बारां में 11 सूत्री मांगों को लेकर किसानों का महापड़ाव, रेलवे ट्रैक पर उतरे लोग, परिचालन प्रभावित

राजस्थान के बारां जिले में 11 सूत्री मांगों को लेकर किसानों ने महापड़ाव दिया. किसान यहां अर्ध-नग्न होकर प्रदर्शन करते दिखे. किसानों ने कुछ देर के लिए रेलवे ट्रैक पर उतरकर नारेबाजी भी की. इससे रेल परिचालन भी प्रभावित हुआ.

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बारां में रेलवे ट्रैक पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे किसानों को समझाती पुलिस.

राजस्थान के बारां जिले में किसानों का गु्स्सा भड़क उठा है. सैकड़ों की संख्या में किसान अपनी मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. यहां गुरुवार को 11 सूत्री मांगों को लेकर किसानों ने महापड़ाव दिया. रेलवे ट्रैक पर उतरकर भी किसानों ने प्रदर्शन किया. इस कारण कुछ देर के लिए कोटा-बीना रेलवे ट्रैक का परिचालन प्रभावित भी हुआ. दरअसल बारां के छबड़ा में आज किसानों ने अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर महापड़ाव दिया. बड़ी संख्या में किसान उपखंड अधिकारी कार्यालय के सामने अर्द्ध-नग्न होकर प्रदर्शन करते नजर आए. प्रदर्शन के दौरान बारां-छबड़ा रोड को भी किसानों ने जाम कर दिया. जिससे वहां से गुजरने वाले और राजस्थान से मध्यप्रदेश की और जाने वाले वाहन चालकों को काफी परेशान का सामना करना पड़ा.

एडीएम के तंज और भड़का किसानों का गुस्सा

जाम के दौरान प्रशासन की ओर से वार्ता की गई लेकिन प्रशासन की शुरुआती कोशिश विफल रही. वार्ता के दौरान एडीएम बारां ने आज जन्माष्टमी होने पर भजन कीर्तन करने की दी नसीहत दे डाली. एडीएम की इस बात से किसान आक्रोशित हो गए और छबड़ा उपखंड कार्यालय के बाहर भजन कीर्तन की तैयारी में जुट गए. वहीं किसानों ने पिछले लम्बे समय से उपखंड कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर छबड़ा-बारां मार्ग पर जाम लगा रखा है.

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कोटा-बीना रेलवे ट्रैक पर उतरे किसान

इसके बाद किसान कोटा-बीना रेलवे ट्रैक पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे. इससे कुछ देर के लिए कोटा-बीना रेलवे ट्रैक पर परिचालन भी प्रभावित हुआ. किसान कोटा बीना रेल खण्ड के छबड़ा गूगोर रेलवे स्टेशन के समीप पटरी पर बैठ गए थे. किसानों के पटरी पर उतरने की जानकारी मिलते ही आनन-फानन में अधिकारी मौके पर पहुंचे. एडीएम ने अपने बयान के लिए माफी मांगी. इसके बाद शाम करीब 5.40 बजे किसान धरना स्थल से वापस लौट गए.

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इन 11 सूत्री मागों पर किसानों ने किया प्रदर्शन 

किसानों की 11 सूत्य मागों में खराब फसलों के लिए मुआवजा, बिजली बिल माफ करना, उचित मूल्य पर किसानों की फसलों की खरीद, किसानों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने, रसूकदार द्वारा किसानों की दबाई हुई जमीन को वापस दिलाने, किसान को सरकारी कर्मचारी की तरह सालना तय भुगतान करने सहित अन्य शामिल है.

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