
Rajasthan News: राजस्थान के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक रवि प्रकाश मेहरड़ा (Rajasthan Interim DGP Ravi Prakash Meharda) 30 जून को रिटायर होने वाले हैं. इससे पहले नए डीजीपी के चयन की तैयारियां शुरू हो गई हैं. आज सुबह 11 बजे देश की राजधानी दिल्ली में एक अहम बैठक होने जा रही है, जिसमें संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के चेयरमैन की अध्यक्षता में 3 IPS अधिकारियों के नाम पर मुहर लगनी है. इनमें से किसी एक को राजस्थान सीएम भजनलाल शर्मा द्वारा चुनकर डीजीपी बनाया जाना है. यानी अगले एक-दो दिन में राजस्थान के नए डीजीपी के नाम का ऐलान हो सकता है.
डीजीपी की नियुक्ति एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है, जिसमें राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों की भूमिका होती है. आइए जानते हैं कि डीजीपी का चयन कैसे और किस प्रक्रिया से होता है और उनका कार्यकाल कितने समय का होता है?
1. पैनल का गठन
डीजीपी के चयन के लिए सबसे पहले राज्य सरकार की तरफ से एक पैनल गठित किया जाता है, जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल होते हैं. यह पैनल डीजीपी के पद के लिए योग्य और अनुभवी अधिकारियों की पहचान करने के लिए गठित किया जाता है. पैनल में शामिल अधिकारियों का चयन उनकी सेवा अवधि, अनुभव, और प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है. इन बातों का रखा जाता है ध्यान:-
- ADG या उससे ऊपर रैंक पर होना जरूरी
- उन्हीं अधिकारियों का सिलेक्शन जिनके रिटायरमेंट में 6 महीने से ज्यादा का समय शेष
- कम से कम 25 से 30 साल की सेवा का अनुभव
- इंटेलिजेंस और केंद्रीय संस्थाओं में अनुभव
2. योग्यता और अनुभव
पैनल में शामिल अधिकारियों की योग्यता और अनुभव का मूल्यांकन किया जाता है. इसमें उनके सेवा रिकॉर्ड, प्रमोशन और विशेष उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाता है. इस मूल्यांकन के आधार पर, पैनल में शामिल अधिकारियों की एक लिस्ट तैयार की जाती है जो डीजीपी के पद के लिए योग्य हैं. राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग ने 7 नामों का पैनल UPSC को भेजा है:-
- राजीव कुमार शर्मा
- संजय कुमार अग्रवाल
- आनंद कुमार श्रीवास्तव
- राजेश निरवान
- राजेश आर्य
- गोविंद गुप्ता
- अनिल पालीवाल
3. UPSC को पैनल भेजना
फाइनल नामों का पैनल फिर राज्य सरकार द्वारा UPSC को भेजा जाता है. (UPSC एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था है जो केंद्र और राज्य सरकारों के लिए महत्वपूर्ण पदों के लिए चयन प्रक्रिया का संचालन करती है.) UPSC Empanelment Committee द्वारा पैनल की समीक्षा की जाती है और तीन नामों का चयन किया जाता है, और तीन नाम फाइनल करके नाम राज्य सरकार को भेजे जाते हैं.
4. राज्य सरकार का निर्णय
राज्य सरकार द्वारा तीन नामों में से एक नाम का चयन किया जाता है और डीजीपी की नियुक्ति की जाती है. राज्य सरकार का निर्णय अंतिम होता है और चयनित अधिकारी को डीजीपी के पद पर नियुक्त किया जाता है.
आमतौर पर 2 साल का कार्यकाल
डीजीपी का कार्यकाल आमतौर पर 2 साल होता है, लेकिन यह राज्य सरकार के निर्णय पर निर्भर करता है. इसे बढ़ाया भी जा सकता है. जानकारी के मुताबिक, राजस्थान में सबसे लंबा कार्यकाल IPS हरीश चंद्र मीणा का रहा था. उन्होंने मार्च 2009 से दिसंबर 2013 तक राजस्थान के डीजीपी के रूप में काम किया था. वर्तमान में वे साल 2024 से टोंक-सवाई माधोपुर से 18वीं लोकसभा के सांसद के रूप में कार्यरत हैं और कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं.
IPS राजीव कुमार का नाम सबसे आगेनए डीजीपी की रेस में 1990 बैच के IPS राजीव कुमार शर्मा के नाम की चर्चा सबसे ज्यादा है, क्योंकि वे राजस्थान के अधिकारियों में सबसे वरिष्ठ हैं. वे केंद्र में बीपीआरडी यानी पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के महानिदेशक के पद पर प्रतिनियुक्ति पर हैं. केंद्र में जाने से पहले वे राज्य में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का नेतृत्व कर रहे थे.
ये अधिकारी भी DGP की रेस में शामिलन्य प्रमुख दावेदारों में 1992 बैच के अधिकारी संजय अग्रवाल भी शामिल हैं, जो राज्य खुफिया ब्यूरो के महानिदेशक का पद संभाल रहे हैं. उनके अलावा, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के महानिदेशक राजेश निरवान भी डीजीपी की रेस में हैं. ये भी 1992 बैच के अधिकारी हैं. ये राजीव कुमार शर्मा से सिर्फ दो साल जूनियर हैं. अन्य संभावित अधिकारियों में राजेश आर्य, अनिल पालीवाल और आनंद श्रीवास्तव शामिल हैं.
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