Jaipur Literature Festival 2025: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में देश-दुनिया के दिग्गज साहित्यकार जुट रहे हैं. लिटरेचर फेस्टिवल में विभिन्न विषयों पर चर्चा हो रही है. दिग्गज साहित्यकारों की महफिल सजी है. जेएलएफ में आज (3 फरवरी) सत्र राजस्थानी भाषा पर केंद्रित रहा. इस दौरान राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने की मांग भी उठी. लंबे समय से चली आ रही इस मांग पर बोलते हुए भाषाविद् ने भाषा के बिना आजादी को अधूरा बताया. कार्यक्रम में पहुंचे राजस्थानी भाषा के विद्वान चंद्र प्रकाश देवल ने एनडीटीवी से खास बातचीत में यह मांग रखी. उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा (Rajasthani Language) को मान्यता मिलनी चाहिए.
देवल बोले- मारवाड़ी भाषा ही राजस्थानी का मूल
देवल ने कहा कि भाषा के बिना आजादी अधूरी है. भले ही हम 1947 में आजाद हुए लेकिन हमारी जुबान कटी हुई है. उन्होंने मारवाड़ी भाषा को राजस्थानी का मूल बताते हुए कहा कि असली राजस्थानी मारवाड़ी ही है. आगे बोलते हुए कहा कि सभी क्षेत्र की बोलियों में किसी दूसरे क्षेत्र का प्रभाव है. वागड़ी में गुजराती का, गंगानगर की भाषा ने पंजाबी का और भरतपुर में तो ब्रज बोली जाती है. असल राजस्थानी भाषा तो मारवाड़ी ही है.
पिछले 76 वर्षों से उठ रही है मांग
जानकारी के मुताबिक, राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने का मुद्दा पिछले 76 वर्षों से संवैधानिक मान्यता को दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन चल रहा है. साल 2016 में भी दिल्ली के जंतर मंतर पर राजस्थानी भाषा को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ था. इसमें राजस्थान के 15 से अधिक सांसद और 40 से अधिक विधायक भी सम्मिलित हुए थे.
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