Rajasthan News: राजस्थान के जालोर (Jalore) जिले में स्थित ओडवाड़ा (Odwara) गांव, जिसका नाम भी बहुत कम लोग जानते थे, पिछले 24 घंटे से सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड कर रहा है. कल सुबह 7 बजे इस गांव में तहसीलदार 250 पुलिसकर्मी और 5 जेसीबी को लेकर अतिक्रमण (Encroachment) हटाने पहुंच गए थे. इस दौरान ग्रामीणों के भारी विरोध के बावजूद उन्होंने साढ़े 6 घंटे में 70 मकान ध्वस्त कर दिए. वहीं कई घरों के बिजली कनेक्शन काट दिए. इसके बाद जिला प्रशासन की टीम घरों से समान निकालने के लिए ग्रामीणों को 24 घंटों की मोहलत देकर वापस लौट गई. आज फिर एक्शन होने वाला है. लेकिन इस बार कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता मौके पर मौजूद होंगे.
आज आहोर आएंगे वैभव गहलोत
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के बेटे और जालौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) ने एक्स पर लिखा, 'मैं ओडवाड़ा, आहोर पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात करूंगा एवं उनकी हर संभव मदद का प्रयास करूंगा. आज इस मामले के तथ्यों की जानकारी के साथ विधिक राय ले ली है एवं इस मामले में हम कानूनी प्रक्रिया के तहत सुप्रीम कोर्ट तक जाकर इन परिवारों के साथ न्याय सुनिश्चित करेंगे.' इससे पहले उन्होंने एक्स पर लिखा था, 'आहोर के ओडवाड़ा गांव में अतिक्रमण हटाने के नाम पर 440 घरों को तोड़ा जा रहा है जबकि ये परिवार वर्षों से रहते आये हैं. प्रशासन इसके लिए हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दे रहा है, जबकि कांग्रेस सरकार के दौरान प्रभावी पैरवी से इन घरों को बचाया गया था. मेरा मानना है कि प्रभावी पैरवी के अभाव में हाईकोर्ट का फैसला ग्रामीणों के खिलाफ रहा होगा. अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान प्रशासन का असंवेदनशील रवैया भी सामने आया. इस संबंध में मैंने जालोर कलेक्टर से भी बात कर निवेदन किया है कि संवेदनशीलता से विचार कर हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध इन गरीब लोगों के पक्ष में अपील करें एवं सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इस कार्रवाई को रोक कर आमजन को न्याय दिलाने में मदद करें.'
पायलट-गहलोत ने कलेक्टर से की बात
वहीं सचिन पायलट ने एक्स पर लिखा, 'जालोर जिले के ओडवाड़ा गांव में घरों को तोड़ने के आदेश के विरुद्ध संघर्ष कर रहे लोगों के साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार किया गया, उसकी मैं घोर निंदा करता हूं. ये लोग अपना घर बचाने के लिए आवाज उठा रहे हैं, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं. सरकार को इनके अधिकारों के लिये न्यायपालिका के माध्यम से तुरंत राहत प्रदान करने के लिये कार्यवाही करनी चाहिये थी. पुलिस एवं प्रशासन से आग्रह है कि इस मुद्दे को शांति एवं बातचीत द्वारा सुलझाया जाना चाहिए.' इस मामले में कांग्रेस नेता अशोक गहलोत का भी बयान सामने आया था. उन्होंने एक्स पर लिखा था, 'जालोर के ओडवाड़ा में अतिक्रमण हटाने के नाम पर 400 से अधिक घरों को तोड़ने के लिए प्रशासन द्वारा बल प्रयोग करना उचित नहीं है. यह गरीब परिवारों से जुड़ा मामला है. प्रशासन को इन परिवारों को उचित समय देना चाहिए था जिससे वो उसका कानूनी समाधान निकाल पाते. इस विषय को राज्य सरकार एवं प्रशासन मानवीय आधार पर देखे. इस संबंध में मेरी जालोर कलेक्टर से भी बात हुई है. हम इन पीड़ित परिवारों की कानूनी सहायता कर इनको न्याय सुनिश्चित करवाएंगे. पूर्व में भी ऐसे कई मामले हुए हैं जिनमें उच्च या उच्चतम न्यायालयों का फैसला पीड़ित परिवारों के पक्ष में आया था. सीकर के पटवारी का बास गांव में ऐसा प्रकरण हुआ था, जिसमें हाईकोर्ट के एक आदेश में घर तोड़ने का फैसला हुआ. परन्तु दूसरे आदेश में इसे गलत माना और पीड़ित परिवारों को हमारी सरकार के समय पट्टे दिए गए. प्रशासन को सभी कानूनी रास्ते पूरे होने का इंतजार करना चाहिए एवं इसके बाद कोई कार्रवाई करनी चाहिए.
2 भाइयों के जमीन विवाद में हुआ एक्शन
कुछ साल पहले दो भाइयों के बीच जमीनी बंटवारे को लेकर विवाद हुआ था, जो कि कोर्ट तक पहुंच गया. कोर्ट ने उन जमीनों की जांच करवाई तो गांव के 440 घर भी नप गए. ये सभी घर भी ओरण भूमि में पाए गए. इसके बाद राजस्थान हाई कोर्ट ने 7 मई को ओरण में बने 440 घरों को तोड़ने का आदेश दे दिया. आदेश आते ही प्रशासन ने मकानों को चिह्नित करके क्रॉस का निशान लगाने का काम पूरा किया. इसके साथ ही तहसीलदार ने 14 मई तक घरों को खाली करने का नोटिस जारी कर दिया. नोटिस में कहा गया था कि यदि 14 तक कोई मकान खाली नहीं करता है तो 16 मई को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करते हुए उसका मकान ध्वस्त कर दिया जाएगा और सामान जब्त कर लिया जाएगा. 12 हजार की आबादी वाले इस गांव में करीब एक हजार मकान बने हुए हैं, जिनमें से 440 घरों को तोड़ने की आदेश जारी किया गया है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद 20 लोग ऐसे हैं जिन्हें मकान पर कार्रवाई से पहले ही स्टे ले लिया है. ऐसे में उनके मकान पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है.
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