'समझौते के आधार पर FIR रद्द नहीं हो सकती', नाबालिग से छेड़छाड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

यह केस साल 2022 का है. राजस्थान की गंगापुर सिटी में एक सरकारी स्कूल के टीचर विमल कुमार गुप्ता ने नाबालिग दलित छात्रा से छेड़छाड़ की थी.

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सुप्रीम कोर्ट.

Rajasthan News: नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ के एक मामले में राजस्थान हाई कोर्ट का फैसला पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समझौते के आधार पर FIR रद्द नहीं की जा सकती. छेड़छाड़ के आरोपी टीचर के खिलाफ FIR और कानूनी कार्रवाई फिर से शुरू की जानी चाहिए.

स्टाम्प पेपर पर हुआ समझौता

यह केस साल 2022 का है. राजस्थान की गंगापुर सिटी में एक सरकारी स्कूल के टीचर ने नाबालिग दलित छात्रा से छेड़छाड़ की थी. इसके बाद नाबालिग ने पॉक्सो और एससी/एसटी अधिनियम के तहत थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. उस वक्त पुलिस ने पीड़िता के CRPC 164 के तहत बयान भी दर्ज कराए थे. लेकिन बाद में आरोपी शिक्षक ने 500  रुपये के स्टाम्प पेपर पर पीड़ित पक्ष से यह लिखवा लिया कि शिक्षक के खिलाफ पीड़िता ने गलतफहमी में मुकदमा दर्ज करा दिया था, और अब आरोपी टीचर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहती.

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सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा मामला

फिर पुलिस ने भी इस समझौते के आधार पर फाइनल रिपोर्ट लगा दी. लेकिन निचली अदालत ने पुलिस की FR खारिज कर दी. निचली अदालत के फैसले को आरोपी ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी. तब हाईकोर्ट ने आरोपी की याचिका स्वीकार करते हुए FIR रद्द करने का आदेश दिया. इसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को एक समाजसेवी रामजी लाल बैरवा ने सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दे दी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग भी हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर पक्षकार बना. इसी केस की सुनवाई के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया.

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