मछली मारने गए युवक के हाथ में फटा बारूद, गंभीर घायल; एक आंख और हाथ पूरी तरह खराब

राजस्थान के झालावाड़ जिले में शनिवार की शाम एक और युवक मछली पकड़े गया और हाथ में बारूद फटने से गंभीर रूप से जख्मी हो गया. घटना में उसकी एक आंख और हाथ खराब हो गए.

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झालावाड़ में युवक मछली पकड़े गया और हाथ में बारूद फटने से गंभीर रूप से जख्मी हो गया.

Rajasthan News: राजस्थान में झालावाड़ जिले के तालाबों पर मछली पकड़ने का शौक अब युवाओं के लिए मौत का न्योता बन गया है. घरेलू बने बारूदी बम यानी टोटे का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. इससे न सिर्फ जानें जा रही हैं बल्कि परिवार टूट रहे हैं. शनिवार की शाम एक और युवक गंभीर रूप से जख्मी हो गया. डॉक्टरों का कहना है कि उसकी जान खतरे में है. यह हादसा तीन दिनों के अंदर दूसरा ऐसा मामला है जो पूरे इलाके में दहशत फैला रहा है.

युवक की आंख-हाथ बर्बाद

जानकारी के अनुसार, पीपलवा गांव के रहने वाले कमलेश शंभू शाम को तालाब की ओर निकले. मछली मारने के चक्कर में उनके हाथ में पकड़ा टोटा अचानक फट गया. धमाके की आवाज सुनते ही आसपास के लोग दौड़े. कमलेश के चेहरे पर एक आंख फट गई. दाएं हाथ की उंगलियां उड़ गईं तो बाएं हाथ की हथेली के टुकड़े हो गए. छाती और पेट पर भी गहरी चोटें लगीं. खून से लथपथ कमलेश को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया. वहां प्राथमिक इलाज के बाद जिला अस्पताल में एडमिट किया गया.

कमलेश के चचेरे भाई सुभाष मईड़ा ने दर्द भरी जुबानी सुनाई. उन्होंने बताया कि कमलेश अक्सर दोस्तों संग तालाब जाता था. इस बार टोटा ज्यादा ताकतवर था. सुभाष ने कहा कि अगर समय पर न पहुंचते तो कमलेश की जान भी जा सकती थी. 

तीन दिन पहले भी हुआ था हादसा 

यह पहली बार नहीं जब टोटे ने किसी की जिंदगी छीन ली हो. महज तीन दिन पहले 29 अक्टूबर को सदर थाना इलाके के उमराई बड़लिया गांव में वैसा ही हादसा हुआ. वहां एक युवक मछली पकड़ रहा था. उसके दोनों हाथों के चिथड़े उड़ गए. वह भी अस्पताल में जूझ रहा है.

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डॉक्टरों ने बताया कि ऐसी चोटों से कभी पूरी तरह रिकवरी नहीं होती. जिले भर में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं क्योंकि टोटा आसानी से मिल जाता है. गरीब युवा जल्दी मछली पकड़ने के लालच में फंस जाते हैं. लेकिन यह खेल नहीं बल्कि जुआ है जिसमें हार का मतलब जिंदगी भर का दर्द है.

कानून के खिलाफ है टोटे का इस्तेमाल 

टोटे का इस्तेमाल विस्फोटक कानून के खिलाफ है. इसमें सख्त सजा का प्रावधान है. जुर्माना हो या जेल दोनों हो सकती हैं. फिर भी लोग इसे हल्के में लेते हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि अवैध तस्करी से यह सामान बाजार में आ रहा है. तालाबों के आसपास दुकानें चल रही हैं जो चुपके से बेचती हैं. 

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