राजस्थान में पुष्कर के बाद अब चंद्रभागा पशु मेले की रौनक, यहां अनोखे तरीके से चुना जाता है सर्वश्रेष्ठ घोड़ा

राजस्थान के झालावाड़ जिले में चंद्रभागा पशु मेला चल रहा है. जिसमें दूर- दूर से पशु शामिल होने के लिए आ रहे हैं. मेले में घोड़ों को प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें उन्नत किस्म के घोड़ों को पुरुस्कार दिया गया.

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चंद्रभागा पशु मेले में चल रही घोड़ों की प्रतियोगिता.

Rajasthan Animal Fair: राजस्थान राजशाही परंपराओं और किलों के लिए तो मशहूर है ही साथ ही यहां कई विश्वप्रसिद्ध मेलों का आयोजन भी होता है. हाल ही में अजमेर के पुष्कर में पशु मेले का आयोजन हुआ. पुष्कर पशु मेले में देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग पहुंचे. इसमें 23 करोड़ के भैंसे, 11 करोड़ का घोड़ा, भारत की सबसे छोटी गाय पहुंची थी. जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया के जरिए पूरी दुनिया में फैली. हालांकि कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही पुष्कर मेला समाप्त हो चुका है. अब प्रदेश के दूसरे जिलों में लगने वाले मेले की चर्चा शुरू हो गई है. 

पुष्कर पशु मेले के बाद राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में चंद्रभागा पशु मेले का बड़ा नाम है. चंद्रभागा पशु मेला झालावाड़ में लगता है. इस समय पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की विधानसभा क्षेत्र झालावाड़ के झालरापाटन में चंद्रभागा पशु मेले की रौनक देखी जा रही है. 

चंद्रभागा पशु मेले (Chandrabhaga Animal Fair) में विभिन्न प्रकार की पशु प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है. जिसमें घोड़ों की एक अनोखी प्रतियोगिताएं आयोजित होती है.

घोड़े की उम्र, कद-काठी, आकार से होता है विजेता का चुनाव

इस प्रतियोगिता में चुनिंदा घोड़ों भाग लेते हैं. जिसके बाद विभिन्न मापदंडों के अनुसार घोड़ो को जांचा परखा जाता है और घोड़ों को उनकी उम्र, कद-काठी, आकार के साथ घोड़े के नस्ल को देखते है. इसके साथ ही घोड़े को दौड़कर भी देखा जाता है कि उसकि रफ्तार कितनी तेज है. इन सभी गतिविधियों के हिसाब से विजेता माना जाता है. इस बार भी मेले में इस प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें कोटा के बड़गांव निवासी एक घोड़े को विजेता चुना गया.

विजेता घोड़े को मेडल और पुरस्कार से नवाजा गया. इसी प्रकार से दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले घोड़े को भी पुरस्कार दिए जाते हैं. इस प्रतियोगिता में कुल 4 घोड़ों को विजेता के रूप में चुना जाता है.

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मेले में दूर-दूर से आए हैं घोड़े

चंद्रभागा मेले में घोड़ों का काफी बड़ा बाजार लगता है, यहां मेले में घोड़ों की खरीद फरोख्त भी खूब की जाती है. लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो यहां पर सिर्फ प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए ही अपने घोड़े को लेकर पहुंचते हैं. दूर-दूर से घोड़ों के मालिक अपने घोड़े यहां लाते हैं, जिन्हें वह प्रतियोगिता में भाग लेने के हिसाब से ही तैयार करते हैं. ऐसे भी कई लोग यहां देखे जाते हैं जो सिर्फ शौक के लिए घोड़े पालते हैं और इन पर ज्यादा से ज्यादा पैसा इसलिए खर्च करते हैं कि घोड़ा खूबसूरत दिखें और जहां भी जाए वहां बाज़ी मार ले.

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मेले में दूर-दूर घोड़े शामिल होने के लिए आए है.

रिजेक्ट के साथ बताएं घोड़ों की कमियां

वहीं निर्णायक मंडल द्वारा पुरस्कार के लिए घोड़े का चुनाव कर लिए जाने के बाद में अन्य घोड़ा पालकों में कुछ देर के लिए असंतोष भी देखने को मिला. जिसमें उनका कहना था कि कमेटी के सदस्य घोड़ा रिजेक्ट करते समय ही घोड़े में व्याप्त कमियों को भी बताएं ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे. वहीं दूसरी तरफ निर्णायक मंडल के सदस्यों का कहना है कि पूरी प्रक्रिया पूर्णतया पारदर्शी तरीके से पूरी की जाती है.

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जिसमें कोई भी धोखाधड़ी या गलत फैसला नहीं होता है. निर्णायक मंडल ने आगे बताया कि निर्णायक मंडल के सदस्य प्रतियोगिता के तहत 8 से 10 तरह के बिंदुओं पर विचार करने के बाद ही घोड़े को नंबर दिए जाते हैं. इसके आधार पर उनका चुनाव पुरस्कारों के लिए किया जाता है.

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