Analysis: राजस्थान में महिलाओं को 10 हजार रुपये सलाना देने के पीछे क्या है कांग्रेस का सियासी गणित

'गृह लक्ष्मी गारंटी योजना' के अंतर्गत गृहणियों को 10 हजार रुपये सालाना दिए जाएंगे. कांग्रेस को उम्मीद है कि इस ऐलान से महिला वोटरों को अपने पक्ष में करने में मदद मिलेगी. आइए जानते हैं राजस्थान में कांग्रेस के इस चुनावी वादे के पीछे की कहानी.

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झूंझुनू में जनसभा को संबोधित करने के बाद चुनावी वादों का पोस्टर हाथों में लिए खड़े कांग्रेसी नेता.

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए लोक लुभावन वादों की शुरुआत हो गई है. शुरुआत की है कांग्रेस ने. बुधवार को झुंझनू पहुंची कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने गृह लक्ष्मी गारंटी योजना (Griha Lakshmi Guarantee Scheme) की घोषणा की. कांग्रेस का दावा है कि यदि उनकी सरकार रिपीट हुई तो वो प्रदेश के सभी परिवारों की महिला मुखिया को साल में 10 हजार रुपए देंगे. इसके साथ-साथ प्रियंका ने 500 रुपए में मिल रहे गैस सिलेंडर को एक करोड़ से ज्यादा लोगों को देने की घोषणा भी की. अभी प्रदेश में करीब 76 लाख लोगों को यह लाभ मिल रहा है. कांग्रेस की ये दोनों चुनावी वादों महिलाओं से जुड़ी है. लेकिन गृह लक्ष्मी गारंटी योजना की चर्चा ज्यादा है. कांग्रेस इन दोनों चुनावी वादों से क्या हासिल करना चाहती है. आखिर इस गारंटी की घोषणा के पीछे कांग्रेस का सियासी गणित है, आइए जानते हैं इस NDTV राजस्थान की इस स्पेशल रिपोर्ट में.

'गृह लक्ष्मी गारंटी योजना' के अंतर्गत गृहणियों को 10 हजार रुपये सालाना दिए जाएंगे. इससे पहले मध्यप्रदेश और तेलंगाना में भी कांग्रेस इसी तरह का वादा कर चुकी है. इससे पहले कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव में भी गृहणियों को 2000 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की थी. पार्टी को कर्नाटक में शानदार जीत मिली थी. कांग्रेस को उम्मीद है कि इस एलान से महिला वोटरों को अपने पक्ष में करने में मदद मिलेगी.

कितनी अहम हैं महिला वोटर?
राजस्थान में 25 नवंबर को वोटिंग होनी है. सवा 5 करोड़ वोटर इस दिन प्रदेश का भविष्य तय करेंगे. इनमें ढाई करोड़ महिला वोटर हैं. पिछले कुछ चुनाव के ट्रेंड को देखें तो पता चलता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा वोट करती हैं. 2003 के चुनाव में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 64.21 था, वह 2018 में 74.68% पहुंच गया. यानी महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बीस वर्षों में 10% बढ़ गया.

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2018 में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा वोट किया था. उस साल पुरुषों ने 73% तो महिलाओं ने 74% वोटिंग की थी. यहां यह भी दिलचस्प है कि जहां महिला और पुरुषों के वोट में 1% का अंतर था, वहीं भाजपा और कांग्रेस को मिले मतों में सिर्फ 0.53% का अंतर था.

महिलाएं घूंघट से निकलनी चाहिए... कई बार दोहरा चुके गहलोत

निर्वाचन विभाग ने बताया है कि 2023 के चुनाव में पुरुषों के मुकाबले 80 हजार ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं. इससे साफ है कि महिला मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. सीएम गहलोत खुद कई बार यह दोहरा चुके हैं कि महिलाओं को घूंघट ने निकलना चाहिए.

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कांग्रेस की महिला वोटरों पर नजर 

कांग्रेस लंबे समय से महिला वोटरों को अपने पाले में करने का प्रयास कर रही है. गहलोत सरकार ने इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना के जरिए महिला वोटरों को साधने की कोशिश की. करीब 1.35 करोड़ महिलाओं को इस योजना के तहत स्मार्टफोन देने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी. 

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इसके अलावे उज्ज्वला गैस कनेक्शन धारकों को 500 रुपये में सिलिंडर और अन्नपूर्णा फ़ूड पैकेट योजना भी महिलाओं को ध्यान में रख कर चलाई गई थी. इसके लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर महंगाई राहत कैम्प लगाए.

मुख्यमंत्री ने लाभार्थी संवाद के जरिये महिलाओं से बात भी की थी. स्वयं मुख्यमंत्री इन योजनाओं के बारे में बात करते हुए महिलाओं को होने वाले फायदे के बारे में बताते रहे. और अब गृह लक्ष्मी गारंटी योजना की घोषणा के जरिए कांग्रेस आधी आबादी को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है.

क्या महिलाओं को आकर्षित करेगी यह घोषणा?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घोषणा के बाद कहा कि इससे बुजुर्ग महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि महिला अपने घर के बच्चों को पैसे देना चाहेगी तो उसे किसी से मांगना नहीं होगा. उन्होंने इस राशि को सम्मान से जोड़ा. 

प्रियंका गांधी की सभा समाप्त होते ही NDTV राजस्थान ने कुछ महिलाओं से बात की. 65 वर्षीय बेनी देवी ने कहा, 'मेरे बेटे को नौकरी नहीं मिली है, मैं चाहती हूं कि सरकार उसे नौकरी दे. 10 हजार रुपये से क्या होता है?' 


वहीं एक दूसरी महिला ने कहा कि इस राशि से महिलाओं को फायदा होगा. यह राशि उनके पास पॉकेट मनी के रूप में रहेगी, जिसे वे कभी भी इस्तेमाल कर पाएंगी. यह महिलाओं के लिए अच्छी योजना है. 

महिलाओं की मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिलीं. ऐसी महिलाएं ज्यादा मिलीं जो इस राशि पर रोजगार और दूसरी सुविधाओं को तवज्जो देने की बात कर रही थीं.

आज की सभा से कांग्रेस ने घोषणाओं की शुरुआत कर दी है. हालांकि भाजपा ने अभी कोई ऐलान नहीं किया है. दोनों दलों के घोषणापत्र भी जारी नहीं हुए हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी अपने पिटारे से क्या निकालती है और जनता पर उसका कितना असर होता है.

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