
Vrindavan Holi 2025: होली का नाम आए और उत्तर प्रदेश के वृंदावन का जिक्र न हो ऐसा कैसे हो सकता है. प्रियाकांत जू मंदिर में इस वर्ष होली का उत्सव धूमधाम से मनाया गया. यहां 7 प्रकार की होलियों के रंगों में श्रद्धालु पूरी मस्ती में झूमते नजर आए. मंदिर में विशेष रूप से देवकीनंदन महाराज ने हाइड्रॉलिक पिचकारी से टेसू के रंग बरसाए, जिससे मंदिर प्रांगण में केसरिया छटा फैल गई. इस दौरान पूरा महौल रंगों में डूबा नजर आया.
होली के रंग में सराबोर मंदिर
इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु राधा और कृष्ण के स्वरूपों के साथ नाचते-गाते हुए होली के रंगों में रंगे दिखाई दिए. उन्होंने गोप-ग्वाल की परंपरा को साकार करते हुए द्वापर युग का अहसास कराया. देवकीनंदन महाराज ने राधा-कृष्ण विग्रह को गुलाल लगाकर इस पावन पर्व की शुरुआत की. इसके साथ ही मंदिर प्रांगण में देश भर से आए श्रद्धालुओं के बीच गुलाल उड़ने लगा.
लठ्ठमार होली और फूलों की होली
मंदिर प्रांगण में बने मंच पर लोक कलाकारों ने ब्रज की प्रसिद्ध 'होरी रे रसिया' का गायन किया. इस मौके पर राधा और कृष्ण के स्वरूपों के साथ गोपी-ग्वाल बनकर कलाकारों ने कृष्ण लीला का सुंदर मंचन किया, जिसमें हास-परिहास और आनंद का अद्भुत मिश्रण था. वहीं लट्ठमार होली के बाद फूलों की होली खेली गई. मधुर भजनों और होली के गीतों पर नाचते-गाते श्रद्धालुओं पर उड़ते रंग-बिरंगे गुलाल ने सतरंगी छटा बिखेर दी.
ये भी पढ़ें- विश्वप्रसिद्ध पुष्कर होली उत्सव का भव्य आयोजन, राजस्थानी कलाकारों की प्रस्तुति पर झूंम उठे विदेशी पर्यटक