कुल 3 लाख 1 हजार 575 मतदाता हैं. इनमें सबसे ज्यादा 65 हजार (ST) मीणा वोटर्स हैं. इसके बाद (SC) बैरवा, रेगर, खटीक, कोली हरिजन वोटर्स की संख्या करीब 61 हजार है. करीब 57 हजार गुर्जर वोटर्स हैं. माली समाज की लगभग 12 वोट हैं. ब्राह्मण वोट करीब 15 हजार हैं. जाट वोटर्स की संख्या भी 15 हजार के करीब है. वैश्य-महाजन वोटर्स लगभग 8 हजार हैं. राजपूत वोटर्स लगभग 4 हजार हैं. मुस्लिम वोटर्स की संख्या 14 हजार है. वहीं अन्य जातियों के लगभग 58 हजार वोट हैं.

रामगढ़ विधानसभा सीट 

कांग्रेस विधायक जुबेर खान के निधन से खाली हुई अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा हरियाणा से लगती हुई सीट है. इस सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का दबदबा रहा है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी भी यहां 4 बार चुनाव जीती है. बीजेपी के कद्दावर नेता ज्ञान देव आहूजा तीन बार विधायक रहे हैं. 1990 से लेकर कांग्रेस ने यहां पर हमेशा मेव प्रत्याशी ही चुनाव में उतारा है. जबकि भारतीय जनता पार्टी यहां हिंदू को अपना प्रत्याशी बनाती है. 1990 से लेकर जुबेर खान का ही दबदबा रहा था. 2018 में  उनकी पत्नी साफिया जुबेर खान चुनाव जीती थीं. इस बार उनकी पत्नी का विरोध होने के कारण जुबेर खान को टिकट दिया और वह चुनाव जीत गए थे, लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के कारण सितंबर में उनका निधन हो गया. बीते विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जय आहूजा को टिकिट दिया और कांग्रेस से जुबेर खान को, लेकिन भाजपा में उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा होने के साथ ही सुखवंत सिंह ने बागी होकर चुनाव लड़ा और इसका नुकसान भाजपा को हुआ. कांग्रेस सहानुभूति के आधार पर जुबेर खान के परिवार से सफिया खान या जुबेर खान के पुत्र आर्यन को ही टिकट देगी.

रामगढ़ का वोट समीकरण

रामगढ़ विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 71 हजार 117 मतदाता हैं. वोटों के गणित पर नजर दौड़ाएं तो मेव समाज की सबसे ज्यादा 80 हजार वोटे हैं. इसके बाद एससी के 50 हजार वोट हैं. ऐसे ही राजपूत समाज के 35 हजार, पंजाबी/सिख के 25 हजार, जाट समाज के 15 हजार, सैनी समाज के 15 हजार, ब्राह्मण समाज के 10 हजार, बनिया समाज के 10 हजार और गुर्जर समाज के 5 हजार वोटर्स हैं. कांग्रेस का मानना है कि मेव और दलित वोट अगर कांग्रेस के पक्ष में हो जाएं तो जीत आसान होगी. क्योंकि मेव वोटों का मतदान 90 फीसदी तक हो जाता है. इसके अलावा अन्य जातियों में कांग्रेस वोट का कैडर भी है, इसलिए कांग्रेस यहां पर जुबेर परिवार को टिकट देकर सहानुभूति कार्ड खेलने की मंशा रख रही है.

सलूंबर विधानसभा सीट

सलूंबर एसटी आरक्षित सीट है. यहां लगातार तीन बार से दिवंगत अमृत लाल मीणा विधायक बने. इससे पहले कांग्रेस नेता बसंती देवी मीणा और इनसे पहले कांग्रेस नेता रघुवीर सिंह मीणा विधायक थे. विधानसभा में करीब 2.95 लाख वोटर्स हैं. इसमें पुरुष 150265 और महिला 144883 हैं. 2023 के चुनाव में भाजपा के अमृतलाल मीणा को 80086, कांगेस के रघुवीर सिंह मीणा को 65395 और भारत आदिवासी पार्टी के जीतेश कुमार को 51691 वोट मिले थे. सलूंबर में भाजपा का पलड़ा भारी है. तीन बार से विधायक रहे दिवंगत अमृतलाल मीणा के निधन के बाद सहानुभूति फैक्टर भी रहेगा, लेकिन भारत आदिवासी पार्टी और कांग्रेस ने बांसवाड़ा लोकसभा सीट जैसे यहां भी हाथ मिला लिया जो भाजपा के लिए चुनौती बन सकती हैं. इस चुनाव में उदयपुर से बांसवाड़ स्टेट मेगा हाइवे को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने और जयसमंद का पानी छोटी पाइप लाइन से ही उदयपुर भेजा जाने की मांग बड़ा चुनावी मुद्दा है. इनके अलावा महाराणा प्रताप से जुड़े चावंड स्थली को राष्ट्री स्मारक घोषित करने और सलूंबर जिले का विस्तार करके आसपुर, सांबला, धरियावाद को जोड़ने का मुद्दा भी अहम भूमिका निभाएगा.

