Rajasthan News: राजस्थान के झालावाड़ जिले के खानपुर में स्थित प्रसिद्ध चांदखेड़ी जैन तीर्थ से सदियों पुरानी मूर्ति चोरी का मामला सामने आया है. पांच हजार वर्ष पुरानी सनातन धर्म की मूर्तियों के गायब होने के बाद से इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है. पुलिस ने मूर्ति चोरी के मामले में मंदिर प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष हुकुम जैन 'काका' को गिरफ्तार कर लिया है. स्थानीय लोग मूर्ति चोरी के बाद से ही मंदिर कमेटी के अध्यक्ष की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे.
मंदिर परिसर से गायब मिली मूर्ति
दरअसल, 5 नवंबर 2025 को खानपुर के चांदखेड़ी जैन मंदिर परिसर से मूर्तियां गायब होने की सूचना मिली. मंदिर में हनुमानजी, गणेशजी, शिव दरबार और नंदीजी की प्रतिमाएं थीं, जिन्हें बाद में दूसरी जगह स्थापित कर दिया गया. इस पर ग्रामीणों ने रोष जताया और उसी दिन चोरी का मुकदमा दर्ज करवा दिया.
6 नवंबर को पुलिस ने मुख्य आरोपी रामबाबू पुत्र भंवरलाल (40) निवासी पुरानी रेंजरी, खानपुर, और उसके पांच साथियों को गिरफ्तार किया. 10 नवंबर को न्यायिक अभिरक्षा में भेजे जाने के बाद से इस मामले की जांच जारी है. इसी बीच फरार चल रहे हुकुम चंद जैन काका को 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया, जिन्हें अदालत में पेश किया जाएगा.
10 नवंबर को खानपुर बंद का आह्वान
मूर्तियों की चोरी और मंदिर में नई मूर्तियां रखने के मुद्दे पर ग्रामीणों ने 7 नवंबर को खानपुर कस्बे में जुलूस निकालकर पुतला दहन किया. 10 नवंबर को खानपुर बंद का आह्वान किया गया था. मामले ने नया मोड़ तब लिया, जब वैष्णव ब्राह्मण सेवा संस्था भी इसमें शामिल हो गई. संस्था के प्रतिनिधियों ने कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन देकर निष्पक्ष जांच की मांग की.
मूर्ति चोरी का झूठा मुकदमा दर्ज कराया
संस्था का कहना है कि आरोपी रामबाबू वैष्णव समाज के कोटा संभागीय अध्यक्ष हैं, और उनके पूर्वज कई वर्षों से इसी स्थान पर भगवान हनुमान और शिवजी की पूजा करते आए हैं. ज्ञापन में बताया गया कि जैन तीर्थ चांदखेड़ी ट्रस्ट ने मूर्तियों को सम्मानपूर्वक दूसरी जगह प्रतिष्ठित करने और नया मंदिर निर्माण करने का निर्णय लिया था. इसके लिए ट्रस्ट पदाधिकारियों ने खानपुर के पास 25 गुना 50 फीट भूखंड मंदिर निर्माण हेतु स्वीकृत किया था और 21 लाख रुपए देने की सहमति भी दी थी.
रामबाबू वैष्णव ने शुभ मुहूर्त में विधिवत तरीके से नया मंदिर निर्माण कर मूर्तियां वास्तु अनुसार पुनर्स्थापित करने की योजना बनाई थी, लेकिन स्थानीय स्तर पर कुछ असामाजिक तत्वों ने इसे “मूर्ति चोरी” का रंग देकर झूठा प्रकरण दर्ज करा दिया. वैष्णव समाज की संस्था द्वारा यह दलील दी जा रही थी कि मूर्ति चोरी के मामले में मुख्य आरोपी रामबाबू ने अपनी निजी जमीन से एक समझौते के तहत मूर्तियां अन्य जगह स्थापित की थीं.
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