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जोधपुर एयरपोर्ट पर हवाई हमले की निगरानी का परीक्षण, काउंटर-ड्रोन का रनवे के पास किया गया इस्तेमाल

इस मॉक ड्रिल में वायुसेना ने हवाई निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया का प्रदर्शन किया, जबकि सीआईएसएफ ने हवाई अड्डे की परिधि सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन में अपनी भूमिका निभाई.

जोधपुर एयरपोर्ट पर हवाई हमले की निगरानी का परीक्षण, काउंटर-ड्रोन का रनवे के पास किया गया इस्तेमाल

Rajasthan News:  जोधपुर एयरपोर्ट पर बुधवार को भारतीय वायुसेना, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने मिलकर एक व्यापक मॉक ड्रिल का सफल आयोजन किया. इस अभ्यास का उद्देश्य हवाई खतरों से निपटने के लिए सभी हितधारकों के बीच समन्वय, आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता और विमानन सुरक्षा को मजबूत करना था. मॉक ड्रिल के जरिए यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और संभावित खतरों से निपटने की तैयारियों का आकलन किया गया.

आधुनिक खतरों से निपटने के लिए ऐसी मॉक ड्रिल जरूरी

मॉक ड्रिल में 6 अलग-अलग परिदृश्यों का अनुकरण किया गया, जो आधुनिक हवाई खतरों, विशेष रूप से मानवरहित हवाई वाहनों (यूएवी) से संबंधित थे. पहले परिदृश्य में हवाई अड्डे की 5 किलोमीटर की परिधि के भीतर एक यूएवी को खतरनाक व्यवहार करते हुए देखा गया. दूसरे परिदृश्य में हवाई अड्डे के परिसर के अंदर एक यूएवी को मंडराते हुए पाया गया, जिसमें कोई पेलोड नहीं था.

तीसरे परिदृश्य में एक यूएवी विमान पार्किंग क्षेत्र और सक्रिय रनवे के पास विमान के करीब पहुंचा. चौथे परिदृश्य में संदिग्ध पेलोड, जैसे बम या रासायनिक कंटेनर, ले जा रहे यूएवी का पता चला. पांचवें परिदृश्य में रात के समय या खराब दृश्यता में यूएवी की मौजूदगी का अनुकरण किया गया, जबकि छठे परिदृश्य में कई यूएवी के साथ स्वार्म ड्रोन हमले की स्थिति का अभ्यास किया गया.

इस मॉक ड्रिल में वायुसेना ने हवाई निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया का प्रदर्शन किया, जबकि सीआईएसएफ ने हवाई अड्डे की परिधि सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन में अपनी भूमिका निभाई. एनडीआरएफ ने आपातकालीन बचाव और संदिग्ध रासायनिक खतरों से निपटने की प्रक्रिया को अंजाम दिया. सभी बलों ने परस्पर समन्वय के साथ तकनीकी उपकरणों, जैसे ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम और काउंटर-ड्रोन तकनीकों का उपयोग किया.

जोधपुर एयरपोर्ट के निदेशक के मुताबिक, यह अभ्यास विमानन सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने कहा, “आधुनिक खतरों, विशेष रूप से ड्रोन हमलों, से निपटने के लिए ऐसी मॉक ड्रिल्स जरूरी हैं. सभी हितधारकों का समन्वय और तकनीकी तैयारी सराहनीय रही.” 

यह मॉक ड्रिल न केवल सुरक्षा बलों की तैयारियों को परखने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि आम जनता में भी हवाई यात्रा के प्रति विश्वास को बढ़ाता है. भविष्य में भी इस तरह के अभ्यास नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके.

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