दौसा विधानसभा सीट

दौसा विधानसभा सीट पर भाजपा सरकार के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और कांग्रेस नेता सचिन पायलट दोनों की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा दौसा से सांसद निर्वाचित हुए, उसके बाद यह सीट खाली हो गई थी. वर्ष 2013 से पूर्व यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है, लेकिन सचिन पायलट के करीबी मुरारी लाल मीणा ने इस सीट पर कब्जा जमाकर कांग्रेस को मजबूत कर दिया. पिछले दस वर्षों से भाजपा के लिए चुनौती बनी हुई है. दौसा विधानसभा सीट पर शंकर शर्मा ने साल 2013 में जीत हासिल की थी. हालांकि इसके बाद साल 2018 और 2023 में कांग्रेस उम्मीदवार मुरारी लाल मीणा से हार का सामना करना पड़ा. मुरारी लाल ने शंकर शर्मा को इस बार 31204 वोटों से शिकस्त दी. दौसा सीट पर सबसे अधिक मतदाता एसटी वर्ग के हैं. दौसा सीट पर एससी-एसटी गठबंधन भाजपा को भारी पड़ा था. इस पर जनरल वोटरों की संख्या तीसरे नंबर है. वर्ष 2023 में यहां पुरुष मतदाता 128106, महिला मतदाता 114980, कुल 243086 वोटर्स हैं. वर्ष 2024 में पुरुष मतदाता 129422 और महिला मतदाता 116590 समेत कुल 246012 मतदाता दौसा विधानसभा सीट पर हैं.

चौरासी विधानसभा सीट

किसी समय कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही चौरासी विधानसभा सीट पर अब बाप पार्टी का पूरी तरह से कब्जा हो गया है. राजकुमार रोत के सांसद बनने से खाली हुई इस सीट पर बाप पार्टी मजबूत नजर आती है. राजस्थान और गुजरात सीमा से सटी चौरासी विधानसभा क्षेत्र 90 फीसदी जनजाति बहुल विधानसभा क्षेत्र है. यह विधानसभा परंपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ रही है, लेकिन पिछले दो चुनाव में यहां पर एक नई पार्टी भारत आदिवासी पार्टी ने अपना कब्जा मजबूत किया है और यहां से वर्तमान में सांसद राजकुमार रोत ने बड़ी जीत हासिल की है. इस विधानसभा क्षेत्र का प्रमुख मुद्दा अभी भी पलायन, पानी की कमी और रोजगार का बना हुआ है. उपचुनाव में भी भारत आदिवासी पार्टी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है क्योंकि, 2018 और 2023 में हुए चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी ने एक बड़ी मार्जिन से जीत हासिल की थी. इसके चलते इस उपचुनाव में भी भारत आदिवासी पार्टी का ही पलड़ा भारी नजर आ रहा है. वर्तमान में भारत आदिवासी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर कोई चर्चा नहीं चल रही है, लेकिन अगर कांग्रेस और भारत आदिवासी पार्टी का गठबंधन होता है तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि यहां पर भारत आदिवासी पार्टी पूर्व में हुए चुनाव से भी बड़ी जीत हासिल करेगी. 2008 में यहां कांग्रेस के शंकरलाल अहारी विधायक बने थे. 2013 भाजपा के सुशील कटारा जीते, लेकिन उसके बाद 2018 राजकुमार रोत पहले बीटीपी और फिर 2023 बाप पार्टी से राजकुमार रोत विधायक बने.

झुंझुनू विधानसभा सीट

झुंझुनू जिला हरियाणा के सटा हुआ है. झुंझुनूं जिले की विधानसभा सीट विधायक बृजेन्द्र ओला के सांसद बनने के बाद खाली हो गई है. इस सीट पर विधायक के सांसद बनने से दूसरी बार उपचुनाव होगा. इससे पहले 1996 में शीशराम ओला के सांसद बनने से उपचुनाव हुआ था, जिसमें भाजपा ने अपना खाता इस सीट पर खोला था. झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र में करीब 260408 मतदाता हैं. इनमें 133995 पुरुष मतदाता और 122970 महिला मतदाता हैं. वर्ष 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बृजेंद्र ओला ने भाजपा के निषित चौधरी को 28,863 मतों से हराया. जबकि भाजपा के बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े राजेंद्र को 42,408 वोट मिले. झुंझुनू में  सबसे ज्यादा 65 हजार जाट मतदाता हैं. इनके बाद मुस्लिम समाज के 45 हजार वोटर्स हैं. वहीं, एससी के 40 हजार, राजपूत के 30 हजार, माली के 23 हजार, ब्राह्मण के 18 हजार, कुम्हार के 8 हजार, वैश्य के 7 हजार, खाती के 7 हजार, गुर्जर के 4 हजार, एसटी के 3 हजार 500, नाई के 2 हजार और स्वामी समाज के 1 हजार 500 वोटर्स हैं.

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