Rajasthan News: राजस्थान के करौली जिले में रियासतकालीन से परंपरा चली आ रही है. जिसके अनुसार मिनी ब्रज के मदनमोहन, राधा, ललिता, इन तीनों विग्रह को एक साथ चांदी के हिंडोले में बैठाकर मंदिर के पुजारी के द्वारा झूला झुलाया जाता है. विशेष बात है कि केवल होली के दूसरे दिन धुलंडी (होली की पूर्णिमा) पर इन तीनों विग्रह के मंदिर से बाहर चांदी के झूला में दर्शन होते है. बाकि के दिन अंदर से दर्शन हो पाते है. भक्त दर्शन कर खुशहाली की मिन्नत मांगते हुए नजर आते हैं.
चांदी के हिंडोले में बैठकर झूलते हैं भगवान
इतिहासकार वेणुगोपाल ने बताया कि इस दिन प्रसाद अधिक बनाया जाता है. क्योंकि गोडीय संप्रदाय की पूजा पद्धति के अनुसार सेवा पूजा होती है और विशेष आयोजन जो होता है. इसमें सावनी तीज और होली की पूर्णिमा के दिन मंदमोहन एवं गोपाल जी अपने-अपने मंदिर के बाहर चांदी के हिंडोले मैं झूलते है.
इन दिनों मंदिर में पूरे आरतियां के साथ-साथ उत्सव मेला होता है. मंदिर में विशेष सजावट होती है रिसायकल में राजा मंदिर मैं पधारकर मदनमोहन और गोपाल जी को स्वयं झुलाया करते थे. अब वर्तमान में कृष्ण चंद पाल यदि करौली में रहते है तो कुछ समय झुला झुलाते आते हैं.
श्रद्धालुओं का उमड़ता है सैलाब
इस दिन शहर सहित आसपास के क्षेत्र के लोग भगवान मदनमोहन के दर्शन करने के लिए पहुंचते है. शहर सहित अन्य क्षेत्र में मंगला से होली खेली जाती है उसके बाद मंदिर के कपाट बंद हो जाते है. शाम 4 बजे मंदिर के कपाट खुलते हैं. उस वक्त हजारों की तादाद में भक्त मंदिर में चांदी के हिंडोले में विराजमान भगवान मदनमोहन जी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.
सुरक्षा के रहते हैं पुख्ता इंतजाम
जिला पुलिस और मंदिर ट्रस्ट की तरफ से आन वाले कृष्ण भक्तों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से सैकड़ों जवान तैनात रहते हैं. वहीं मंदिर ट्रस्ट के द्वारा भी गार्ड लगाए जाते है. जिससे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी झेलनी नहीं पड़े. क्योंकि धुलंडी के शाम 4 बजे से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोगों की दर्शन करने के लिए भारी संख्या में कतार लग जाती है.
इसके कारण पुख्ता इंतजामात किए जाते हैं. वहीं बाजारों में मुख्य चौराहे जैसे फ़ुटाकोट, बड़ा बाजार, हिंडौन दरवाजा, गणेश दरवाजा सहित अन्य संवेदनशील प्वाइंट पर पुलिस बल तैनात रहता है.
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