राजस्थान में हाइड्रो पावर प्लांट के लिए 1.19 लाख पेड़ों को काटने की तैयारी, लोग कर रहे विरोध

Baran Shahabad Forest: राजस्थान में विकास के नाम पर एक लाख से अधिक पेड़ों को काटे जाने की तैयारी चल रही है. स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यावरणविद् सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.

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Hydro Power Plant in Shahabad: मानव जीवन के लिए पेड़ कितने महत्वपूर्ण है, इसकी व्याख्या अलग-अलग मौकों पर कई किताबों, शोधों, सेमिनारों में की गई है. पेड़ों की घटती संख्या से पूरा विश्व परेशान है. UNO सहित  कई देशों की सरकारें भी पेड़ों को बचाने और लगाने पर जोर देती हैं. लेकिन इस बीच राजस्थान में विकास के नाम पर एक लाख से अधिक पेड़ों को बलि देने की तैयारी है. एक्सपर्ट का कहना है कि हाइड्रो पावर प्लांट के लिए जिस वन क्षेत्र को काटा जाएगा, वैसा घना जंगल बनने में सालों लग जाते हैं. 

एक लाख 19 हजार 759 पेड़ों की बलि की तैयारी

दरअसल राजस्थान के बारां जिले के शाहाबाद स्थित सघन वन क्षेत्र में निजी पावर प्लांट के लिए एक लाख 19 हजार 759 पेड़ों की बलि की तैयारी है. केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने इसकी अनुमति भी दे दी है. पेड़ों पर अगले छह माह के भीतर कुल्हाड़ी चल जाएगी. 

वन जीवों के जीवन पर भी आएगा संकट

इससे संरक्षित वन क्षेत्र की जैव विविधता नष्ट हो जाएगी. वन्यजीवों पर संकट खड़ा होगा. इसके साथ ही सुरम्य और सघन वन आच्छादित घाटी का वैभव भी इतिहास बनने की आशंका है. साथ ही जहां वनों की कटाई होगी उससे राष्ट्रीय कुन्नो नेशनल पार्क सटा हुआ है. जिससे वहां के चीते और वन्य जीव भी प्रभावित होंगे. 

बारां के शाहाबाद इलाके में स्थित घने जंगल, जिसे काटा जाएगा.

ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का प्रोजेक्ट

राज्य सरकार ने दो साल पहले ही शाहाबाद के 17 हजार 884 हेक्टेयर क्षेत्र को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया था. निजी क्षेत्र की कंपनी ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से शाहाबाद के हनुमंतखेड़ा, मुंगावली में 1800 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए पम्प स्टोरेज परियोजना के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है. 

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परियोजना में क्षेत्र की करीब 700 हेक्क्टेयर भूमि का उपयोग किया जा रहा है. इसमें से 400 हेक्टेयर वन भूमि है. 

मार्च 2025 तक पेड़ों को काटे जाने की मिली मंजूरी

बारां डीएफओ अनिल कुमार यादव ने बताया कि केन्द्र सरकार की वन सलाहकार समिति ने सैद्धांतिक तौर पर 400 हेक्टेयर वन भूमि पर मार्च 2025 तक पेड़ों को काटे जाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी. इस प्रस्ताव का केन्द्रीय वन और पर्यावरण मंत्री ने भी अनुमोदन कर दिया है. यहां की अनुकूल भौगोलिक स्थिति को देखते हुए बिजली बनाने के लिए चयन किया गया है. 

कुनो नेशनल पार्क के पास स्थित है जंगल

यह पहाड़ी क्षेत्र है और पास ही कु्नो नेशनल पार्क की कूनू नदी भी है. ऐसे में निचले और ऊंचाई वाले क्षेत्र में दो तालाब बनाए जाएंगे. पानी को पहले ऊपर वाले तालाब में भरा जाएगा. जब भी बिजली उत्पादन करना होगा. तब वहां से पानी को नीचे लाएंगे और टरबाइन के जरिए बिजली बनेगी.

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शाहाबाद किले के पास से ली गई जंगल की तस्वीर.

700 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण

अनिल कुमार यादव ने बताया कि निजी कंपनी पंप स्टोरेज प्लांट लगाएगी. इसके लिए करीब 700 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा. इसमें से करीब 400 हेक्टेयर वनभूमि है. प्रोजेक्ट के लिए एक लाख से अधिक पेड़ काटना प्रस्तावित है. फिलहाल सरकार के स्तर पर इसकी प्रक्रिया चल रही है. 

जैसलमेर की रेगिस्तानी जमीन पर जंगल उगेगा?

वहीं बारां वन विभाग को जैसलमैर में करीब 400 हैक्टयर जमीन दे दी गई है. वन विभाग वहां पर करीब 19 करोड़ रुपए खर्च कर पेड-पौधे लगाएंगा. लेकिन जैसलमेर की रेगिस्तानी जमीन पर शाहाबाद जैसे घने वन उगेंगे, इसपर संशय है. साथ ही बारां में करीब 400 हेक्टयर जमीन पर भी पेड़-पौधों लगने में भी करीब 50 करोड़ रुपए खर्च होंगे.

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स्थानीय लोगों ने दी चिपको आंदोलन की धमकी

इधर शाहाबाद में हाइड्रो पावर प्लांट के लिए वन की कटाई का स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है. लोगों का कहना है कि यदि ऐसा कुछ हुआ तो दूसरा चिपको आंदोलन शुरू करेंगे. इधर इन्डियन नेशनल ट्रस्ट फोर आर्ट एण्ड कलचल हैरिटेज ने भी हाइड्रो पावर प्लांट के लिए वृक्षों को काटने पर आपत्ति जताई है.

भावी पीढ़ियों को चुकानी होगी पेड़ कटाई की कीमत

इन्टेक कोटा के कन्वीनर निखिलेश सेठी ने कहा कि हाइड्रो पावर प्लॉट के लिए शाहबाद कंजर्वेशन रिजर्व को नष्ट करना प्रकृति के विरुद्ध और अपराध है. जिसकी कीमत भावी पीढियों को चुकानी होंगी. इस परियोजना से बारां के तापमान में 3 डिग्री की वृद्धि हो जाएगी. जिससे वहाँ की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा. 

कहा जाता है कि यह राजस्थान का सबसे घना जंगल है.

कटे जंगल की जगह नए वृक्ष लगाने की बात हास्यापद

इंटेक के को-कन्वीनर बहादुर सिंह हाड़ा ने कहा कि कटे हुए जंगल की जगह नए वृक्ष लगाने की बात हास्यास्पद है. जंगल प्रकृति और ईश्वर की रचना है. उसकी फैक्ट्री में ऑक्सीजन बनता है. जो किसी सरकार के बूते की बात नहीं है.
उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार पर्यटन विकास एवं जंगलों को पर्यटन बढ़ाने का माध्यम बनाती है. दूसरी ओर विरोधाभासी त्रुटिपूर्ण योजनाओं को क्रियांकित कर वन सम्पदा के साथ खिलवाड़ कर रहीं है.

किसी बंजर जमीन पर बनना चाहिए प्लांट

इन्टेक कनवीनर निखिलेश सेठी ने सुझाव दिया कि सरकार को इस परियोजना के लिए वनभूमि के अतिरिक्त बंजर भूमि चुननी चाहिए. जो कहीं भी मिल सकती है. अब देखना है कि लोगों के विरोध के बाद सरकार इस मामले में आगे क्या फैसला लेती है.

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