![Jodhpur News: हस्तशिल्प उद्योग में गिरावट पर कबाड़ से जुगाड़ के 'जादूगर' ने जताई चिंता Jodhpur News: हस्तशिल्प उद्योग में गिरावट पर कबाड़ से जुगाड़ के 'जादूगर' ने जताई चिंता](https://c.ndtvimg.com/2024-06/u1eenago_handicraft-exporter-ajay-sharma_625x300_19_June_24.jpg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=773,height=435)
Rajasthan News: जोधपुर की कला-संस्कृति व किले-महलों के साथ-साथ हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र एक बड़े बाजार के रूप में पहचान है. यहां के हैंडीक्राफ्ट की दुनियाभर के मार्केट में काफी मांग है. इस जिले के एक शख्स ऐसे भी हैं, जिन्होंने कबाड़ से जुगाड़ के नाम से विश्व में पहचान बनाई. हैंडीक्राफ्ट व्यवसायी डॉ. अजय शर्मा आज भी कबाड़ से जुगाड़ के जरिए वेस्ट स्क्रेप्स से कहीं आकर्षित सजावटी वस्तुओं का निर्माण कर रहे है, जिसकी ग्लोबल मार्केट में भी खाशी डिमांड है.
कबाड़ से 31 फीट की बनाई शिव प्रतिमा
डॉ. अजय शर्मा के क्रिएट सोच के जरिए डिजाइन किए कई हस्तशिल्प उत्पाद की आज ग्लोबल मार्केट में बंपर डिमांड देखी जा रही है. डॉ. अजय शर्मा खुद ही डिजाइन बनाकर कबाड़ इकट्ठा करके आकर्षित रूप देते हैं. हालांकि, पिछले 2 साल में जोधपुर का हैंडीक्राफ्ट व्यवसाय करीब 60 प्रतिशत तक डाउन हुआ है. इसके बावजूद डॉ. शर्मा के हौसले कम नहीं हुए.
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अजय शर्मा ने 3 राज्यों से 7 हजार किलो स्क्रैप की मदद से 31 फीट की शिव प्रतिमा को भी तैयार की थी. जिसमें वह 38 फीट का त्रिशूल व 13 फीट का शिवलिंग भी स्क्रैप से बना चुके. यह इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है. हैंडीक्राफ्ट निर्यातक पर कबाड़ से जुगाड़ के द्वारा विश्व में प्रसिद्धि पाने वाले डॉ.अजय शर्मा ने वर्ष 2023 में कबाड़ में पड़े स्क्रेप्स से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 22 फीट ऊंची 3500 किलो लोहे की स्क्रैप्स प्रतिमा की, जिसमें उन्होंने क्लच प्लेट, शॉकर, बेरिंग, पाना, मशीनों के कलपुर्जे, साइकिल पार्ट्स का इस्तेमाल किया था.
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हस्पशिल्प के उद्योग में गिरावट
एनडीटीवी से खास बातचीत में डॉ. अजय शर्मा ने बताया कि जोधपुर का हैंडीक्राफ्ट का व्यवसाय करीब 60 प्रतिशत तक डाउन हुआ है और जिसका एक बड़ा कारण रूस और यूक्रेन का युद्ध है. इसके अलावा इसराइल-ईरान वाला वॉर है. जोधपुर में हस्तशिल्प उद्योग करीब 2.5 से 3 लाख लोगों को रोजगार दिया करता था, अब मार्केट डाउन होने से इस क्षेत्र में रोजगार मे गिरावट हुई है. जोधपुर में पिछले 2 साल में करीब 1200 छोटे सप्लायर की फैक्ट्रियां भी बंद हो चुकी हैं. ऐसे में हस्तशिल्प के व्यवसाईयों की मांग है कि एमएसएमई में सरलीकरण जल्द करना चाहिए.