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राजस्थान में मटर के किसानों पर मौसम की मार, उचित दाम के लिए सरकार से लगाई गुहार

बूंदी में मटर की फसल पर मौसम की मार पड़ गई, जिससे मंडी में मटर आवक घट गई है. मंडी में पिछले साल फरवरी में मटर की 10 हजार बोरियां आईं थी जो इस बार घटकर 2500 बोरी रह गईं. 

राजस्थान में मटर के किसानों पर मौसम की मार, उचित दाम के लिए सरकार से लगाई गुहार
मंंडी में जाने के लिए तैयार मटर

Rajasthan News: बूंदी जिले की मटर मण्डी में इन दिनों मटरों की आवक हो रही है. हिण्डोली के गोल्डन मटर की मिठास राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों में फैलने लग गई है. इस बार पैदावार के कम होने के साथ-साथ उचित भाव नहीं मिल पाने से घाटे का सौदा साबित हो रही मटर की उपज पीड़ित किसानों को राहत नही दे पा रही हैं. बार-बार मौसम में बदलाव से जिले के प्रसिद्ध मटर की फसल पर असर पड़ रहा है. हालात ऐसे हो गए हैं कि पैदावार घटकर आधी रह गई. वहीं भाव भी अच्छे नहीं मिलने से किसानों में निराशा है.

मौसम ने प्रभावित की फसल

पिछले साल से रोज 10 हजार बोरी मटर की आवक हो रही थी, जो इस बार घटकर रोज 2500 बोरी ही रह गई यानी मंडी में 75 प्रतिशत मटर कम आ रहा है. पिछले साल 30 रूपये से अधिक भाव थे, इस बार 20 से 22 रुपए ही चल रहे हैं. उत्पादन घटने का सबसे बड़ा कारण किसान मौसम का अनुकूल नहीं रहना बता रहे हैं.

लागत भी नहीं निकल पाई

पीड़ित किसानों का कहना है की एक बीघा में 30 से 40 बोरी पैदा होने वाली मटर की उपज के इस बार 10 से 15 बोरी तक आ जाने के साथ-साथ गत वर्ष के भाव 30 से 32 के मुकाबले इस बार उनकी उपज को 20 से 22 रु का भाव मिल पा रहा है. जिसके चलते उनके द्वारा मुनाफा कमाना तो दूर फसल में लगाई गई लागत भी नहीं निकल पाई.

वहीं दुसरी तरफ मण्डी में मटर की उपज को उचित भाव मिलने की बात कह रहे व्यापारी मौसम की वजह से इस बार मटर की पैदावार घटने से किसानों को राहत नहीं मिल पाने की बात कह रहे हैं. हिण्डोली क्षेत्र में मटर की होने वाली बम्पर पैदावार के चलते आने वाली 10000 बोरियों के मुकाबले इस बार प्रति दिन 3000 बोरी मटर की आने की बात कह रहे हैं.

एक बीघा में 35 बोरी की जगह अब 12 बोरी ही निकल रही

किसानों ने बताया कि अच्छे मुनाफे के चक्कर में मटर की फसल उगाते हैं, लेकिन 2 साल से मौसम दगा दे रहा है. ऐसे में कई किसानों ने तो अब मटर की जगह गेहूं की बुआई करना शुरू कर दिया है, क्योंकि यह फसल घाटे का सौदा साबित होने लगी है. टमाटर में भी रोग लगने से फसल बर्बाद हो गई. किसानों ने कहा कि फसल के लिए ब्याज पर पैसे लिए थे, जिसे अब चुकाना मुश्किल हो गया है. मौसम की मार और अब मटर के पौधों की जड़ों में कालिया रोग लगने से उपज पर असर हो रहा है. जहां पहले 1 बीघा में 35 बोरी हो जाती थी, इस बार 10-12 बोरी मटर भी नहीं हो रही है. साथ ही मिठास कम होने से व्यापारी भी कम भाव में खरीद रहे हैं.

देशभर में बूंदी के मटर की डिमांड

यह ऐसी फसल है, जो रोजाना बेचकर नियमित रकम दिलवाती है. मटर का जिले में हिंडौली उपखंड क्षेत्र में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. यहां के मटर की खास बात यह है कि दाने में मिठास होती है. इस मटर को कच्चा भी खाया जा सकता है और इसका सब्जी में टेस्ट दूसरे मटर की अपेक्षा ज्यादा आता है. उत्तराखंड, पंजाब, यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, एमपी, राजस्थान समेत अन्य राज्यों में हमारे 'टेलीफोन मटर' की डिमांड रहती है. हिंडौली क्षेत्र में ही जिले में सबसे ज्यादा मटर का उत्पादन होता है. 

यहां रोज 800 से 1000 किसान मटर बेचने आते हैं. शुरुआत में सर्दी कम और बाद में रोग लगने से मटर के पौधे कमजोर हो गए, ऐसे में इस बार उत्पादन भी कम हुआ. मंडी में आवक की गति काफी कम है, इसलिए सभी निराश हो रहे हैं. बहरहाल किसानों को सरकार से आवश्यकता है कि मण्डी में उचित भाव समय पर भुगतान, टीन शैड, पक्के फर्स की ताकी उन्हें राहत मिल सके.

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