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Jodhpur: लूणी में नीलामी के इंतजार में खड़े हैं कंडम हो चुके डीजल इंजन, 6 लीटर तेल में देते थे सिर्फ 1KM का माइलेज

Rajasthan News: रेलवे धीरे-धीरे डीजल इंजन हटाने की प्रक्रिया में लगा हुआ है. पहले रेलवे ने इन डीजल इंजनों को पड़ोसी देशों को बेचने की कोशिश की थी.

Jodhpur: लूणी में नीलामी के इंतजार में खड़े हैं कंडम हो चुके डीजल इंजन, 6 लीटर तेल में देते थे सिर्फ 1KM का माइलेज
प्रतीकात्म तस्वीर

Jodhpur News: जिस तरह भाप इंजन इतिहास बन चुका है, उसी तरह अब डीजल इंजन भी सेवा से बाहर होने की कगार पर हैं. भारतीय रेलवे का 96 प्रतिशत से अधिक विद्युतीकरण पूरा हो चुका है, जिसके चलते रेलवे धीरे-धीरे डीजल इंजन हटाने की प्रक्रिया में लगा हुआ है। पहले रेलवे ने इन डीजल इंजनों को पड़ोसी देशों को बेचने की कोशिश की थी, लेकिन जब वे बिक नहीं पाए तो उनमें से कुछ को सुरक्षित रखने और बाकी को कबाड़ डीलरों को बेचने की प्रक्रिया शुरू की गई. रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन के लक्ष्य को पूरा करते हुए ट्रेनों में इलेक्ट्रिक इंजन की संख्या बढ़ा रहा है, वहीं रेलवे लोको शेड से डीजल इंजन बाहर निकाले जा रहे हैं. लंबे समय तक पैसेंजर और मालगाड़ियां चलाने के बाद ऐसे इंजनों को शंटिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है और फिर कंडम घोषित कर नीलाम कर दिया जाता है. जोधपुर मंडल में लूणी की साइडिंग में ऐसे एक दर्जन से ज्यादा इंजन खड़े हैं.

डीजल से सस्ता है इलेक्ट्रिक इंजन

मैकेनिकल विभाग के एक विशेषज्ञ ने बताया कि 12 डिब्बों वाली पैसेंजर ट्रेन को खींचने वाला डीजल इंजन 6 लीटर तेल में सिर्फ 1 किलोमीटर का माइलेज देता है. इसी तरह 24 डिब्बों वाली सुपरफास्ट ट्रेन का डीजल इंजन भी 6 लीटर तेल में सिर्फ 1 किलोमीटर चलता है. वहीं 12 डिब्बों वाली एक्सप्रेस ट्रेन का इंजन 1 किलोमीटर का माइलेज पाने के लिए करीब 4.5 लीटर डीजल खर्च करता है. इसकी तुलना में इलेक्ट्रिक इंजन ज्यादा कारगर साबित होता है, क्योंकि इससे प्रदूषण न के बराबर फैलता है और ऊर्जा की बचत होती है. यही वजह है कि रेलवे ने धीरे-धीरे डीजल इंजन को हटाकर इलेक्ट्रिक इंजन को प्राथमिकता देनी शुरू कर दी है.

आबूरोड में रखे जाएंगे 150 डीजल इंजन

भारतीय रेलवे इस साल 100 फीसदी ट्रैक इलेक्ट्रिफिकेशन और वैकल्पिक ईंधन इंजन लाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. ऐसे में रेलवे ने 2500 डीजल से चलने वाले इंजनों के रखरखाव की योजना तैयार की है. इन्हें देश के 17 जोन में चल रहे लोको शेड में रखा जाएगा. इस बारे में रेलवे डीआरएम पंकज कुमार सिंह ने बताया कि जोधपुर के डीजल शेड को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक इंजन शेड बनाया जा रहा है. और अब 153 इलेक्ट्रिक इंजन आ चुके हैं और ये सभी इलेक्ट्रिक इंजन न सिर्फ एनर्जी एफिशिएंट हैं बल्कि रखरखाव के लिहाज से भी अनुकूल हैं और सुरक्षा की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक इंजन चलाने वाले पायलट को भी काफी राहत मिलती है.

 बिजली आपूर्ति बाधित होने पर किया सकता है इस्तेमाल

बदलते वक्त के साथ धीरे-धीरे सारा ट्रैक्शन इलेक्ट्रिक हो गया है और आपातकालीन परिस्थितियों के लिए डीजल इंजन रखे जाने लगे हैं. भविष्य में बिजली आपूर्ति बाधित होने पर चूंकि पश्चिमी राजस्थान सेना के लिए महत्वपूर्ण स्थान है, इसलिए आपदा के समय इनका उपयोग किया जा सके, इसके लिए डीजल इंजन भी रिजर्व में रखे जाने लगे हैं.ऐसे में उत्तर पश्चिम रेलवे जोन के आबू रोड शेड में 150 डीजल इंजन रखने का निर्णय लिया गया है. इनमें से 40 डब्ल्यूडीपी 4 और 110 डब्ल्यूडीजी 4 इंजन यहां रखे जाएंगे. ये इंजन सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़े सामरिक और आपदा प्रबंधन उद्देश्यों की पूर्ति करेंगे, जिससे महत्वपूर्ण परिस्थितियों में बिना बिजली के भी ट्रेनें चलाना संभव हो सकेगा.

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