आप हर रोज़ सुबह एक नई जगह पर हों , ऐसा किसे अच्छा नहीं लगता, पर अपने स्थाई घर पर रहते हुए यह कहाँ संभव हो पाता है. अपने इस सपने को साकार करने के लिए अजमेर के धोला भाटा निवासी विवेक शर्मा ने पहियों पर घर बनाने का सोचा, परंतु भारत में इस प्रकार की जीवनशैली अभी उतना प्रचलन में नहीं है, इसलिए इसे संभव कर पाना इतना आसान भी नहीं था. लेकिन अब 6 साल कड़ी महनत के बाद विवेक ने अपना पहला मोटर होम तैयार कर लिया.
पति पत्नी बुजुर्ग माँ और दो बच्चे रहते हैं कैंपर वेन में
इस वेन में विवेक और उनका पूरा परिवार, उनकी 70 वर्ष की माताजी, पत्नी व दो बच्चे रहते है . शुरुआत में विवेक ने छोटी यात्राओं से प्रारंभ किया, जिसमें वो अपना भोजन, सोना, रहना, सब कैंपर वैन में ही सुनिश्चित करते थे और आज लगभग साल में 8 से 10 महीने अपने इस कैंपर वैन में ही रहकर बिताते हैं.
सुविधाओं से लैस है कैंपर वैन
अपनी वर्तमान वैन को विवेक ने एक ट्रक से तैयार किया जिसमें एक छोटे घर की सभी सुविधाओं को सहेजने की कोशिश की है, जैसे की बिजली के लिए सोलर, पानी के लिए एक 550 लीटर का वॉटर टैंक, सोने के लिए पाँच लोगों हेतु व्यवस्था, भोजन बनाने के लिए एक व्यवस्थित किचन, कपड़े धोने के लिए वॉशिंग मशीन, स्नान शौच इत्यादि के लिए एक वॉशरूम आदि सुविधाओं को नियोजित किया है.
लद्दाख़, उत्तराखंड, हिमाचल समेत कई राज्यों में कर चुके हैं सफर
अपने इस कैंपर वैन में हम अभी तक दो बार लद्दाख़ जैसे अति दुर्गम इलाक़े में भी सफ़र कर चुके हैं. इसके अलावा जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल, समेत कई राज्यों में कैंपर वैन से अभी तक लगभग 50 हज़ार से अधिक किलोमीटर का सफ़र तय सफर कर चुके हैं.
कई चुनौतियां भी हैं
भारत में अब तक इस प्रकार की जीवनशैली व साधन प्रचलन में नहीं है, इस कारण यात्रा के दौरान कुछ चुनौतियां का भी सामना करना पड़ता है, पहले किसी भी स्थान पर जाकर एक सुरक्षित व सुंदर जगह , स्थानीय लोगों के सहयोग से खोजना पड़ता है, जहाँ इससे पार्क कर रुका जा सके. अभी तक इस प्रकार की गाड़ियां भारत में बहुत अधिक नहीं बन रही हैं , इस वजह से इसके ख़राब होने पर ख़ुद ही अधिकतर चीज़ों को दुरुस्त करना होता है,विवेक एक घटना का ज़िक्र करते हुए कहते हैं, पहाड़ी इलाक़े में हमारा वॉटर टैंक टूट गया था तो ख़ुद ही उसे ठीक करना पड़ा, जिससे की यात्रा को आगे जारी रखा जा सके.