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हाथरस वाले भोले बाबा के अलवर आश्रम में लड़कियों-महिलाओं को लेकर सामने आई बड़ी बात

अलवर के सहजपुरा में बाबा के आश्रम को लेकर बड़े राज सामने आए हैं. बाबा गांव के लोगों को आश्रम में घुसने नहीं देता था, लेकिन लड़कियों को आश्रम में बिना रोकटोक के प्रवेश की इजाजत दी जाती थी.

हाथरस वाले भोले बाबा के अलवर आश्रम में लड़कियों-महिलाओं को लेकर सामने आई बड़ी बात
अलवर के सहजपुुरा गांव में बाबा का आश्रम

Hathras Stampede: हाथरस में जिस भोले बाबा 'नारायण हरि' के सत्संग में भगदड़ के दौरान 121 लोगों की मौत हुई है. उन्हीं भोले बाबा के अलवर आश्रम से चौंकाने वाले राज सामने आए हैं. जिस गांव में बाबा का आश्रम है, वहां के लोगों ने नारायण हरि पर गंभीर आरोप लगाए हैं. लोगों का कहना है कि जब बाबा आश्रम में आता था, तो गांव वालों को आश्रम में नहीं जाने दिया जाता था, सिर्फ बाहर से आए लोग और श्रद्धालुओं को एंट्री मिलती थी. 

अलवर के सहजपुरा में है बाबा का आश्रम

दरअसल, हाथरस के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के गांव फुलरई में आयोजित भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मचने के कारण 121 लोगों की मौत गई. मरने वालों में सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चे शामिल थे. घटना के बाद से बाबा नारायण हरि उर्फ भोले बाबा फरार है. बताया जा रहा है कि नारायण हरि के पश्चिमी यूपी, राजस्थान और हरियाणा में कई आश्रम हैं. इसी तरह राजस्थान के अलवर में खेड़ली उपखंड के गांव सहजपुरा में भी बाबा का एक आश्रम है. 

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सहजपुरा गांव में करीब डेढ़ बीघा जमीन पर बाबा का आश्रम बना हुआ है. यहां पर बाबा ने पूर्व में आकर कई बार सत्संग कार्यक्रम का अयोजन किया था, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जुटी थी. 2019-20 के करीब कोरोना काल में बाबा सहजपुरा के ही आश्रम में 9-10 महीने लगातार रहे थे.
 

अलवर के जिस गांव में बाबा का आश्रम है, उस गांव के लोगों ने बताया कि बाबा के इस आश्रम में गांव के लोगों को आने-जाने से रोक दिया जाता था. उस समय सिर्फ बाहर के ही लोग और श्रद्धालु को आश्रम में आने-जाने की अनुमति दी जाती थी.

सहजपुरा के आश्रम पर खुला बड़ा राज

सहजपुरा गांव के लोगों ने बाबा के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि हाथरस में जो 121 लोगों की जान गई है, उसका जिम्मेदार बाबा ही है. उसको जेल होनी चाहिए. बाबा गांव के लोगों को आश्रम में घुसने नहीं देता था, लेकिन लड़कियों को आश्रम में बिना रोकटोक के प्रवेश की इजाजत दी जाती थी. गांव वालों का कहना है कि अंदर आश्रम में क्या होता था, यह किसी को नही बताया जाता था. 

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लोगों का कहना है कि अगर बाबा दोषी नहीं है तो उनको पब्लिक के सामने आना चाहिए और जो घटना हुई है, उन पीड़ित लोगों की सहायता करनी चाहिए. जिस व्यक्ति ने आश्रम के लिए जमीन बेची थी, उसने आरोप लगाया कि मैंने डेढ बीघा के क़रीब जमीन बिक्री की थी. जिसपर आश्रम बनाया गया है और इसके सामने कुछ हिस्सा है, जिस पर बाबा के सेवेदार का कमरा बना हुआ है, वह मेरी जमीन है. जिसको बाबा ने जबरन कब्जा लिया था. यह जमीन 2008-09 के क़रीब मैंने बाबा के कमेटी के लोगो को बिक्री की थी. 2010 के क़रीब इस आश्रम का बनने का काम चालू हो गया था.

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