Rajasthan News: राजस्थान के जैसलमेर जिले में रविवार को अदित रोटे यानी सुरज रोटे का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. धुलंडी से लेकर गणगौर तक सौलह दिन गणगौर (गवर) माता की पूजा की जाती है. जैसलमेर में उस दौरान अदित रोटे का व्रत विशेष महत्व रखता है. जिसे राजस्थान में सूरज रोटे का व्रत भी कहा जाता है.
धुलंडी के बाद पहले रविवार को होता है व्रत
अदित रोटे का व्रत धुलंडी पर गणगौर बनने के बाद आने वाले पहले रविवार को रखा जाता है. इस दिन भगवान सूर्य की उपासना होती है जो बहुत ही खास अंदाज में की जाती है. मान्यता है कि यह व्रत रखने से बेटी के पीहर में हमेशा खुशहाली बनी रहती है. रविवार के दिन सुबह सवेरे उठकर गणगौर पूजने वाली लड़कियां दूब लाती हैं. मां गौरां की पूजा करती हैं और इसके बाद सूरज भगवान की कहानी सुनती हैं.
व्रत के लिए पूजा करते हुए महिलाएं.
इस दिन बनता है खास 'रोटा'
सूरज रोटे के व्रत में भगवान सूर्य की कहानी सुनते वक्त अलग से रखे हुए पानी से उस दिन की रसोई बनाई जाती है. इस दिन बिना नमक का खाना बनता है. व्रत के दिन एक खास 'रोटा' बनाया जाता है. जिसके बीच बने छेद से भगवान सूर्य के दर्शन किए जाते हैं और जल से उन्हें अर्ध्य दिया जाता है. 'सूरज -सूरज दिख्यो, दिख्यो सो ही टूठ्यो' कहते हुए लड़कियां पूरी श्रद्धा से सूर्य को जल अर्पित करती हैं.
पीहर में सुख-समृद्धि के लिए करते हैं व्रत
इस व्रत की कथा में कहा जाता है कि भगवान सूर्य ने अपनी भक्त की प्रार्थना सुनकर उसे सवा पहर का पीहर सुख दिया था. मगर पीहर की इसी समृद्धि और सुख को अखंड रखने के लिए आज भी लड़कियां यह व्रत रखती हैं. सूरज रोटे का यह व्रत लड़कियों और महिलाओं के लिए मस्ती और मजे का एक और मौका है.
जहां वो पूरे दिन हंसी ठिठोली के साथ यह पूजा भी करती हैं. यह व्रत शादी के बाद पहली बार गणगौर पूज रही लड़की के लिए बहुत जरूरी होता है, क्योंकि बचपन से करती आ रही इस व्रत का उद्यापन वो इसी दिन करती हैं.
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